46वां रावत नाच महोत्सव में हजारों की संख्या एकत्र हुए यदुवंशी
बिलासपुर/अनिश गंधर्व. राज्य का सबसे बड़ा रावत नाच महोत्सव शनिचरी बाजार के लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में मनाया गया। लगातार 46 वर्षों से इस महोत्सव को मनाया जा रहा है। दीपावली पर्व के बाद देव उठनी एकादशी से ही रावत नाच का दौर शुरू होता है। गांव-गली और शहरों में रावत नाच दल के लोग घर- घर जाकर नाच गाकर आर्शिवाद देते हैं। बिलासपुर में संभाग में इस महोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है। रावत नाच महोत्सव समिति के डॉ. कालीचरण यादव के अथक प्रयास से यह परंपरा चली आ रही है। 46वां रावत नाच महोत्सव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। रावत नाच समिति के धन्नू यादव, विष्णु यादव, तेरस यादव ने अतिथियों को राउत डे्रस पहनाकर सम्मान किया।
मतगणना के ठीक एक पहले 2 दिसंबर शनिवार को आयोजित महोत्सव में दूर-दूर से यादव समाज के लोग गढ़वा बाजा के साथ गोल बनाकर प्रतियोगिता में शामिल हुए। यहां पारंपारिक श्रृंगार, नृत्य, और लाठी चालन आदि पर पुरस्कार दिया जाता है। 1978 में राउत नाचा महोत्सव की नींव दिवगंत मंत्री बीआर यादव के प्रयासों से मिला था। इसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित करना था। इसमें छोटी-छोटी मंडलियां शामिल हुईं थीं। समय के साथ छोटी-छोटी मंडलियों ने संगठित होकर बडे दल का रूप लिया था. वहीं महोत्सव के रूप में इसे भव्यता साल 1985 से लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में आयोजन कराने से मिली। महोत्सव के शुरूवाती दौर में दोपहर तीन बजे से ही यादव नर्तक दल शनिचरी बाजार पहुंच जाते थे। किंतु अब यह महोत्सव रात्रि आठ बजे के बाद से प्रारंभ होता है। इसी तरह नर्तल दलों की सौ से ज्यादा टोलियां प्रतियोगिता का हिस्सा बनती थी आज की स्थिति में यह संख्या भी आधी हो गई है।
चुनावी वर्ष का भी पड़ा असर
रावत नाच महोत्सव में मुख्यमंत्री दिग्यविजय सिंह, स्व. मंत्री बीआर यादव, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी सहित बड़े- बड़े हस्ती शामिल हुआ करते थे। इस वर्ष चुनाव के बाद मतगणना के ठीक एक दिन पहले रावत नाच महोत्सव में ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सके।