बाल विवाह रोकथाम के लिए शादी सेवा प्रदाताओं से प्रशासन की अपील

 

कानून का उल्लंघन करने पर दो वर्ष की सजा एवं जुर्माने का प्रावधान

बिलासपुर. जिला प्रशासन ने जिले के समस्त शादी सेवा प्रदाताओं पंडित, काजी, मौलवी, फादर, पादरी, प्रीस्ट, ग्रंथी, वैवाहिक पत्रिका प्रिंटर्स, टेंट संचालक, शादी भवनों के प्रबंधक, कैटरर्स, लाइटमेन, बैंड, डीजे संचालक, डेकोरेटर्स, मिठाई दुकान संचालक, पार्लर संचालक एवं ज्वेलरी दुकान संचालकों से बाल विवाह रोकथाम में सहयोग करने की अपील की है।
महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह न केवल एक सामाजिक बुराई है, बल्कि कानूनन अपराध भी है, जिससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास प्रभावित होता है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर, मातृ-मृत्यु दर और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं। बाल विवाह प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2016 के तहत विवाह के लिए बालक की न्यूनतम आयु 21 वर्ष एवं बालिका की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है। अधिनियम की धारा 10 एवं 11 के अंतर्गत जो कोई भी बाल विवाह को संपन्न, संचालित, निर्दिष्ट या प्रेरित करेगा, उसे दो वर्ष तक का कठोर कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
उन्होंने शादी सेवा प्रदाताओं से आग्रह किया है कि वे विवाह से पहले वर-वधु की आयु की दस्तावेजों के माध्यम से पुष्टि अवश्य करें और केवल वैध आयु पूर्ण होने के बाद ही अपनी सेवाएँ प्रदान करें। इसके साथ ही आम नागरिकों से अपील की गई है कि यदि कहीं बाल विवाह की सूचना प्राप्त हो, तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, आपातकालीन सहायता प्रणाली 112, या निकटतम थाने में सूचना दें।

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