January 15, 2025

हिंदी विश्‍वविद्यालय के अकादमिक विकास में ऐतिहासिक होगा राजनीति विज्ञान परिषद का 60 वॉं सम्‍मेलन : प्रो. लेल्ला कारुण्यकरा

  • ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम् : एक पृथ्‍वी, एक परिवार, एक भविष्‍य‘ विषय पर हुई अंतरराष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी
  • देश भर से एक हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने की सहभागिता

 वर्धा.  महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा में आयोजित अखिल भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के 60 वें सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र में स्‍वागत वक्‍तव्‍य देते हुए विश्‍वविद्यालय के कुलपति‍ प्रो. लेल्‍ला कारुण्‍यकरा ने कहा कि महात्‍मा गांधी और विनोबा की कर्मभूमि पर आयोजित सम्‍मेलन विश्‍वविद्यालय के अकादमिक विकास में ऐतिहासिक सिद्ध होगा और इस अधिवेशन के मुख्‍य विषय ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम् : एक पृथ्‍वी, एक परिवार, एक भविष्‍य‘ के माध्‍यम से पूरी दुनिया में संदेश जाएगा। सम्‍मेलन का उद्घाटन बुरहानपुर, विश्‍वविद्यालय, ओडिशा की कुलपति प्रो. गीतांजलि दास की अध्‍यक्षता में विश्‍वविद्यालय के निराला सभागार में शनिवार को किया गया।

 उद्घाटन समारोह में विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. लेल्ला कारुण्यकरा ने स्‍वागत भाषण दिया। उन्‍होंने देश के कोने-कोने से पधारे एक हजार से अधिक प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्‍वागत किया। उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्‍न कार्यक्रमों एवं पाठ्यक्रमों की चर्चा करते हुए कहा कि महात्‍मा गांधी के नाम पर स्‍थापित यह विश्‍वविद्यालय महाराष्‍ट्र एक एकमात्र केंद्रीय विश्‍वविद्यालय है। यहॉं हिंदी माध्‍यम से सभी पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। हिंदी के माध्‍यम से ज्ञान का उत्‍पादन और प्रचार-प्रसार के लिए स्‍थापित यह विश्‍वविद्यालय अन्‍य भारतीय भाषाओं को साथ लेकर चलता है। यहां अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ विदेशी भाषाओं का अध्‍ययन और अध्‍यापन हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि यह सम्‍मेलन विश्‍वविद्यालय के इतिहास में अनोखा होगा और आप सभी को भी यह ऐतिहासिक अनुभव प्रदान करेगा। उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि आने वाली पीढ़ी के लिए यह सम्‍मेलन उपयोगी सिद्ध होगा। इस अवसर पर अखिल भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद (आईपीएसए) के महासचिव एवं कोषाध्यक्ष तथा महात्‍मा गांधी केंद्रीय विश्‍वविद्यालय मोतिहारी (बिहार) के  भूतपूर्व कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्‍तुत किया।

उद्घाटन समारोह में अतिथि के रूप में मद्रास विश्‍वविद्यालय चेन्नई, तमिलनाडु के भूतपूर्व कुलपति प्रो. आर. थंडवन मंचासीन थे।

सम्‍मेलन में प्रतिवेदन की प्रस्‍तुत करते हुए डॉ. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि वर्धा में आयोजित इस भव्‍य अधिवेशन को भारतीय राजनीति विज्ञान के इतिहास में भी लिखा जाएगा। उन्‍होंने बताया कि अधिवेशन में शिरकत करने के लिए देश भर के 1250 प्रतिनिधियों ने पंजीकरण किया था और अधिकांश प्रतिनिधि इस अधिवेशन में उपस्थित हुए हैं। यह इस अधिवेशन की एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इतनी भारी संख्‍या में उपस्थिति दर्शाती है कि देश में राजनीति विज्ञान का भविष्य उज्‍ज्‍वल है। अध्‍यक्षीय उद्बोधन में बुरहानपुर, विश्‍वविद्यालय, ओडिशा की कुलपति प्रो. गीतांजलि दास ने कहा कि वर्धा स्‍वतंत्रता संग्राम में एक महत्‍वपूर्ण और ऐतिहासिक स्‍थान है। महात्‍मा गांधी और विनोबा भावे की कर्मभूमि के नाते अधिवेशन के लिए वर्धा को उपयुक्‍त स्‍थान बताते हुए उन्‍होंने नयी तालिम की शिक्षा की भी चर्चा की। उन्‍होंने वैश्विक परिप्रेक्ष्‍य में महामारी, वातावरणीय बदल, भूखमरी और जेंडर समानता की विस्‍तार से चर्चा की।

भारतीय उच्च अध्ययन संस्था, शिमला, हिमाचल प्रदेश की पूर्व अध्यक्ष एवं महाराजा गंगा सिंह विश्‍वविद्यालय, बिकानेर, (राजस्थान) की पूर्व कुलपति प्रो. चंद्रकला पाडिया ने कहा कि राजनीति विज्ञान में व्‍यक्ति की धारणा को महत्‍वपूर्ण माना है। हम संबंधों का एक समुच्‍चय हैं। हममें भीतर की समानताएं मौजूद हैं। हमारे धर्म में सामाजिक और राजनीतिक धरातल पर आधारित है। उन्‍होंने पश्चिम के राजनीति विज्ञान सिद्धांत का उल्‍लेख करते हुए भारतीय राजनीति विज्ञान की महत्‍वपूर्ण अवधारणाओं पर प्रकाश ड़ाला। इस अवसर पर एक दर्जन से भी अधिक पुस्‍तकों का तथा भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के जर्नल का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी प्रदान किये गये।

 कार्यक्रम का संचालन आईपीएसए की डॉ. दीप्ति राघव ने किया तथा धन्‍यवाद हिंदी विश्‍वविद्यालय के भाषा विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता तथा अधिवेशन के स्‍थानीय आयोजन सचिव प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्‍ज्‍वलन, राष्‍ट्रगीत, सरस्‍वती वंदना और विश्‍वविद्यालय के कुलगीत से किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्‍ट्रगान से किया गया। इस अवसर पर देश भर से कई वर्तमान तथा भूतपूर्व कुलपति, राजनीति विज्ञान के विद्वान, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित रहे।

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