मनरेगा कर्मियों के प्रति असंवेदनशील रवैया कांग्रेस सरकार की नाराजगी प्रमुख वजह बनी-अशोक कुर्रे
बिना वित्तीय भार के बावजूद 12000 कर्मचारियों को 66 दिन लम्बे हड़ताल का लंबित वेतन भुगतान नहीं करना कांग्रेस को पड़ा भारी
रायपुर. अप्रैल 2022 में छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारियों ने 6 माह का वेतन नहीं मिलने एवं नियमितिकरण के लिए हड़ताल की शुरुआत की। 45 डिग्री तापमान में ये कर्मचारी सरकार के वादे के अनुरूप अपनी जायज मांग हेतु बस्तर की आराध्य देवी माता दंतेश्वरी के चरणों से आशीर्वाद लेकर दंतेवाड़ा से रायपुर तक 400 कि. मि. की दाढी यात्रा याने पदयात्रा की शुरुआत किए थे । 66 दिन लम्बे संघर्ष के बाद छत्तीसगढ़ शासन के तात्कालिक कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने हड़ताली मंच पर जाकर हड़ताल अवधि का वेतन सहित मांगों को पूरा करने आश्वस्त किया, जिसके बाद ही हड़ताल समाप्ति हुई। ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने वाले इन मनरेगा कर्मचारियो की मांगे पूरी होनी तो दूर इसके विपरित कांग्रेस सरकार की नजरो में आंख की किरकरी बन गए और कार्यालयों में इन कर्मचारियों पर प्रशानिक प्रताड़ना का लंबा दौर शुरू हुआ। मानसिक और आर्थिक रूप से कर्मचारियों को प्रशासनिक अफसर प्रताड़ित करने लगे। इनके प्रति तात्कालिक काग्रेस शासन और प्रशासन की असंवेदनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सभी संगठनों को हड़ताल अवधि का वेतन दिया गया किंतु मनरेगा कर्मचारियों को राज्य पर वित्तीय भार नहीं आने की स्तिथि में भी हड़ताल अवधि के वेतन नहीं दिया गया, संगठन मंत्रियों और अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे। इसकी वजह यह हुई कि ग्रामीण क्षेत्र में पैठ रखने वाले ये कर्मचारी मौजूदा सरकार से खफा हो गए। संघर्ष ही विकल्प के तर्ज पर अपनी रणनीति तय कर छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले अंतिम समय में कांग्रेस सरकार को जगाने का असफल प्रयास किया।
प्रदेश के मनरेगा कर्मचारियों के लंबे संघर्ष और पीड़ा को याद कर बताते हुए छत्तीसगढ़ मनरेगा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष और छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुर्रे ने भाजपा सरकार बनने पर शुभकामना देते हुए अपील की है कि मनरेगा कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति और संवेदनशीलता पूर्वक विचार करते हुए लंबित वेतन का भुगतान करेंगे इसमें राज्य सरकार को किसी भी प्रकार का कोई वित्तीय भार नहीं आएगा, जिससे सरकार के प्रति कर्मचारियों का विश्वास बढ़ेगा। साथ ही प्रदेश के संविदा कर्मचारियों को उनके लंबे संघर्ष को विराम लगाते हुए 100 दिवस के भीतर नियमितिकरण करें। यही हम सभी संविदा कर्मचारी की इस सरकार से अपेक्षा है।