रेलवे प्रशासन की तानाशाही के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा

बिलासपुर. सर्वदलीय एवं जन संगठनों के मंच के संयुक्त तत्वावधान में रेल प्रशासन द्वारा आम नागरिकों के आवागमन हेतु प्रयोग किए जाने वाले सड़कों को लगातार बंद किया जा रहा है । जिससे आम जनमानस में तीव्र रोष व्याप्त है। इसे लेकर पूर्व में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की गई थी। साथ ही इसकी प्रतिलिपियां राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त एवं केंद्रीय चुनाव आयुक्त तथा रेलवे के अध्यक्ष को प्रेषित की गई थी। स्थानीय विधायक सहित तमाम हस्तक्षेपों के कारण एवं आचार संहिता उल्लंघन के मद्देनजर इस मार्ग को मतदान तिथि तक खोल दिया गया था। परंतु रेल प्रशासन ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए इससे पुन:बंद कर दिया है । जिसे लेकर कल सर्वदलीय एवं जन संगठनों के संयुक्त मंच की बैठक की गई एवं निर्णय लिया गया कि रेलवे के जी एम तथा अध्यक्ष, राज्य के चुनाव आयुक्त एवं मुख्य चुनाव आयुक्त को ज्ञापन की प्रतियां प्रेषित की जाए एवं रेलवे की हठधर्मिता पूर्ण रवैया के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाए। बैठक में इस बात पर तीव्र रोष व्यक्त किया गया कि शायद रेल प्रशासन जोन की स्थापना के लिए शहर की जनता द्वारा किए गए आंदोलन को भूल गया है। भारत माता स्कूल के बगल में जिस सड़क को बंद किया गया है उसके कारण स्कूली बच्चे रेलवे स्टेशन को जाने वाली मुख्य सड़क पर सीधे निकलते हैं। जिससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है ।रेलवे द्वारा पूरी कॉलोनी का गंदा पानी अरपा नदी में प्रवाहित किया जाता है। झूठे बहाने बनाकर लूट डकैती की बात कह कर सड़क को बंद कर दिया जाता है; जबकि लूट डकैती की निराकरण के लिए पुलिस प्रशासन की व्यवस्था राज्य द्वारा की गई है ।
इन तमाम बातों को लेकर जन संगठनों ने बंद की गई सड़क पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है एवं आगामी 14 मई 2024 को कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी तथा रेलवे के जी एम,बिलासपुर के विधायक को ज्ञापन देने का निर्णय लिया है। यदि उक्त मार्ग निर्धारित समय के अंदर नहीं खोला जाता है तो बिलासपुर की आम जनता उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी जिसके संपूर्ण जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होगी।
आज के बैठक की अध्यक्षता साथी एस के जैन ने की एवं बैठक में साथी रवि बैनर्जी को इस पूरे आंदोलन का संयोजक नियुक्त किया। बैठक में नंद कश्यप, राजेश शर्मा, शौकत अली,राकेश शर्मा,जसबीर सिंह चावला ,संजीव मोइत्रा, घनश्याम रजक, मजहर खान, गणेश निषाद ,साधु साहू, डीएसएन मूर्ति,नीलोत्पल शुक्ला, आर नायक ,संजय, मोहम्मद रिजवान,डा. प्रदीप राही, पी के राकेश आदि ने अपने विचार रखे।

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