छत्तीसगढ़ प्रकृति, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संगम – डॉ. पाठक
छत्तीसगढ़ के पर्यटन की दशा-दिशा पर हुआ सार्थक विमर्श*
बिलासपुर। विश्व पर्यटन दिवस 27 सितम्बर के उपलक्ष्य में, पर्यावरण एवं पर्यटन विकास समिति और प्रयास प्रकाशन साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भवन बिलासपुर में किया गया। संयोजक डॉ विवेक तिवारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटन के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की संभावनाओं पर गहन विमर्श करने हेतु यह आयोजन किया गया है।
यह कार्यक्रम डॉ. विनय कुमार पाठक कुलपति थावे विद्यापीठ बिहार के मुख्य आतिथ्य, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राघवेंद्र दुबे प्रांतीय अध्यक्ष प्रयास प्रकाशन साहित्य अकादमी तथा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विष्णु तिवारी और डॉ. बजरंगबली शर्मा के विशेष आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के पर्यटन की दशा एवं दिशा पर उद्बोधन के क्रम में
मुख्य अतिथि डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि-
“विश्व पर्यटन दिवस के इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर आप सभी को बधाई देता हूँ। छत्तीसगढ़, प्रकृति, संस्कृति और इतिहास का अद्भुत संगम है। हमारे राज्य की वनाच्छादित भूमि, मनमोहक जलप्रपात जैसे चित्रकोट और तीरथगढ़, प्राचीन गुफाएँ जैसे कोटमसर,रामगढ़ और पुरातात्विक स्थल जैसे तालागाँव, रतनपुर, मल्हार इसे इको-टूरिज्म के लिए एक वरदान बनाते हैं। छत्तीसगढ़ के पर्यटन की दशा वर्तमान में प्रगतिशील है, लेकिन इसकी दिशा को और अधिक स्पष्ट और दूरगामी बनाने की आवश्यकता है। हमें बुनियादी ढाँचे के विकास, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और पर्यटन को स्थायी बनाने पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि यह केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संरक्षण का भी माध्यम बन सके।”
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. राघवेंद्र दुबे ने कहा कि-
“पर्यटन केवल सैर-सपाटा नहीं है, यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन की दिशा को सांस्कृतिक पर्यटन और एडवेंचर टूरिज्म की ओर मोड़ने की अपार संभावनाएँ हैं। भोरमदेव को ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ कहा जाता है, जो हमारे समृद्ध इतिहास का प्रमाण है। हमें राम वन गमन मार्ग तथा नई टूरिज्म सर्किट विकसित करने की जरूरत है जो जगदलपुर के प्राकृतिक सौंदर्य, बिलासपुर के पुरातात्विक स्थलों और रायपुर के आस-पास के धार्मिक स्थानों को एक साथ जोड़ें तथा पर्यटन से विद्यार्थियों को जोड़े जाने की आवश्यकता है। तथा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन का मुख्य स्रोत बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
विशेष अतिथि डॉ. विष्णु तिवारी ने कहा-
“मैं मानता हूँ कि छत्तीसगढ़ का पर्यटन अपनी आदिवासी संस्कृति और वन्यजीव से गहराई से जुड़ा है। पर्यटन की दिशा में हमें अपनी अद्वितीय पहचान को प्राथमिकता देनी होगी। बस्तर की जनजातीय कला, शिल्प और जीवनशैली अपने आप में एक प्रमुख आकर्षण है। हमें होम-स्टे को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे पर्यटक छत्तीसगढ़ की वास्तविक आत्मा का अनुभव कर सकें। यह न केवल पर्यटकों को एक समृद्ध अनुभव देगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सीधे लाभान्वित करेगा और हमारी संस्कृति के संरक्षण में सहायता करेगा।”
डॉ. बजरंगबली शर्मा ने कहा कि-
“तकनीक और डिजिटल मार्केटिंग आज के पर्यटन की नई दिशा है। छत्तीसगढ़ के अद्भुत प्राकृतिक स्थलों की जानकारी आज भी देश और दुनिया के एक बड़े वर्ग तक नहीं पहुँची है। हमें ऑनलाइन प्रचार-प्रसार को मजबूत करना होगा। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आकर्षक वीडियो और सामग्री के माध्यम से चित्रकोट जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और अन्य कम-ज्ञात रत्नों को प्रदर्शित करना चाहिए। ई-टूरिज्म को बढ़ावा देकर हम पर्यटकों की संख्या में कई गुना वृद्धि कर सकते हैं।”
संयोजक डॉ. विवेक तिवारी ने कहा कि-
“सभी सम्मानित अतिथियों के विचारों से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ का पर्यटन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। हाल ही में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कारों की घोषणा की है, और बस्तर को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला है। यह दिखाता है कि हमारी दिशा सही है। अब हमें इन प्रयासों को निरंतर जारी रखते हुए पर्यटकों की सुरक्षा, स्वच्छता और सुगम पहुँच पर जोर देना होगा। “पर्यटन को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता है ताकि नई पीढ़ी छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के बारे में जान सके और उसके विकास में सहभागी बन सके । हमें छत्तीसगढ़ को भारत के नक्शे पर एक ‘इको-फ्रेंडली और कल्चरल टूरिज्म डेस्टिनेशन’ के रूप में स्थापित करना होगा।”
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. विवेक तिवारी अध्यक्ष पर्यावरण एवं पर्यटन विकास समिति ने किया और शत्रुघन जैसवानी ने उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर डाॅ गजेन्द्र तिवारी, रमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी,आशीष श्रीवास , महेंद्र दुबे, सनत तिवारी, राम निहोरा राजपूत , शीतल प्रसाद पाटनवार, राजेश सोनार,बालगोविंद अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित थे।