प्रदेश के 885 अस्पतालों में19वर्ष से नियमों को ताक में रख कर चल रही समितियां
रिन्युवल,बजट अनुमोदन,आम सभा,साधारण सभा नहीं फिर भी जीवनदीप समितियों वैध!
बिलासपुर. जिले सहित राज्य भर के 885 शासकीय अस्पतालों ( जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) में वर्ष 2006 -7 में जीवनदीप समितियां बनी,नियम कायदे तय हुए ,बाकायदा पंजीयन कराया गया। लेकिन इसके बाद आज तक पंजीयन का नवीनीकरण नहीं कराया गया न ही विधिवत किसी समिति की आमसभा हुई और न ही बजट का अनुमादन करवाया गया।
इस बीच जिला अस्पतालों से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में समितियां अवैधानिक रूप से संचालित होते आ रही हैं । सारे नियम कायदों को ताक में रख कर समितियां मरीजों से राशि वसूल करती रहीं साथ में शासन द्वारा प्रदाय किए जा रहे करोड़ों रुपए के अनुदान राशि में अनियमितता करने के साथ साथ संलग्न कर्मचारी अधिकारी अपने जेब में डाल रहे हैं । नियम के अनुसार हर वर्ष ऑडिट कराये जाने का प्रावधान है । लेकिन प्रदेश के किसी भी समिति ने स्थानीय निधि संपरीक्षा से ऑडिट नहीं कराई ।
छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने इसे गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2019- 20 में बिलासपुर जिला के 47 स्वास्थ्य केंदों में संचालित जीवनदीप समितियों का ऑडिट कराए जाने कलेक्टर बिलासपुर से अनुरोध करने पर पहली बार जिला चिकित्सालय, कोटा,तखतपुर, मस्तूरी और मानसिक चिकित्सालय ऑडिट कराया गया।
बिलासपुर जिला का बिल्हा ब्लॉक सहित प्रदेश की किसी भी समिति की ऑडिट आज तक नहीं कराई गई ।जबकि संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा ऑडिट कराने सभी cmho को निर्देश भी जारी किया जा चुका है । बावजूद किसी भी cmho ने निर्देश का पालन करना छोड़ समितियों में किए जा रहे भ्रष्टाचार को संरक्षण प्रदान करते आ रहे है ।
वर्ष 2016-17 में पहली बार समितियों ने किया क्रय समिति का गठन
2006से 2016 तक नियम विरुद्ध समितियों ने शासन द्वारा दिए गए अनुदान राशि ,मरीजों से प्राप्त राशि के साथ साथ दानदाताओं द्वारा भी दिए गए राशि से में से करोड़ों रुपए का खर्च दिखा कर वित्तीय अनियमितता को अंजाम दिया गया ।
भ्रष्टाचार का जरिया बनी हुई है जीवनदीप समितियां, प्रदेश के 885 जीवन दीप समिति में से प्रत्येक समिति को केंद्र शासन से जीवनदीप समिति, अनटाइड फंड,और मेंटनेंस ग्रांट नाम मद से प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए अनुदान के रूप में मिलता है । साथ ही dmf फंड से तथा आयुष्मान योजना से भी लाखों रुपए का आय होता है ।जिसका खूब बंदरबांट किया जाता है ।
सिर्फ पांच वर्ष की जांच में करोड़ों की अनियमितता आई सामने जिसकी विभागीय जांच कर दोषियों विरुद्ध कार्यवाही करने तथा दोषियों से राशि की वसूली की टिप के आधार पर विभागीय जांच शुरू
