भारतेंदु साहित्य समिति का समारोह… वैचारिक महाकुंभ में छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों ने किया स्नान
बिलासपुर. भारतेंदु साहित्य समिति के तत्वाधान में बल्ले-बल्ले रेस्टोरेंट में उपन्यास मुई मरजानी का विमोचन करते मुख्य अतिथि प्रो.रामगोपाल सिंह ने कहा-केशव शुक्ला के उपन्यास मुई मरजानी का हिंदी समाज में भरपूर स्वागत होगा तथा विश्व साहित्य में विभिन्न भाषाओं में अनुदित होकर विश्व साहित्य में भी यह अपनी विशिष्ट पहचान कायम करेगा।
उन्होंने आगे कहा-इस उपन्यास में किन्नर समाज की जीवन गाथा प्रस्तुत की गई है।देश में प्रस्तुत किन्नर केंद्रित उपन्यासों की श्रृंखला में यह उपन्यास मील का पत्थर सिध्द होगा।इसमें किन्नर समाज का रामराज्य दर्शित है।इसमें पात्रों के उदार एवं उदात्त चरित्र को उभारा गया है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार के कुलपति डॉ.विनय कुमार पाठक ने कहा-मुई मरजानी सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण औपन्यासिक कृति है।यह सनातनी किन्नर केंद्रित अर्थात असली किन्नर के चरित्र के आधार पर लिखा गया है।उन्होंने यह भी कहा कि केशव शुक्ला सतत सृजनशील रहते हुए यहां की साहित्यिक परंपरा को बनाये हुए हैं साथ ही कुशल संपादन और समीक्षक का दायित्व भी निभा रहे हैं।किन्नर के प्रति नकारात्मक सोच- विचारों को सकारात्मक सोच- विचारों में बदले जाने की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि अमलनेर महाराष्ट्र से आये प्रो.डॉ.सुरेश माहेश्वरी ने कहा-केशव शुक्ला का उपन्यास सज रही गली मेरी माँ के तदंतर यह उपन्यास मुई मरजानी का प्रकाशन हुआ है।इस उपन्यास का लक्ष्य किन्नरों की आत्मचेतना को जगाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति चन्द्रभूषण वाजपेयी जी ने कहा-इस उपन्यास को पढ़ना आरंभ करने के बाद पाठक समाप्त करके ही छोड़ता है।इस उपन्यास को पढ़ते अनेक अदभुत अनुभूतियां हुईं।
विशिष्ट अतिथि भारतेंदु साहित्य समिति के विजय तिवारी जी ने केशव शुक्ला के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए कहा-अच्छा व्यक्ति ही अच्छा साहित्य रच सकता है।यह बात केशव जी से स्पष्ट हो जाती है।
विशिष्ट अतिथि महाराणा प्रताप महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.अनिता सिंह जी ने कहा-केशव जी के उपन्यास मुई मरजानी में आम आदमी गोलू रसोइया के दोस्त बंशी के माध्यम से किन्नर के प्रति जिस नजरिए की अभिव्यक्ति की है, निश्चय ही यह समाज को नयी दिशा देगी-“बंशी कहता है,हिजड़े भी तो आदमी होते हैं।भगवान ने उन्हें हिजड़ा बनाया इसमें उनका क्या दोष।”यदि पूरा समाज किन्नर के प्रति ऐसी ही मानवतावादी सोच रखे तो निश्चय ही किन्नर समाज से उपेक्षित व तिरस्कृत नहीं बल्कि समाज में मिलकर रहेंगे।
दर्जन भर से ज्यादा समितियों ने केशव का किया सम्मान
इस अवसर पर जहाँ अतिथियों द्वारा केशव शुक्ला को फूल माला, शाल श्रीफल एवं मोमेंटो भेंट करके सम्मानित किया गया वहीं छत्तीसगढ़ की साहित्यिक,कला,सांस्कृतिक समितियों तथा समाज सेवी संगठनों ने सम्मान किया। भारतेन्दु साहित्य समिति की ओर से वरिष्ठ कवि विजय तिवारी,ओमप्रकाश भट्ट मनीषा भट्ट, शैल अग्रवाल,रेणु,गुड्डा वाजपेयी राकेश खरे आकाशवाणी रायपुर से आये कार्यक्रम अधिशासी महेंद्र साहू जी आदि,प्रयास प्रकाशन की ओर से डाॅ.अरूण कुमार यदु जी,विश्व हिंदी परिषद नई दिल्ली के छत्तीसगढ़ प्रकोष्ठ द्वारा,नवनीत मानस समिति पुरान मुंगेली के विष्णुकुमार तिवारी ,पूर्णिमा तिवारी,डाॅ.