सिंधी लोक संगीत उत्सव सिम्स के ऑडिटोरियम में 11 जून को, गुजरात और राजस्थान के कलाकार देंगे प्रस्तुति
सिंधी समाज की प्राचीन एवं लुप्त होती कला एवं वाद्ययंत्रों की नई जनरेशन को मिलेगी जानकारी
बिलासपुर। पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत बिलासपुर और भारतीय सिंधु सभा बिलासपुर द्वारा एक बार फिर से सिंधी लोक संगीत उत्सव का भव्य कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। यह कार्यक्रम सिम्स के ऑडिटोरियम में 11 जून 2023 की शाम 5:30 बजे झूलेलाल के बहराणा की ज्योत प्रज्वलन के साथ शुरू होगा,जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कुलपति एडीएन बाजपेई एवं मशहूर चिकित्सक ललित मखीजा उपस्थित रहेंगे। बिलासपुर प्रेस क्लब में शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा करने पहुंचे आयोजन प्रमुख एवं भारतीय सिंधु सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष डीडी आहूजा ने बताया कि बंटवारे के बाद से हिंदुस्तान आए सिंधी समाज को अपनी बोली,भाषा लोकसंगीत,संस्कृति को बचाए रखने जद्दोजहद करना पड़ रहा था,जिसमें अब उन्हें सफलता मिलने लगी है। समाज की कोशिशों के तहत ही सिंधी लोक संगीत उत्सव का दूसरे वर्ष का यह कार्यक्रम बिलासपुर में किया जा रहा है,जिसमें सिंधी लोक गायन यानि भगत अजमेर से आ रहे घनश्याम भगत द्वारा किया जाएगा। इसी तरह सिंधी लोक गायन उस्ताद बुद्धा वेला एवं ग्रुप के द्वारा यहां प्रस्तुति दी जाएगी।इसके लिए करीब 7 लोगों की टीम कच्छ गुजरात से आ रही है। इसी तरह सिंधी सारंगी वादन में राजेश कुमार परसरामानी अपनी प्रस्तुति देंगे। इस मौके पर सिंधी छेज(डांडिया),सिंधी लाडा( लोकगीत) सिंधी रादियूं(खेलकूद) बालगीत, पारंपरिक लोकनृत्य के अलावा विविधता से परिपूर्ण आयोजन यहां देखने को मिलेगा। आयोजन की प्रमुख,सिंधु सभा की राष्ट्रीय महामंत्री विनीता भावनानी ने बताया कि लोक संगीत और संस्कृति का संरक्षण करने के साथ ही कोशिश ये भी की जा रही है कि आने वाली पीढ़ी को इसे हस्तांतरण कर दिया जाए ताकि वर्षों वर्षों तक यह जीवित रहे।इसके लिए राजस्थान और गुजरात से मंझे हुए कलाकार यहां आकर अपने लोकगीत और कला का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि सिंधी समाज का लोकगीत और कला वर्तमान में वेंटिलेटर पर है जिसे बचाए रखने समाज ने यह पहल की है। उन्होंने बताया कि इस दौरान हारमोनियम तबला तो कलाकार लेकर ही आएंगे साथ ही सिंध प्रांत से आई हुई लोक कला में शामिल दुर्लभ वाद्य यंत्र भी इस कार्यक्रम में आकर्षण के केंद्र होंगे।
इस मौके पर संगीत में इस्तेमाल होने वाले घड़े के साथ-साथ दूसरे यंत्र भी देखने को मिलेंगे।उन्होंने बताया कि सारंगी को भी संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।पाकिस्तान के सिंध से बिलासपुर सिंधी समाज को एक सारंगी प्राप्त हुई है जिसे संरक्षित किया गया है। सारंगी वादक राजेश परसरामानी ने बताया कि सिंधी सारंगी की उत्पत्ति सिंध से हुई है हालाकी सारंगी बहुत महंगा उपकरण है और इसमें 27 तार होते हैं जिसे आज के समय में कलाकारों को समझा पाना मुश्किल और उनकी जानकारी देने में परेशानी होती है। सारंगी से नाखून भी कट जाते हैं, इसलिए अब इसके विकल्प के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक सारंगी को तैयार किया गया है। इसमें 50 स्वर होते हैं इसका मुंबई और चेन्नई हाई कोर्ट से पेटेंट भी करा लिया गया है।अब इस उपकरण से ना तो उंगली कटती है और ना ही यह महंगा है। सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष पी एन बजाज ने बताया की संगीत और सिंधी कल्चर की जानकारी आने वाली नई पीढ़ी को दी जा रही है ताकि मौजूदा पौध इस लोक कला और संस्कृति को बचाए रखें। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सिंधु समाज के अध्यक्ष शंकर मनचदा, महिला विंग की अध्यक्ष गरिमा शहानी,सेंट्रल पंचायत महिला विंग के अध्यक्ष राजकुमारी मेहानी सहित समाज के तमाम पदाधिकारी और गणमान्य नागरिक इस मौके पर मौजूद रहे।