विश्‍वमंगल के लिए एक धरती, एक परिवार, एक भविष्‍य जरूरी : केंद्रीय शिक्षा राज्‍य मंत्री

वर्धा. केंद्रीय शिक्षा राज्‍य मंत्री डॉ. राज कुमार रंजन सिंह ने कहा है कि विश्‍व मंगल के लिए एक धरती, एक परिवार, एक भविष्‍य आवश्‍यक है। डॉ. सिंह ‍आज शाम महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में आयोजित भारतीय दर्शन महासभा के 95वें अधिवेशन तथा चतुर्थ एशियाई दर्शन सम्‍मेलन के समापन सत्र को बतौर मुख्‍य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के एक धरती, एक परिवार और एक भविष्‍य के सपने को पूरा करने के लिए समवेत प्रयास आवश्‍यक है। केंद्रीय मंत्री उम्‍मीद जताई कि समेकित विकास और शांति पूर्ण सहअस्तित्‍व के लिए निरंतर प्रयास होने चाहिए और इस प्रयास में उच्‍चशिक्षा की बड़ी भूमिका है। शिक्षा जिम्‍मेदार नागरिक उत्‍पन्‍न कर यह भूमिका निभा सकती है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व गुरु के रूप में भारत के पुनरोदय में दर्शन की महती भूमिका हो सकती है। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति‍ प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि दर्शन का देशीकरण विउपनिवेशीकरण से ही संभव है और तभी पारिस्थितिकी का पुनर्स्‍थापन संभव है। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय नागरिक के रूपांतरण के कई सूत्र दिये है, इस दृष्टि से भी दर्शनशास्‍त्र की भूमिका है। नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. बैद्यनाथ लाभ ने भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में भारतीय दर्शन के पुनरुत्‍थान पर बल दिया। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद की निदेशक डॉ. पूजा व्‍यास ने स्‍वागत भाषण दिया। कई प्रतिभागियों ने चार दिवसीय सम्‍मेलन के अपने अनुभव साझा किये। इस अवसर पर विभिन्‍न प्रतिगिताओं के विजेताओं को पुरस्‍कार दिये गये। आयोजन सचिव डॉ. जयंत उपाध्‍याय ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया। टैगोर कल्‍चरल कॉम्‍प्‍लेक्‍स के खचाखच भरे सम्‍पूर्ति सत्र का प्रभावी संचालन डॉ. रोमसा शुक्‍ला ने किया। मंच पर भारतीय दर्शन महासभा के महासचिव प्रो. एस. पनीरसेल्वम, उपाध्‍यक्ष एस. के. सिंह, प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल और प्रो. चंद्रकांत रागीट, प्रो. देविका साहा, प्रो. दिलीप कुमार मोहंता एवं प्रो. माओ आसीन थे।

 

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