तालियों की गूंज के बीच प्रीति झंगियानी की उपलब्धि का उत्सव

मुंबई /अनिल बेदाग : कुछ उपलब्धियाँ सिर्फ सम्मान नहीं होतीं, वे एक नई पहचान की घोषणा होती हैं। अभिनेत्री प्रीति झंगियानी के लिए वूमनप्रेन्योर इंडिया अवॉर्ड्स में मिली यह बड़ी जीत ठीक वैसी ही थी जहाँ तालियों की गूंज के बीच उनकी उस यात्रा का उत्सव मनाया गया, जो सिनेमा की दुनिया से आगे बढ़कर आत्मनिर्भरता, नेतृत्व और उद्देश्य से जुड़ी उद्यमिता तक पहुँची है।
सिल्वर स्क्रीन पर अपनी सादगी और प्रभावशाली उपस्थिति से दर्शकों का दिल जीतने वाली प्रीति के लिए यह सम्मान बेहद व्यक्तिगत रहा। यह केवल एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि वर्षों की शांत मेहनत, निरंतर सीख और आत्मविश्वास के साथ लिए गए फैसलों की मान्यता थी। मंच पर उनकी मुस्कान कृतज्ञता और संतोष का ऐसा भाव रच रही थी, जो हर उस महिला की कहानी कहती है जो बदलाव को अपनाने का साहस करती है।
प्रीति झंगियानी की कहानी इस बात की मिसाल है कि सफलता किसी एक पहचान या भूमिका में सीमित नहीं रहती। उन्होंने सुर्खियों की चकाचौंध से आगे निकलकर खुद को नए रूप में ढाला—जहाँ नेतृत्व, जिम्मेदारी और नवाचार उनके नए साथी बने। यह बदलाव सहज नहीं था, लेकिन उनके संकल्प और स्पष्ट दृष्टि ने उन्हें आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाया।
इस सम्मान की खास बात इसके पीछे छिपी मानवीय कहानी है। एक ऐसी महिला की कहानी जिसने आराम के दायरे से बाहर निकलकर विकास को चुना। उनकी यात्रा आज उन असंख्य महिलाओं को प्रेरित कर रही है, जो अपने सपनों और संभावनाओं के बीच सेतु बनाना चाहती हैं, चाहे उनकी शुरुआत किसी भी क्षेत्र से क्यों न हुई हो।
वूमनप्रेन्योर इंडिया अवॉर्ड्स का उद्देश्य उन महिलाओं को पहचान देना है जो बाधाओं को तोड़ती हैं, उद्देश्य के साथ नेतृत्व करती हैं और दूसरों के लिए रास्ते बनाती हैं। प्रीति झंगियानी का यह सम्मान उसी भावना का सशक्त प्रतिबिंब है जहाँ शक्ति, अनुकूलनशीलता और निरंतर आगे बढ़ने की चाह का उत्सव मनाया गया। प्रीति झंगियानी की यह जीत आने वाली पीढ़ी की महिलाओं के लिए एक स्पष्ट संदेश है: बड़े सपने देखिए, निडर होकर आगे बढ़िए, और अपनी पहचान खुद गढ़िए।

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