50-50 फॉर्मूले का पेंच फंसा, शिवसेना ने मांगा मुख्यमंत्री का पद

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) में भले ही बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट जनादेश मिला हो लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है. इस बीच उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के समक्ष 50-50 फॉर्मूले की शर्त साफतौर पर रख दी है. शिवसेना पहले शासन के लिए इस फॉर्मूले को फाइनल करना चाहती है. उसके बाद ही नई सरकार के गठन पर चर्चा होगी. इन सब उठापटक के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बातचीत की. शिवसेना की जीत पर बधाई दी और सरकार के गठन पर चर्चा की.
उद्धव ठाकरे की शर्त के मुताबिक 50-50 फॉर्मूले का आशय पांच साल के कार्यकाल में ढाई साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवसेना के पास होनी चाहिए. दीपावली के बाद नई सरकार का गठन होगा. सूत्रों के मुताबिक शिवसेना अब डिप्टी सीएम का पद नहीं बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहती है.
वैसे शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों की शनिवार को बैठक होने वाली है. उससे पहले कई विधायकों ने कहा कि पहली बार वर्ली से विधायक बने आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए. शिवसेना के दोबारा निर्वाचित विधायक प्रकाश सुर्वे ने कहा कि आदित्य मुख्यमंत्री बनें, ये हमारी शर्त है. महाराष्ट्र में बीजेपी से फिफ्टी-फिफ्टी फॉर्मूले पर बात हुई थी. उद्धवजी अब उसे ही पूरा करने वाले हैं. विधायक आदित्य को सीएम बनाना चाहते हैं.
शिवसेना की नसीहत
वैसे चुनावी नतीजे के अगले दिन शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में इशारों-इशारों में बीजेपी (BJP) को उसकी कम हुई ताकत का एहसास कराया गया है. शिवसेना ने इन नतीजों को चौंकाने वाला बताया है. संपादकीय में जहां बीजेपी की आलोचना की गई है वहीं राज्य में एनसीपी (ncp) और कांग्रेस (congress) की बढ़ती ताकत का भी जिक्र किया है. शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की जनता का रुझान सीधा और साफ है. अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना समाप्त हो जाओगे, ऐसा जनादेश ‘ईवीएम’ की मशीन से बाहर आया. ‘ईवीएम’ से सिर्फ कमल ही बाहर आएंगे, ऐसा आत्मविश्वास मुख्यमंत्री फडणवीस को आखिरी क्षण तक था लेकिन 164 में से 63 सीटों पर कमल नहीं खिला. पूरे महाराष्ट्र के नतीजों को देखें तो शिवसेना-भाजपा युति को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल चुका है.
संपादकीय में कहा गया है, ‘आंकड़ों’ का खेल संसदीय लोकतंत्र में चलता रहता है. ‘युति’ का आंकड़ा स्पष्ट बहुमत का है. शिवसेना और भाजपा को एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है. महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं. फिर इसे महाजनादेश कहो, या कुछ और. यह जनादेश है महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा.’
शिवसेना ने कहा, ‘महाराष्ट्र में 2014 की अपेक्षा कुछ अलग नतीजे आए हैं. 2014 में ‘युति’ नहीं थी. 2019 में ‘युति’ के बावजूद सीटें कम हुईं. बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-एनसीपी मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गई. एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है. ये एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है. धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया, उसके लिए उसका अभिनंदन!’