थावे विद्यापीठ में छत्तीसगढ़ी भाषा पर शोध स्वीकृति: डॉ.विनय पाठक
वार्षिक आमसभा में लिया गया निर्णय
बिलासपुर. थावे विद्यापीठ गोपालगंज(बिहार)के कुलपति डॉ. विनय कुमार पाठक जी ने एक वक्तव्य में सूचित किया है-विद्यापीठ में सम्पन्न हुए वार्षिक आमसभा में निर्णय लिया गया है कि हिंदी और बिहार की लोकभाषाओं के साथ अब शोधकार्य,कर्मशाला और संगोष्ठी के लिए छत्तीसगढ़ी को भी स्थान दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी ऐसी लोकभाषा है जिसे एक प्रदेश के बहुसंख्यक लोग व्यवहार में लाते हैं अतः भाषा की परिभाषा को समाहित करते हुए यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजभाषा के रूप में भी मान्य है।
डॉ. पाठक ने आगे बताया कि पुस्तकालय,अतिथिगृह और सुसज्जित सभागृह के साथ अत्याधुनिक वेबसाइड का निर्माण एवं संचालन की प्रक्रिया गतिमान है।
उन्होंने ने यह भी बताया कि थावे विद्यापीठ का ड्रेसकोड इस वर्ष से लागू किया गया है।इसमें पुरुष सफेद कुर्ता-पायजामा,केशरिया बण्डी, लोगो वाली पगड़ी धारण करेंगे जबकि महिलाएं केशरिया बॉर्डर की सफेद साड़ी के साथ लोगो वाली पगड़ी पहनेंगी।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस बार अक्टूबर माह में शपथ ग्रहण सहित अयोध्या के दीक्षान्त समारोह में विद्यावाचस्पति (पीएचडी)और विद्यासागर(डीलिट)की मानद उपाधि प्रदान की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इस बार गुरुघासी दास(सेंट्रल)विश्वविद्यालय के भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. परमेन्द्र कुमार बाजपेयी जो दो माह पूर्व जयप्रकाश नारायणा विश्वविद्यालय छपरा(बिहार)के कुलपति नियुक्त हुए हैं उन्हें विश्वविद्यालय की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
डॉ. पाठक ने आगे बताया कि नवनिर्मित इस विकासमान विद्यपीठ की गरिमा को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सजग रहेंगे तथा शोध और समीक्षा की प्रपूर्ति समयावधि में न कर पाने वाले उपाधिधारियों की उपाधि निरस्त कर दी जाएगी।