November 24, 2024

तहसीलदार रमेश कुमार कमार का काला कारनामा

ग्राम केंवटाडीह के खसरा नंबर 11 की रजिस्ट्ररी पर खसरा नंबर 10 का कर दिया नामांतरण
बिलासपुर/ अनिश गंधर्व. विवादित रहे मस्तूरी के तहसीलदार रमेश कुमार कमान ने ग्राम केंवटाडीह स्थित खसरा नंबर 10 कुल रकबा 1.06 एकड़ तथा खसरा नंबर-11 कुल रकबा 11.12 एकड़ भूमि जो कि दो सगी बहनों के नाम बैसखिया बाई एवं शहोद्रा बाई पिता दुकलहा संपत्ति थी। अधिकार अभिलेख में दर्ज है। इन दोनों नंबरों की जमीन में फर्जी तरीके से रामलाल पिता बहोरिक के परिवार वालों ने खसरा नंबर 11 में पांच रजिस्ट्री दस्तावेज तैयार कराया। जिसे प्रेम लाल, लैन दास, गंगाराम तथा संत बाई ने खसरा नंबर 11 का कुल रकबा 1.12 समाप्त होता है उसे पांच फर्जी रजिस्ट्री के माध्यम से 3 एकड़ 36 डिसमिल का बना दिया और फर्जी ऋण पुस्तिका बनवाकर शासन को धान बेचते रहे। खसरा नंबर 10 वर्ष 2022 में बैसखिया बाई, शहोद्रा बाई दोनों बहनों के नाम पर खसरा, बी-1 में दर्ज था। जिसे खसरा नंबर 11 के खातेदारों ने संत बाई पति राजकुमार कांत के नाम से खरीदी का आवेदन लगाकर खसरा नंबर 10 को नामांतरण करवाकर अपने नाम पर दर्ज करा लिया। जबकि खसरा नंबर 11 का कुल रकबा भिन्न है और खसरा नंबर 10 के खातेदार से कोई क्रय करार, इकरारनामा खसरा नंबर 11 के खातेदरों का नहीं था और ना ही वे उनके रिश्तेदार हैं।
खसरा नंबर 10 के दोनों बहनों का निधन हो चुका है तथा उनके वारिश गांव में नहीं रहते थे। इसी का फायदा उठाते हुए खसरा नंबर 11 के जमीन दलालों ने तहसीलदार रमेश कुमार कमार से लेनदेन कर बिना किसी आवेदन के ही एक सप्ताह में खसरा नंबर 10 की भूमि को 11 नंबर की रजिस्ट्री से नामांतरण करा लिया। ऐसा मामला देश के किसी भी कानून में ऐसे हस्तांतरण की अनुमति नहीं का उल्लेख नहीं है। पूरे मामले की शिकायत खसरा नंबर 10 के खातेदार जिनकी मृत्यु हो गई है उनके वारिशान चिंताराम पिता दशरू द्वारा कलेक्टर से की गई है।
कलेक्टर बिलासपुर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मस्तूरी एसडीएम को जांच की जिम्मेदार सौंपी गई। एसडीएम ने मस्तूरी के तत्कालीन तहसीलदार अतुल वैष्णव को जांच की जिम्मेदार सौंपी जिसमें रमेश कुमार कमार द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। जांच में यह बात सामने आई की खसरा नंबर-11 के रजिस्ट्री विक्रय पत्र पर बिना किसी अधिकारिता के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर तहसीलदार ने खसरा नंबर 10 की जमीन जो कि दो मृत सगी बहनों बैसखिया व शहोद्रा पिता दुकलहा जाति सतनामी के नाम से हुई थी। उसे अनाधिकृत व्यक्ति संत बाई पति राजकुमार के नाम पर नामांतरण कर दिया गया और भ्रष्टाचार के खुलासे के डर से नायब तहसीलदार रमेश कुमार कमार ने प्रकरण की फाइल गायब कर दी। जमीन दलालों ने बिना दस्तावेज प्रस्तुत किए ही खसरा नंबर 11 का बिना किसी आवेदन के नामांतरण रिकार्ड सुधार और बंटवारा भी करा लिया है।
तहसीलदार मस्तूरी की जांच रिपोर्ट के बाद एसडीएम मस्तूरी ने भी खसरा नंबर 11 के खातेदारों को नोटिस भेजकर जांच की तो वे दंग रह गए। खसरा नंबर 11 का रकबा 1.12 एकड़ मिशन और अधिकार अभिलेख में दर्ज जिसे फर्जी रजिस्ट्री से 3 एकड़ 36 डिसमिल बनाकर शासन के साथ धोखाधड़ी कर ऋण पर्ची तैयार करा लिया गया। इस घटना से यह साबित होता है कि तहसील में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। किसी दूसरे नंबर की रजिस्ट्री पर बिना सुधार पत्रक तैयार कराकर कोई भी किसी की जमीन हड़प रहा है।

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