जिला चिकित्सालय बिलासपुर में 5,66,00000=00 की अनियमितता का खुलासा हुआ जिसे संबंधितों से वसूली योग्य माना है ।जिसके लिए दोषियों विरुद्ध विभागीय जांच शुरू हो चुका है ।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटा सहित 10 phc की जीवन दीप समितियों ने 20905816=00 की अनियमितता की गई । जिसमें से रतनपुर pch में हुए 5727180=00 की अनियमितता तथा 420000=00 की वसूली हेतु संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में दोष सिद्ध पाए जाने उपरांत विधिवत कार्यवाही हेतु संचालक ने उच्च स्तरीय जांच प्रारंभ कर दिया है ।
शेष सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हुए घोटालों की राशि वसूली हेतु cmho द्वारा नोटिश जारी किया जा चुका है ।
ऑडिटर को जीवन दीप समितियों के मठाधीश नहीं प्रस्तुत कर सके खर्च से संबंधित ये रिकॉर्ड👇
– वाह्य रोगी अतः रोगी एवं जांच कक्ष के रसीद बुक
– वाह्य रोगी ,अतः रोगी एवं जांच कक्ष की दैनिक संग्रहण
– कैश बुक
– व्यय प्रमाण
– चेक बुक
– बैंक पास बुक
– नहीं मिला बैठक रजिस्टर(आम सभा, साधारण सभा ,कार्यकारणी सभा)
– रसीद बुक स्टॉक रजिस्टर
– स्थाई- स्थाई एवं सामग्री उपकरण स्टॉक रजिस्टर
– पंजीयन नवीनीकरण दस्तावेज
– साधारण सभा एवं कार्यकारणी सभा में संशोधन कर समितियों में अध्यक्ष, सचिव ,सदस्य रखने आयोजित किए गए साधारण सभा में पारित निर्णय दस्तावेज तथा पंजीयक को प्रेषित दस्तावेज।
– जीवन दीप समितियों का बिना पंजीयन नवीनीकरण कराए तथा नियमों में बिना संशोधन कराए अपात्र एवं अमान्य अध्यक्ष, सचिव,सदस्य द्वारा अवैध जीवनदीप समितियों का अवैध रूप से वित्तीय संचालन
राज्य शासन द्वारा प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों में संचालित रोगी कल्याण समिति को विस्तार देते हुए 2006 जीवनदीप समिति का नाम देते हुए उसके संचालन हेतु जारी नीति निर्देश जिसमें संशोधन करने का अधिकार शासन को ही है ।किसी संचालक स्तर के अधिकारी को नहीं है ।मिशन संचालक nhm द्वारा 2010 में संशोधन करते हुए chc स्तर पर वित्तीय प्रबंधन के लिएकार्यकरणी सभा में ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक/ लेखा प्रबंधक(संविदा nhm) को द्वितीय हस्ताक्षरी / सदस्य रखा गया।वहीं phc स्तर पर कार्यकारणी सभा का अध्यक्ष तहसीलदार की जगह bmo तथा सदस्य के रूप में bpm को जोड़ा गया ।उक्त को मान्य करने के लिए साधारण सभा की बैठक कर विधिवत संशोधन निर्णय पारित कर निर्णय की प्रति पंजीयक रजिस्टार फर्म सोसाइटी को भेज कर अनुमोदन लेना था ।लेकिन प्रदेश के किसी भी समिति ने कोई बैठक नहीं की ।
आश्चर्य की बात यह भी है कि मिशन संचालक ने उक्त संशोधन के लिए शासन से न तो कोई अनुमति ली और न ही संशोधन करने की कोई सूचना दी ।
विगत 15 वर्षों से प्रदेश के 885 स्वास्थ्य केंद्रों में बिना पंजीयन नवीनीकरण कराए अवैध रूप से संचालित जीवनदीप समितियों को संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए उनके खातों में अंतरित करते आ रही है ।जो आम गरीब, लाचार मरीजों के उपचार के लिए आर्थिक सहयोग होना था उसे समितियों में अवैध रूप से बैठे अधिकारी बंदर बांट करते आ रहे है ।
विगत 20 वर्ष से संचालित885 जीवनदीप समितियों में से मात्र 47 समितियों का सीमित अवधि का किए गए वित्तीय अंकेक्षण में लगभग 15से 20 करोड़ की अनियमितता उजागर हुआ है ।
यदि 885 केंद्रों का अंकेक्षण कराया जाता है अनियमितता की राशि अरबों रुपए का होना पाया जाएगा ।