अनिता सिंह,आभा गुप्ता, तुलसी साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ इकाई बिलासपुर की ओर से डॉ.राघवेन्द्र कुमार दुबे, शत्रुघन जैसवानी, राम निहोरा राजपूत,कुमार संतोष शर्मा , राजभाषा छत्तीसगढ़ी परिषद् की ओर से डॉ.विवेक तिवारी, शीतल प्रसाद पाटनवार ,दीनदयाल यादव, आदर्श कला मंदिर (नाट्य संस्था) के भरत वेद एवं अन्य पदाधिकारी द्वारा, सूर्योदया फिल्मस प्रोडक्शन के डॉ.सुनीलदत्त मिश्र,श्री सूर्या पुष्पा फाउंडेशन के गौरव शुक्ला एवं अन्य ,रावत नाच महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक डॉ.कालीचरण यादव ,कवि व्यंग्यकार अशरफी सोनी,कोटा की सुश्री एकता गुप्ता,ग्राम भरनी करिया मंदिर समिति के रामचंद्र पाठक, शीला पाठक,कहानीकार डॉ.सर्वेश पाठक एवं अन्य समितियों तथा साहित्यकारों द्वारा भी फूल माला, शाल,श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया ।
घरघोड़ा से आई कवयित्री डॉ.सुधा प्रज्ञा सम्मानित
इस अवसर पर घरघोड़ा से आईं दिव्यांग कवयित्री डाॅ. सुधा पंडा का सम्मान अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद् की ओर से कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ.विनय कुमार पाठक एवं महामंत्री मदन मोहन अग्रवाल ने शाल ,श्रीफल,स्मृति चिन्ह,प्रशस्ति पत्र भेंट कर किया।इस अवसर पर उनके भाई देवेंद्र पंडा जी मौजूद थे।
केशव ने अपने उपन्यास के संदर्भ में बताते कहा कि किन्नरों पर दो उपन्यास डॉ. विनय कुमार पाठक जी के ग्रँथ लैंगिक विकलांग विमर्श-दशा एवं दिशा से प्रभावित , प्रेरित होकर मैंने लिखा।
करू परिवार वालों का मारवाड़ की भाषा में प्रशस्ति पत्र
समारोह में आये साहित्यकार राजेंद्र रूंगटा ने कैरू परिवालों के प्रशस्ति पत्र का वाचन किया तथा उनके परिवार ने उपन्यासकार केशव शुक्ला का सम्मान किया।यह प्रशस्ति पत्र मारवाड़ की मारवाड़ी भाषा में लिखित है।
साहित्यग्राम व बुक्स क्लिनिक पब्लिकेशन ने किया सम्मान
उपन्यास मुई मरजानी के लेखक केशव का सम्मान साहित्यग्राम प्रकाशन की ओर से डॉयरेक्टर ऋचा सिंह ने एवं बुक्स क्लिनिक पब्लिकेशन की ओर से हीतेश सिंह बिसेन ने किया।इस अवसर पर उनके कर्मचारीगण भी मौजूद थे।
मुई मरजानी की कई किताबें बिकीं
समारोह के पश्चात “मुई मरजानी” उपन्यास की अनेक प्रतियां स्थल पर ही बिक गईं।पहली किताब महिला कथाकार डॉ.सर्वेश पाठक ने खरीदी।उन्होंने कहा-इस उपन्यास का मुखपृष्ठ अत्यंत आकर्षक है। समारोह के आरंभ में सरस्वती प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन के बाद स्वागत भाषण एवं अतिथियों का परिचय डॉ.ए.के यदु जी ने दिया।अंत में आभार प्रदर्शन भारतेंदु साहित्य समिति के वरिष्ठ साहित्यकार अमृतलाल पाठक जी ने किया।संपूर्ण कार्यक्रम का गरिमामय एवं कुशल संचालन सजलकार मयंक दुबे ने किया। छत्तीसगढ़ भर से आये साहित्यकार और नगर के प्रबुद्ध नागरिक लगभग 3 घण्टे चले कार्यक्रम मौजूद रहे हैं।
पुत्रवधु ने अपने ससुर के, लेखन कर्म पर प्रकाश डाला
उपन्यासकार के ज्येष्ठ पुत्रवधु प्रीति,शिवमंगल शुक्ल ने प्रकाश डालते कहा-पापा रात-रात भर लिखते पढ़ते रहते हैं ।उनके बिस्तर पर हमेशा अनेक किताबें रखी रहती हैं।पहले लगता था कि पापा क्या-क्या लिखते रहते हैं पर आज लगता है कि वे साहित्य ,समाज और परिवार के लिए महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।इस मौके पर श्रीमती अम्बी देवी,आकांक्षा शिवनन्दन,ईशानय, श्रीमती सूर्यकांति राजेंद्रकुमार , श्रीमती अपर्णा ,मानू ,रानू पंडा सहित पूरा परिवार मौजूद रहा है।