नाबालिग के साथ बलात्काऱ करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास

सागर. नाबालिग के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी पंकज चौधरी को तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की घारा-376(1) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000-/रुपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता/बालिका ने दिनॉक 20.12.2018 को थाना केन्टोन्मेट में रिपोर्ट दर्ज कराई कि दिनाक 20.12.2018 को वह घर से स्कूल जा रही थी कि शिवाजी चौक के पास सुबह करीब 11ः30 बजे अभियुक्त पंकज चौधरी और एक अन्य आरोपी मोटर साइकिल से आये और पंकज चौधरी ने बालिका को गाड़ी से चलने के लिये कहा, बालिका ने मना किया तो अभियुक्त पंकज ने उसे चाकू दिखाकर जान से मारने की धमकी दी तो बालिका डर के कारण मोटर साइकिल पर बैठ गई । तत्पश्चात अभियुक्तगण उसे मोटरसाइकिल से कटरा स्थित लॉज ले गये और अभियुक्त पंकज ने बालिका को एक कमरे में ले जाकर उसके साथ जबरन गलत काम किया फिर अभियुक्तगण को पीड़िता को मोटरसाइकिल पर बिठाकर रानीपुरा तरफ ले गये वहॉ पर अभियुक्त पंकज ने जबरदस्ती की और उसे वापस कजलीवन मैदान छोड़ा । उक्त दोनों अभियुक्तगण ने बालिका केा घटना के बारे में किसी केा बताने पर जान से खत्म करने की धमकी दी थी। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केन्टोमेंट जिला-सागर द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366,342, 376(3),506,34 एव लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3/4 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान  पीड़िता द्वारा पक्षविरोधी कथन किये गये परंतु प्ररकण में डी.एन.ए रिपोर्ट सकारात्मक आने के कारण न्यायालय द्वारा अभियुक्त पंकज चौधरी के विरूद्ध मामला प्रमाणित पाया । विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुये भा.द.वि. की घारा-376(1) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000-/रुपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है ।

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