सामूहिक योग साधना एवं दीपावली मिलन समारोह आयोजित

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र के योग साधकों द्वारा दीपावली पर्व की शुरुआत प्रातः 6 बजे से सामूहिक ॐ का उच्चारण करते हुए सबके जीवन में खुशहाली एवं आरोग्य प्राप्त हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ सामूहिक योग साधना एवं प्रार्थना के साथ की गई ।  इस अवसर पर विशेष रुप से मधुमेह विषेशज्ञ डॉ. नरेन्द्र भार्गव ,  वरिष्ठ अधिकारी श्री असिम सेन, अभिषेक तिवारी,  सुदीपा रॉय, सुनीता जोशी, वाचिका जोशी परवीन किदवई, सुरेखा चावला,  श्रद्धा गणपते, लता बंजारी, सुरभि सहित योग साधक उपस्थित रहें । योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर सभी को दीपावली पर्व मंगलमय एवं स्वास्थ्यप्रद हो ऐसी शुभकामनायें देते हुए बताया कि नई योग विद्या सीखने की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन है। नये संकल्पों के साथ शुरुआत करें एवं रोग मुक्त रहकर सिद्धि प्राप्त करें । योग करने से आत्मविश्वास बढ़ता है एवं जीवन में अनुशासन व्यक्ति को परिवार समाज एवं देश के लिए सेवा के लिए तैयार करता है ।
योग गुरु अग्रवाल ने बताया योग का अर्थ है-चित्त की विभिन्न वृत्तियों को नियंत्रित रखने में समर्थ होना; योग के अभ्यास चार मुख्य भागों में विभाजित हैं – कर्म योग, भक्ति योग, राज योग और ज्ञान योग । चंचल स्वभाव वालों के लिये कर्म योग उपयुक्त है। भावुक प्रकृति वालों के लिये भक्ति योग ठीक है। बुद्धिजीवियों के लिये ज्ञान योग है तथा आत्मिक वृत्ति वालों को राज योग अनुकूल होता है। राज योग की बहुत-सी उपशाखाएँ भी हैं – हठ योग, लय योग, कुण्डलिनी योग तथा मंत्र योग, इत्यादि। इसके अलावा एक और भी पद्धति हैं, जिसे तंत्र कहते हैं। यह तंत्र इन सब योग अंगों का महायोग है और इसके मुख्य अभ्यास का नाम है-क्रिया योग। अभ्यास में सभी अंगों का समावेश करना चाहिये, क्योंकि तुम कर्म किये बिना रह नहीं सकते। तुम्हें कार्य करना होगा और अपने कर्तव्यों को हमेशा निभाना होगा। अगर कर्मयोग का अभ्यास नहीं करोगे तो कुण्ठाओं का अनुभव होगा, निराशा आयेगी और जीवन में उनकी प्रतिक्रियाएँ होंगी। अगर भक्ति योग का अभ्यास नहीं करोगे तो मनोविकार बढ़ते जायेंगे। अगर तुम राज योग का अभ्यास नहीं करोगे तो तुम्हारा मन पियक्कड़ बंदर की तरह उछल-कूद करेगा और अगर ज्ञान योग का अभ्यास नहीं करोगे तो यही नहीं जान पाओगे कि ये अभ्यास तुम कर क्यों रहे हो और हठ योग का अभ्यास न करने पर तो अन्य कोई अभ्यास तुम शायद कर ही नहीं पाओगे।
योग वास्तव में कष्टपूर्ण मार्ग नहीं है, हमने इसे उचित परिप्रेक्ष्य में नहीं समझा है। योग तो सुख और आनन्द को पूर्ण बनाने का पथ है। योग का लक्ष्य  समाधि है। ध्यान का प्रभाव शान्ति है । धारणा का प्रभाव एकाग्रता है ।  प्राणायाम का परिणाम उन्नत मस्तिष्क होता है । आसनों का प्रभाव  स्फूर्तिवान स्वस्थ शरीर। नियम का परिणाम  जीवन की शैली अथवा विज्ञान। यम का प्रभाव होता है जिन्दगी की गुत्थियों को सुलझाना। योग का लक्ष्य है – सजगता के सतत् प्रवाह का अनुभव करना।

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