उपवास के बीच दिनभर चले पैदल,आदिवासी गांव में सुशांत ने बिताई रात
ध्वजा थामें विधायक को देख लोगों में कौतूहल,ग्रामीण कर रहे स्वागत
बिलासपुर. ध्वजायात्रा का नाम देकर बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला द्वारा की जा रही पदयात्रा पहले ही दिन से लोगो के बीच चर्चा का विषय बन गई क्षेत्र के बड़े जनप्रतिनिधि को हांथ में ध्वज लिए सतत पैदल चलते देखना कोई आम नज़ारा नहीं था जिसने भी देखा उनके लिए यह दृश्य किसी कौतूहल से कम न था उमस भरी गर्मी के बीच दिन की दुपहरी में भक्ति के रंग से सराबोर पैदल चल रहे विधायक सुशांत शुक्ला राहगीरों के लिए आकर्षक का केंद्र बने रहे उनकी यात्रा जिस गांवों से होकर गुजरी वहां के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा उनके साथ पैदल चलने वालों का एक बड़ा जत्था है जो हाथों में भगवा ध्वज लिए वातावरण को और भी मोहक बना रहे हैं यात्रा का नेतृत्व रथ पर सजी मां महामाया का दरबार कर रही जिनके पीछे पूरे जत्था को चलना होता है इस पूरे यात्रकाल में विधायक ने उपवास धारण किया हुआ है वे आहार के नाम पर केवल नींबू पानी का सेवन करते हैं ध्वजा यात्रा यात्रा जिस गांव टोली मोहल्ले में गुजरती है सहज ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच ले रही गांव के मुहानों महिलाओं और पुरुषों के समूह भजन मंडलियों के साथ यात्रा की स्वागत व अगुवानी कर रहे विधायक सुशांत शुक्ला गांव में स्थित माताचौरा और देवालयों पर मत्था टेक ध्वजा भेंट कर बुजुर्गों का आशीष प्राप्त कर अपने साथियों सहित अगले गंतव्य की ओर बढ़ जाते हैं पूरा यात्रा इसी क्रम से अनवरत चल रही है सोमवार की रात उनके जत्थे ने आदिवासी अंचल के ग्राम कोरबी के देवी मंदिर परिसर में डेरा जमाया जहां पहले से ही छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य परंपरा पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम की व्यवस्था की गई थी देर रात तक कलाकारों की भक्तिमय प्रस्तुति ने आसपास से आए बनवासी क्षेत्र के जन समुदाय को भावविभोर कर दिया वे अपने को भक्ति से भरे माता की जसजीत पर थिरकने से रोक अपने को नहीं पाए देर रात में सामूहिक भोजन प्रसाद पा कर सभी ने विश्राम किया विधायक सुशांत शुक्ला इस यात्रा को पूरी तरह से गैरराजनीतिक यात्रा बताते हैं अतः वे जाति,संप्रदाय और दलगत राजनीति से परे जाकर कर जन समुदाय को इस यात्रा से जुड़ने आव्हान करते अक्सर नजर रहे हैं वे इस यात्रा का उद्देश्य को लेकर कहते हैं कि समाज के वंचित वर्गों के जीवन में समृद्धि और सुदूर ग्रामीण अंचलों सनातन संस्कृति के व्यापक प्रचार प्रसार को केन्द्र बिन्दु बना कर ध्वजा यात्रा की गई है जो सुदूर बसे आदिवासी अंचलों से लेकर ग्रामीण और नगरीय आबादी से होते कुल 171 किलोमीटर की यात्रा करेगी.