कांग्रेस ने बस्तर की जनता की तरफ से अमित शाह से पूछा 9 सवाल
1. आरक्षण विधयेक कब तक लंबित होगा?
छत्तीसगढ़ की जनता के हित में भूपेश सरकार ने विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राजभवन भेजा है, इस विधेयक में सर्व समाज के लिये आरक्षण का प्रावधान है जिसमें आदिवासी समाज के लिये भी 32 प्रतिशत ओबीसी के लिय,े 27 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लिये, 13 प्रतिशत अनारक्षित वर्ग के गरीबो के लिये 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। अमित जवाब दे आदिवासियों का 32 प्रतिशत आरक्षण कब तक राजभवन में लंबित रहेगा? संवैधानिक रूप से राजभवन केन्द्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करता है। अमित शाह गृहमंत्री है। अमित शाह बताये आरक्षण संशोधन विधेयक पर कब तक हस्ताक्षर होगा? आदिवासी समाज को उसकी आबादी के अनुपात में उसका हक मिलने आप और भाजपा क्यों बाधा बनी हुई है?
2. नगरनार प्लांट क्यों बेच रहे?
बस्तर का नगरनार स्टील प्लांट जो कि बस्तर वासियों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है जिसे केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने उद्योगपति मित्र को फायदा पहुंचाने विनिवेश करना चाहती है जिसकी प्रक्रिया में आरंभ हो चुकी है। बस्तर विशेषकर लोगो की भावना से जुड़ा नगरनार संयत्र बेचने की कार्यवाही कब बंद होगी?
3. नंदराज पहाड़ की लीज केन्द्र रद्द क्यों नहीं कर रहा?
नंदराज पहाड़ से ग्रामीणों की आस्था जुड़ी हुई है वे उस पहाड़ को देवतुल्य मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। बैलाडीला नन्दराज पहाड़ लौह अयस्क के दोहन हेतु रमन सरकार ने 2016-17 में अडानी को लीज पर दिया था। जिसके विरोध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने लंबा संघर्ष किया। भूपेश बघेल सरकार बनते ही राज्य सरकार अडानी को दी गयी लीज खारिज कर दिया परंतु आज दिनांक तक केन्द्र ने इसके लिए किसी प्रकार की नोटिफिकेशन जारी नही किया। अमित शाह बताये अडानी का हित बड़ा है या आदिवासियों की आस्था?
4. एनएमडीसी का मुख्यालय बस्तर में क्यों नहीं आ रहा?
एनएमडीसी भारत की वह नवरत्न कंपनी है जो लौह अयस्क तो बस्तर से निकालती है और उसे दुनिया भर में भेजती है परंतु अपना मुख्य कार्यालय बस्तर की बजाए तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बनाए बैठी है, पूर्व में बस्तर में यातायात के अभाव से यह निर्णय ठीक लगता था परंतु वर्तमान में बस्तर भी अब सर्वसुविधायुक्त बन चुका है एन एम डी सी को अपना मुख्यालय अब बस्तर में बनाना चाहिए ताकि बस्तर के बेरोजगार युवाओं के लिए एन एम डी सी में रोजगार का द्वार खुल सके। अमित शाह जी बताये एनएमडीसी का मुख्यालय बस्तर में क्यों नही आ रहा?
5. दल्लीराजहरा जगदलपुर रेल लाइन क्यों शुरू नहीं हो रही?
सन् 2017-18 में दल्लीराजहरा रेलमार्ग के निर्माण का उद्घाटन स्वयं देश के प्रधानमंत्री ने भानुप्रतापपुर से किया था और मंच से आश्वस्त किया था कि 2021 में यह बनकर तैयार हो जाएगा और इस रेलमार्ग में यात्री ट्रेनें सरपट दौड़ेगी परंतु आज दिनांक तक यह रेल लाइन का कार्य खत्म नहीं हुआ है जो कि बस्तर की जनता के साथ छलावा है। अमित शाह बताये यह कब पूरा होगी?
6. भारतमाला परियोजना रोड को जगदलपुर से क्यों नही जोड़ा जा रहा?
भारत माला ओडीशा के नवरंगपुर से होकर जा रही है नगरनार से भारत माला की दूरी 32 किमी के आसपास है केन्द्र सरकार जगदलपुर से भारत माला तक जोड़ने पहल करे या एन एम डी सी नगरनार से भारत माला तक सड़क निर्माण कराये।
7. मोदी सरकार ने 2006 के वन अधिकार अधिनियम में संशोधन क्यों किया?
