समकालीन कविता के शिल्प पर हुई ऐतिहासिक चर्चा

 

 

बिलासपुर. सांई आनंदम उसलापुर बिलासपुर में सजल,गीत,नवगीत और समकालीन कविता के शिल्प पर ऐतिहासिक साहित्यिक गोष्ठी एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि छंदशास्त्री ईश्वरी प्रसाद यादव, विशिष्ट अतिथि विजय राठौर, सतीश कुमार सिंह, रमेश चंद्र सोनी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार विजय तिवारी ने किया।
कार्यक्रम का प्रारंभ माता सरस्वती की पूजा-अर्चना और सरस्वती वंदना से हुई। तत्पश्चात मंचासीन अतिथियों एवं अध्यक्ष का शाल श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का स्वागत-वाचन मयंक मणि दुबे ने किया। उन्होंने अतिथियों का परिचय कराया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। सर्वप्रथम वरिष्ठ साहित्यकार रमेशचंद्र सोनी ने प्यारेलालगुप्त की जयंती पर उनको नमन करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर सभा को संबोधित किया ।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में कार्यशाला का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम सशक्त रचनाकार और पत्रकार रहे सतीश कुमार सिंह ने समकालीन कविता के उद्भव एवं विकास पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि मुक्तछंद कविताओं का अर्थ स्वच्छंद होना नहीं है। मुक्तछंद कविताओं में अंतर्लयता सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है।
इसके पश्चात् ‘सजल-ऋषि’ विजय राठौर ने काव्य की नई विधा सजल के शिल्प एवं मानकों से परिचित कराया। उल्लेखनीय है कि विजय राठौर के सजल पर पूरे देश में सर्वाधिक एकल संग्रह प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने मानक और अमानक सजलों में अंतर बताते हुए रचनाकारों से मानक सजल लिखने हेतु आह्वान किया।
जांजगीर से पधारे मुख्य अतिथि छंदशास्त्री ईश्वरी प्रसाद यादव ने गीत नवगीत के शिल्प से परिचित कराते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि गीतों में लय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने लय संबंधी समस्याओं का निदान हेतु नये रचनाकारों को हनुमान चालीसा और तुलसी की चौपाइयां के नियमित पठन करने को कहा ।
अध्यक्ष की आसंदी से वरिष्ठ साहित्यकार एवं गीतकार विजय तिवारी ने विभिन्न नगरों एवं आसपास के क्षेत्रों से साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संबंध विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया और आज के कार्यक्रम को इस श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी बताया।कार्यक्रम का संचालन हरवंश शुक्ला ने एवं आभार प्रदर्शन अमृतलाल पाठक ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शहर एवं आसपास के 30 से अधिक रचनाकारों ने काव्य-पाठ किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विजय तिवारी, अमृतलाल पाठक, ओमप्रकाश भट्ट, रेखराम साहू, हरवंश शुक्ला, मयंक मणि दुबे, अशर्फीलाल सोनी, हूपसिंह क्षत्रिय, राकेश पाण्डेय, विनय पाठक आदि का विशेष सहयोग रहा।
काव्य सत्र में उषा तिवारी, मनीषा भट्ट, आरती राय, द्रौपदी साहू, बसंत पांडेय ऋतुराज, अजय शर्मा, डॉ.रामनिवास साहू,आर सी श्रीवास्तव, दिनेश जाधव, मदन सिंह ठाकुर, सत्येन्द्र तिवारी, एन के शुक्ला, राकेश खरे, जगतारण डाहिरे, गजानन पात्रके, अशोक वाजपेयी, राजेन्द्र तिवारी, दीपक दुबे , अनमोल सिन्हा, एम डी मानिकपुरी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

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