नाबालिग से बलात्कार करने वाले आरोपी को 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा

सागर. नाबालिग से बलात्काऱ करने वाले आरोपी इंद्र सेन पिता गुलझारी सेन, उम्र करीब 26 वर्ष, थाना शाहगढ़ को न्यायालय अपर-सत्र न्यायाधीश तहसील-बंडा जिला-सागर आर.पी.मिश्र की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.दं.सं. की धारा-366 के तहत 07 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 1000/- रूपये का अर्थदंड एवं धारा 376-(2)(आई) के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 2000/- रूपयेे अर्थदण्ड, धारा 376-(2)(एन) के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 2000/- रूपयेे अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया । मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक(अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, श्री ताहिर खान ने की ।
घटना संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादिया के पिता ने दिनॉक 16.03.2016 को रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 14.03.16 को सुबह 08ः00 बजे वह अपनी पुत्री एवं उसकी बहन को घर पर छोड़कर अपनी पत्नी एवं अन्य बच्चों के साथ खेत चला गया था। शाम करीब 07ः00 बजे खेत से वापस आया तो उसकी मझली लड़की ने उसे बताया कि उसकी बहिन दिन के 12ः00 बजे घर से खेत में पड़े गेहू को पलटने का कहकर गयी जो घर वापस नहीं आयी तो वह अपने परिवार के लोगों के साथ उसको आसपास एवं रिश्तेदारी में उसी दिन से तलाश किया, ंिकतु लड़की का कोई पता नहीं चला। फरियादिया के पिता को यह संदेह होने पर कि कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी पुत्री का अपहरण कर ले गया है, करीब 1 माह बाद युवती पुलिस थाना शाहगढ़ में दस्तयाब हुई  पूछताछ पर युवती ने बताया था कि उसे अभियुक्त इंद्र सेन मोटर साइकिल से जबरजस्ती हाथ पकड़कर ले गया था इद्र सेन ने उसे धमकी दी थी कि वह उसके मम्मी-पापा को उठवा लेगा और जान से खत्म कर देगा इंद्र सेन उसे मोटर साइकिल में बैठाकर जंगल में ले गया और रात के 9ः00बजे बस में बैठाकर सागर ले गया, सागर से टेªन के द्वारा खुरई फिर इंदौर ले गया, इंदौर मे किराये का एक कमरा लेकर दो-तीन दिन तक वहॉ रखा उसके बाद उसके साथ बलात्कार किया फिर उसके बाद इंद्र सेन उसे दिल्ली ले गया, दिल्ली में एक किराये के कमरे में उसे 15-20 दिन तक रखे रहा और उसके साथ बलात्कार करता रहा एक दिन मौका मिलने पर वह दिल्ली से टेªन में बैठकर झांसी आ गयी और झॉसी से युवती ने अपने पिता को फोन करके टीकमगढ़ बुलाया , टीकमगढ़ से युवती पिता के साथ पुलिस थाना शाहगढ़ आ गई थी । उक्त रिपोर्ट के आधार पर भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा- 363, 366, 376(2)(आई) तथा 376(2)(एन) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, की धारा 5(एल) सहपठित धारा 6 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश तहसील-बंडा जिला-सागर आर.पी.मिश्र की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये आरोपी को भा.दं.सं. की धारा-366 के तहत 07 वर्ष , धारा 376-(2)(आई) के तहत 20 वर्ष, एवं धारा 376-(2)(एन) के तहत 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।

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