जल, जंगल, जमीन के अधिकारों से स्थानीय आदिवासियों को वंचित करने और खनन माफिया अपने नीति पूंजीपति मित्रों को अनुचित लाभ पहुंचाने 2006 के वन अधिकार अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों को मोदी सरकार ने शिथिल कर दिया है क्या केंद्रीय गृह मंत्री आदिवासियों से माफी मांगेंगे?
8. झीरम की फाइल एनआईए राज्य की एसआईटी को क्यों वापस नहीं कर रही?
भाजपा के शासनकाल में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला हुआ था। जिसमें कांग्रेस की प्रथम पंक्ति के नेताओं सहित 31 लोगो की हत्या हुई थी। इस मामले के हत्यारे अभी तक नहीं पकड़े गये है। एनआईए भी झीरम नरसंहार की जांच के किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। कांग्रेस की सरकार झीरम के गुनहगारों को पता लगाने एसआईटी का गठन कर चुकी है। एनआईए राज्य द्वारा गठित एसआईटी को झीरम की फाइल क्यों वापस नही कर रही है? आखिर केन्द्र क्यों नहीं चाहता राज्य की एसआईटी झीरम नरसंहार की जांच करे।
9. बस्तर की जनता से अमित शाह माफी मांगे
15 सालों तक बस्तर के आदिवासियों को छोटी-छोटी धाराओं में मासूम आदिवासियों को वर्षो तक जेल की सलाखों में बंद रखा गया था। उनकी जमीनों को कोड़ियों के दाम लूटने का षडयंत्र रचा गया। जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के नैसर्गिक अधिकारों का हनन किया गया था। 15 सालों तक साढ़े पांच लाख से अधिक वन अधिकार पट्टों को लंबित रखा था? बस्तर में हजारों आदिवासियों को नक्सली बताकर भाजपा की सरकार ने वर्षों से जेलों में बंद रखा था, कांग्रेस की सरकार ने उनकी रिहाई शुरू करवाया। बस्तर में 400 से अधिक स्कूल भाजपा सरकार ने बंद कर दिया था। बस्तर में लोग डायरिया, मलेरिया से मरते रहे, भाजपा को कभी आदिवासियों के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं आया। आदिवासियों के संबंध में उनके अधिकारों के संबंध में कुछ भी बोलने के पहले समूची भाजपा को छत्तीसगढ़ के 32 प्रतिशत आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिये। भाजपा के 15 सालों में छत्तीसगढ़ के आदिवासी ठगे गये, उनकी प्रगति को रोकने का षड़यंत्र रचा गया था। छल, कपट कर 15 साल तक रमन सरकार निर्दोष आदिवासियों को जेल में बन्द किया जाता रहा। रमन सिंह सरकार में पांचवी अनुसूची क्षेत्रों को मिले कानूनी अधिकारों को दरकिनार कर ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना हजारों आदिवासी से जमीन छीनी गई। रमन सिंह सरकार में नक्सली बताकर आदिवासियों के मासूम बच्चों को मुठभेड़ में मारा गया। झलियामारी बालिका गृह में हुई बलात्कार की घटना, मीना खलखो, पेद्दागेल्लूर, सारकेगुड़ा की घटना, बस्तर क्षेत्र के युवाओं को सरकारी नौकरी से वंचित रखा गया आउटसोर्सिंग से भर्ती कर उनके हक अधिकार को बेचा गया। रमन सरकार के दौरान तेंदूपत्ता संग्राहकों की लाभांश में हेराफेरी की गई, चरणपादुका खरीदने में भ्रष्टाचार किया गया, 5 लाख वनाधिकार पट्टा निरस्त किया गया था। पूर्व की रमन सरकार के दौरान निरन्तर आदिवासी वर्ग पर अत्याचार हुआ उनके अधिकारो का हनन किया गया। आदिवासी कल्याण के नाम से सरकारी योजना बनाकर बंदरबांट किया गया। इन सब के लिये भी अमित शाह, भाजपा के तत्कालीन सत्ताधीशों की जवाबदेही तय करें। 15 सालों तक रमन राज में हुये आदिवासियों के ऊपर अत्याचार शोषण, खून खराबे के लिये अमित शाह और भाजपा दोषी भाजपा नेताओं पर कार्यवाही कब करेगी? 15 सालो तक बस्तर के शोषण के लिये अमित शाह माफी मांगे।