November 14, 2025
धान खरीदी तिथि में एक दिन बची है, सोसायटी में कोई तैयारी नहीं – दीपक बैज
सरकार की दुर्भावना से किसान और सोसायटी कर्मचारी संशय में
सरकार सोसायटी कर्मचारी, डाटा एंट्री आपरेटरों की हड़ताल खत्म कराये
रायपुर. समर्थन मूल्य पर धान के उपार्जन को लेकर सरकार की तैयारी पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि सरकार के ही तय समय से एक दिन बचा है धान खरीदी शुरू होने में लेकिन अब तक ना टोकन वितरण शुरू हुआ है, ना बारदानों का समुचित प्रबंध है ना ही तौल और माश्चर मशीनो की जांच हो पाई है। धान खरीदी समय पर होगी, इसमें संशय दिख रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि संग्रहण केंद्रों में भारी अव्यवस्था है, सरकार की उपेक्षा से सहकारी समितियों के कर्मचारी हड़ताल है, कम्प्यूटर ऑपरेटर और डाटा एंट्री सहायक आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं जिसके चलते पूरी व्यवस्था ठप्प है, सरकार के अनिर्णय की स्थिति से छत्तीसगढ़ के किसान चिंतित हैं, उनकी जायज़ मांगों पर ध्यान देने के बजाय आंदोलन को बल पूर्वक कुचला जा रहा है, कई जिलों में वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर पटवारी और पंचायत विभाग के कर्मचारियों को बिना प्रशिक्षण के धान उपार्जन में ड्यूटी करने आदेशित किया जा रहा है, जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं, आखिर कैसे शुरू होगी धान खरीदी?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि धान खरीदी को लेकर सरकार की तैयारी केवल कागजों तक ही सीमित है, जमीनी स्तर पर पूरी व्यवस्था अस्त व्यस्त है। समिति कर्मचारी अपनी जायज मांगों को लेकर सरकार को महीनों से चेतावनी दे रहे हैं, पहले भी आंदोलन हुए, पिछले खरीफ सीजन के धान उपार्जन के दौरान समिति कर्मचारियों से भाजपा की सरकार ने लिखित में आश्वासन दिया था कि उनकी मांगे पूरी की जाएगी लेकिन तब भी कर्मचारियों से वादाखिलाफी की गई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि प्रदेश के 2739 उपार्जन केंद्रों में अब तक न तौलाई की व्यवस्था हो पाई है और न ही परिवहन, मिलिंग की। भाजपा सरकार के इसी तरह के अडियल रवैया के चलते सहकारी सोसाइटियों को पिछले करीब सीजन में 11000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ था सरकार के को प्रबंधन के चलते सहकारी सोसाइटियों की माली हालत दिनों दिन खराब हो रही है समय पर उठाव नहीं होने और केंद्रीय पूर्व में चावल की कम खरीदी के चलते धन खराब होते हैं जिसका नुकसान की भरपाई या सरकार पूरी तरह से नहीं करती। लगातार हो रहे छति से समितियां पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ा है, जिसका सीधा नुकसान समितियों के शेयर होल्डर किसान और संबंधित सहकारी समितियों के कर्मचारियों पर पड़ रहा है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के समय धान के उठाव में विलंब पर सुखत (शॉर्टेज) की शत प्रतिशत क्षति राज्य सरकार के द्वारा किया जाता था लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से समितियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा कर ब्लैकलिस्टेड किया जा रहा है। यह सरकार किसान विरोधी है, सहकारिता विरोधी है, कर्मचारी विरोधी है।


