जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कैप्टन सहित चार जवान शहीद
जम्मू. जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए एक कैप्टन समेत सेना के चार जवान शहीद हो गए। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि आतंकियों की तलाश और उनके सफाये के लिए अतिरिक्त बल भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों की पहचान कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी राजेश, सिपाही बिजेन्द्र और सिपाही अजय के रूप में हुई है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी समेत सेना के सभी रैंक के अधिकारियों ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।
पिछले तीन सप्ताह में डोडा जिले के जंगलों में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच यह तीसरी बड़ी मुठभेड़ है। यह ताजा घटना कठुआ जिले के दूरस्थ माचेड़ी वन क्षेत्र में सेना के गश्ती दल पर आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए हमले के एक सप्ताह बाद हुई है जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गए थे और कई घायल हो गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के जवानों ने सोमवार देर शाम डोडा शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर देसा वन क्षेत्र के धारी गोटे उरबागी में संयुक्त घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाया, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई।
उन्होंने बताया कि कुछ देर की गोलीबारी के बाद आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की, लेकिन एक अधिकारी के नेतृत्व में बहादुर जवानों ने दुर्गम इलाके और घने जंगल के बावजूद उनका पीछा किया, जिसके बाद रात करीब नौ बजे जंगल में फिर से गोलीबारी हुई।
अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गए और अधिकारी समेत चार जवानों ने बाद में दम तोड़ दिया। राज्यपाल सिन्हा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हम अपने सैनिकों की शहादत का बदला लेंगे और आतंकवादियों तथा उनके मददगारों के नापाक मंसूबों को नाकाम करेंगे। मैं लोगों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और हमें उनके बारे में जानकारी देने का आह्वान करता हूं ताकि हम आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज कर सकें तथा आतंकियों के तंत्र को बेअसर कर सकें।”
उन्होंने कहा, ‘‘डोडा जिले में हमारी सेना के जवानों और जम्मू-कश्मीर पुलिसकर्मियों पर हुए कायरतापूर्ण हमले की खबर से मुझे गहरा दुख हुआ है। हमारे देश की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि। शोक संतप्त परिवारों के सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।”
भारतीय सेना के अपर जन सूचना महानिदेशालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘भारतीय सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है।”
व्हाइट कोर के नाम से पहचाने जाने वाली सेना की 16वीं कोर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से डोडा के उत्तरी क्षेत्र में एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। रात लगभग नौ बजे आतंकवादियों से सामना हुआ जिसके बाद भारी गोलीबारी हुई।”
सेना की 16वीं कोर ने सोमवार देर रात कहा, ‘‘शुरुआती खबरों से पता चला है कि हमारे बहादुर जवान घायल हुए हैं। अतिरिक्त सैनिकों को क्षेत्र में भेजा गया है। अभियान जारी है।”
अधिकारियों ने बताया कि सेना और पुलिस ने सोमवार रात को ही अतिरिक्त बल को रवाना कर दिया था और मंगलवार की सुबह अधिक संख्या में जवानों के साथ क्षेत्र में नए सिरे से तलाशी अभियान शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि सेना के शीर्ष पैरा-कमांडो को तैनात किया है, जबकि नजर रखने के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर भी लगाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि मंगलवार को आतंकवादियों से अब तक सामना नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि वे सीमा पार से घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुए और पिछले कुछ महीनों से वन क्षेत्र में छिपे हुए हैं। नौ जुलाई को किश्तवाड़ जिले की सीमा से लगे घढ़ी भगवाह जंगल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के बाद आतंकवादी भाग गए थे। इससे पहले 26 जून को जिले के गंडोह इलाके में दिनभर चले अभियान में तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया था।
इसी तरह, 12 जून को भीषण गोलीबारी में पांच सैन्यकर्मी और एक विशेष पुलिस अधिकारी के घायल होने के बाद डोडा में आतंकवाद विरोधी अभियान तेज कर दिए गए थे। अगले दिन गंडोह में एक अन्य मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था।
जम्मू क्षेत्र 2005 से 2021 के बीच सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवाद का सफाया करने के बाद अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहा, लेकिन इस क्षेत्र में पिछले महीने आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई। इसमें तीर्थयात्रियों को लेकर जा रही बस पर हमला भी शामिल है जिसमें नौ लोग मारे गए थे और 40 घायल हो गए थे।