अक्षय तृतीया पर शोभा टाह फाउंडेशन ने किया सामूहिक विवाह का आयोजन, 10 जोड़ों ने लिए सात फेरे

 

बिलासपुर : सामाजिक समरसता और मानव सेवा की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहे शोभा टाह फाउंडेशन द्वारा अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर एक भव्य सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया गया। “कन्यादान महायज्ञ” नामक इस आयोजन के तहत कुल 10 वर-वधुओं का पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह संपन्न कराया गया। यह आयोजन फाउंडेशन द्वारा विगत 12 वर्षों से लगातार समाज हित में किया जा रहा है, जिससे न केवल जरूरतमंद परिवारों को सहयोग मिलता है बल्कि सामाजिक एकता और सादगीपूर्ण विवाह की मिसाल भी प्रस्तुत होती है।

कार्यक्रम में प्रत्येक जोड़े का विवाह मंत्रोच्चार और वैदिक विधियों के अनुसार सम्पन्न हुआ, जिसके अंतर्गत सात फेरों, मंगलसूत्र व दान-दक्षिणा की रस्में निभाई गईं। विवाह के उपरांत सभी नवविवाहित जोड़ों को फाउंडेशन की ओर से जीवन उपयोगी वस्तुओं के साथ दहेज स्वरूप गृहस्थी का सामान भी भेंट किया गया, जिसमें बर्तन, कपड़े, पलंग, अलमारी, पंखा, सिलाई मशीन आदि शामिल थे।

इस पावन अवसर पर शोभा टाह फाउंडेशन के संस्थापक अनिल टाह ने कहा कि समाज सेवा उनके जीवन का उद्देश्य है और जब तक संभव होगा, वे इसी तरह समाज के वंचित वर्ग के लोगों की सहायता करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि यह आयोजन उनके लिए एक परंपरा बन चुका है जिसे वे हर वर्ष अक्षय तृतीया पर बड़े श्रद्धा और समर्पण भाव से करते हैं। उन्होंने इस वर्ष 10 जोड़ों के सफलतापूर्वक विवाह होने पर खुशी जाहिर की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

इस भव्य कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री तोखन साहू, क्षेत्रीय विधायक श्री अमर अग्रवाल, बिलासपुर की महापौर श्रीमती पूजा विधानी, नगर पालिका के सभापति, पार्षदगण, समाजसेवी और अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही। केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं बल्कि सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा और दिखावटी खर्च पर भी रोक लगाते हैं। उन्होंने सभी नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद देते हुए उनके सफल, सुखद और समृद्ध वैवाहिक जीवन की कामना की।

कार्यक्रम के समापन पर सभी अतिथियों ने मिलकर नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया और सामूहिक भोज में भाग लेकर आयोजन को और भी गरिमामयी बनाया।

शोभा टाह फाउंडेशन का यह आयोजन समाज में एक प्रेरणास्पद उदाहरण है, जो यह सिद्ध करता है कि सामूहिक प्रयासों से किसी की जिंदगी को सवारा जा सकता है और परंपराओं को सहेजते हुए सामाजिक बदलाव लाया जा सकता है।

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