सिम्स में दोनों पैरों में पोलियो और रीढ़ में विकृति से पीड़ित महिला की सफल सर्जरी

कई निजी अस्पतालों ने किया इनकार, सिम्स की टीम ने स्वीकार की चुनौती और दी नई जिंदगी

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स), बिलासपुर के डॉक्टरों ने एक अत्यंत जटिल और जोखिमपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। मरीज दोनों पैरों में पोलियो एवं रीढ़ की हड्डी में गंभीर विकृति से पीड़ित थीं, जिसके कारण उनका चलना-फिरना अत्यंत कठिन हो गया था। पिछले कई महीनों से वे पेट में तेज दर्द और असहनीय तकलीफ झेल रही थीं। महिला ने शहर के कई निजी अस्पतालों में इलाज कराया, परंतु जटिल शारीरिक स्थिति और अत्यधिक जोखिम को देखते हुए किसी ने भी सर्जरी का दायित्व नहीं लिया। अंततः सिम्स के चिकित्सकों ने यह चुनौती स्वीकार की और सफल ऑपरेशन कर एक मिसाल कायम की।
जांच के दौरान मरीज के गर्भाशय में लगभग 16 सप्ताह के गर्भ के आकार की बड़ी गांठ (ट्यूमर) पाई गई, जिसे सर्जरी के दौरान सुरक्षित रूप से निकाला गया। यह ऑपरेशन आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क में किया गया है। सर्जरी का नेतृत्व डॉ. संगीता रमन जोगी, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग ने किया। उनकी टीम में डॉ. दीपिका सिंह, डॉ. रचना जैन (एसोसिएट प्रोफेसर) और डॉ. दीक्षा चंद्राकर (पीजी रेज़िडेंट) शामिल रहीं। एनेस्थीसिया टीम का मार्गदर्शन डॉ. मधुमिता मूर्ति, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, एनेस्थीसिया विभाग ने किया। टीम में डॉ. भावना रॉयजादा, डॉ. श्वेता कुजूर एवं डॉ. मिल्टन देबर्मन डॉ सुरभि बंजारे शामिल थे, जिन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में भी एनेस्थीसिया को अत्यंत कुशलता से प्रबंधित किया। सर्जरी के उपरांत मरीज की स्थिति पूरी तरह स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रही हैं।
इस अवसर पर सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने कहा कि “यह सर्जरी सिम्स संस्थान की चिकित्सा क्षमताओं, विशेषज्ञता और टीमवर्क का उत्कृष्ट उदाहरण है। हमारे चिकित्सक हर चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में मरीजों को सर्वाेत्तम इलाज प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने कहा कि सिम्स बिलासपुर की यह उपलब्धि चिकित्सा क्षेत्र में समर्पण, निष्ठा और उत्कृष्टता का प्रेरक उदाहरण है, जिसने यह सिद्ध किया है कि दृढ़ निश्चय और सामूहिक प्रयास से किसी भी कठिनाई को परास्त किया जा सकता है।

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