बिल पास करने के एवज में रिश्वत लेने वाले लेखापाल को 4 वर्ष सश्रम कारावास
सागर. प्रसूति अवकाश के बिल पास करने के एवज् में रिश्वत लेने वाले आरोपीगण को न्यायालय-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर आलोक मिश्रा की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये आरोपी इंद्र कुमार जैन (लेखापाल) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम , 1988 की धारा-7 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 5,000/- रू. अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 5,000/- रू. के अर्थदण्ड एवं आरोपी दुर्जनलाल रजक (माली) को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम , 1988 की धारा-12 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व 5,000/- रू. अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है । उक्त मामले की पैरवी श्री श्याम नेमा, विशेष लोक अभियोजन अधिकारी ने की । घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 28.12.2015 को आवेदिका प्रभा टोटे एवं सीमा सोनी ने संयुक्त रूप से पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि आदिम जाति कल्याण छात्रावास में रसोईया का कार्य करती हैै उनकी कोई संतान न होने के कारण उन्होनंे इंदौर स्थित मोहन अस्पताल से टेस्ट ट्यूब बेवी पद्धति द्वारा इलाज कराया जिसके फलस्वरूप सीमा सोनी को एक पुत्री एवं प्रभा टोटे को तीन पुत्रियॉ एक साथ जन्मी थी उनका प्रसूति अवकाश का लगभग 17,000-17,000 रूपये का भुगतान होना था जिसके लिये बाबू इंद्र कुमार जैन के उनका एवं पैसे का बिल बनाने के लिये 500-500 रूपये की मॉग की वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहती, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहती है। अतः कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया, तत्पश्चात् आवेदिका द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई, नियत दिनॉक को आवेदिका द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदिका का इशारा मिलने पर टेªप दल के सदस्य मौके पर पहुॅचे , जहॉ अभियुक्त इंद्र कुमार जैन बैठा हुआ था जिसे टेªप दल के सदस्यों ने चारो तरफ से घेर लिया एवं टेªप दल ने अपना परिचय देकर अभियुक्त का परिचय प्राप्त करने के उपरांत अभियुक्त से रिश्वत राशि के संबंध में पूछे जाने पर उसने रिश्वत राशि आवेदिकागण से लेकर विद्यालय में ही कार्य करने वाले माली सह-अभियुक्त दुर्जनलाल रजक को दे देना बताया और प्रकरण में अन्य विधिवत कार्यवाहियॉ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी इंद्र कुमार जैन एवं सह-अभियुक्त दुर्जनलाल रजक के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-12 का अपराध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर श्री आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपीगण को उपरोक्त सजा से दंडित किया।