कोर्ट फीस के नाम पर वकील दंपत्ति ने डॉक्टर को लगाया 26 लाख का चूना
धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
बिलासपुर. वर्ष 2009 में वकील दंपत्ति ने शहर के प्रतिष्ठित डॉ. स्व. आई.डी. कलवानी से कोर्ट फीस के नाम पर 26 लाख रुपए वसूल लिये। इस गंभीर मामले में अपने बचाव कर रहे वकील दंपत्ति द्वारा अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी जिसे षष्ठम अपर सत्र न्यायधीश अशोक कुमार लाल ने अग्रिम जमानत प्रकरण को समाप्त कर दिया है। स्व. डॉ. आरडी कलवानी से की गई धोखाधड़ी के मामले में न्याय की आस में उनका पुत्र विशाल कलवानी ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
पूर्व में सिविल लाइन थाना क्षेत्र के साकेत अपार्टमेंट में रहने वाले स्व. डॉ. आईडी कलवानी द्वारा मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के समक्ष परिवाद दायर कर वकील दंपत्ति द्वारा धोखाधड़ी किए जाने की शिकायत पर न्यायालय ने अपराध क्रमांक 313/2010 पंजीबद्ध किया था तथा गीतांजलि नगर निवासी वकील टी.एन. दुबे एवं माला दुबे के खिलाफ 420, 468, 469/34 के तहत एफआईआर दर्ज कराया था। मामले में अभियुक्त वकील दंपत्ति द्वारा सत्र न्यायालय बिलासपुर के समक्ष पुनर्निरीक्षण याचिका लगाई गई थी। जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। इसके पश्चात वकील दंपत्ति द्वारा छ.ग. उच्च न्यायालय में एफआईआर को निरस्त करने बाबत् धारा 482 के तहत याचिका दायर की गई जिसे पीठासीन जज प्रीतिंकर दिवाकर द्वारा धोखाधड़ी में वकील दंपत्ति को संलिप्तता देखते हुए खारिज कर दी गई। वकील दंपत्ति द्वारा उक्त मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई में लगवाकर स्टे प्राप्त कर लिया गया था। इस बहुचर्चित धोखाधड़ी कांड में वयोवृद्ध डॉ. स्व. आईडी कलवानी को षडयंत्र पूर्वक शहर के भू- माफियाओं ने वकील दंपत्ति के साथ मिलकर दो करोड़ 64 लाख रुपए चुना लगाया। जब डॉ. कलवानी द्वारा वकील दंपत्ति से अपने पाटनर द्वारा गैर- कानूनी तरीके से 2 करोड़ 56 लाख रुपए निकाल लिये जाने पर वकील दंपत्ति से कानूनी सलाह मांगी गई तो उन्होंने वसूली का वाद न्यायालय में प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया तथा कोर्ट फ्री के नाम पर 13 फीसदी राशि लगभग 26 लाख रुपए जमा करने के लिए कहा। डॉ. कलवानी ने 11 फरवरी 2009 से 19 फरवरी 2009 के दरमियान पूरे 26 लाख रुपए वकील दंपत्ति को दे दिए। जब डॉक्टर कलवानी ने एक सप्ताह बाद वसूली के प्रकरण के संंबंध में पूछताछ की तो वकील दंपत्ति ने हाईकोर्ट में मामला दायर कर दिए जाने की बात कही। जब डॉक्टर ने वकील दंपत्ति से पूछा कि बिना मेरे हस्ताक्षर के आपके द्वारा मुकदमा कैसे दायर कर दिया गया? तो वकील दंपत्ति के पास कोई जवाब नहीं था। डॉ. कलवानी के फर्जी हस्ताक्षर तथा फर्जी शपथ पत्र की बुनियाद पर वसूली का प्रकरण दायर करना छोड़कर वकील दंपत्ति ने डॉक्टर को चूना लगाने वाले पार्टनर के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किए जाने का क्रिमिनल रिट पिटिसन दायर कर दिया जिसमें एक रुपए भी कोर्ट फीस नहीं लगती और तो और स्व. डॉ. कलवानी द्वारा दी गई राशि को हड़पने के लिए वकील दंपत्ति द्वारा एक कूट रचित व्यवहार वाद भी फर्जी हस्ताक्षर के सहारे दायर किया गया। जब सीजीएम न्यायालय ने वाद पत्र तथा शपथ पत्र में किए गए डॉ. कलवानी के फर्जी हस्ताक्षर की हस्तलिपि विशेषज्ञ से जांच कराई तो वह कूट रचित साबित हुई। जिससे वकील दंपत्ति द्वारा किए गए धोखाधड़ी की पुष्टि होने पर तत्कालीन सीजीएम श्री. मंसूर अहमद ने जिला न्यायालय में कार्यरत अधिवक्त टीएन दुबे व माला दुबे के विरुद्ध मामला दर्ज करने का आदेश दिया आज की स्थिति में यह है कि शहर के प्रतिष्ठित व निष्ठावान वयोवृद्ध डॉ. आई.डी. कलवानी दुनिया में नहीं है, उनका पुत्र डॉ. विशाल कलवानी न्याय की आस में दर-दर भटक रहा है।