WHO की सफाई, कहा कुछ छिपाया नहीं गया, वायरस का खतरा शुरुआत में ही बता दिया गया था
नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को जोर देते हुए कहा कि उसने शुरुआत से ही नोवल कोरोनो वायरस (Coronavirus) के बारे में चेता दिया था और इस घातक महामारी के बारे में वाशिंगटन से कुछ नहीं छिपाया था.
WHO के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रियेसस ने कहा कि अमेरिका ने चीन में प्रारंभिक COVID-19 के प्रकोप को कथित रूप से कम बताने के लिए नाराजगी जाहिर की थी लेकिन यूएन एजेंसी ने इस बाबत कोई भी बात नहीं छिपाई. जिनेवा में एक बैठक में टेड्रोस ने कहा ‘हम पहले दिन से चेतावनी दे रहे हैं कि यह एक शैतान है जिससे हर किसी को लड़ना चाहिए.’
एफपी टैली के अनुसार, चीन के शहर वुहान से पिछले साल के अंत में निकले इस वायरस से अब तक वैश्विक स्तर पर 2.4 मिलियन से ज्यादा लोग संक्रमित हुए और 165,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
संयुक्त राज्य अमेरिका का आंकड़ा किसी भी अन्य देश से कहीं ज्यादा है. यहां 40,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को महामारी से निपटने को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है.
अमेरिका WHO का सबसे बड़ा अंशदाता रहा है, लेकिन ट्रम्प ने ये कहकर फंडिंग रोक दी है कि संगठन की भूमिका सही नहीं है और इसने वायरस के फैलने की बात को छिपाया है.
टेड्रोस ने कहा कि जिनेवा में WHO मुख्यालय में काम कर रहे अमेरिकी सरकार के दूसरे सदस्यों की उपस्थिति का मतलब ही यही है कि अमेरिका से कुछ भी छिपाया नहीं जा रहा था.
WHO ने कहा कि अमेरिका की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी, CDC के 15 कर्मचारी विशेष रूप से अपने कोविड-19 पर संगठन के साथ काम कर रहे थे.
टेड्रोस ने कहा कि, ‘CDC स्टाफ के होने का मतलब है कि पहले दिन से ही अमेरिका से कुछ भी छिपा नहीं गया. क्योंकि ये अमेरिकी हैं जो हमारे साथ काम कर रहे हैं. यह स्वाभाविक है, उन्होंने वही बताया जो वो कर रहे हैं. WHO एकदम स्पष्ट है. हम कुछ भी नहीं छिपाते. न केवल सीडीसी के लिए ही संदेश नहीं भेजते, बल्कि हम चाहते हैं कि सभी देशों को तुरंत वो संदेश मिले क्योंकि इससे देशों को ठीक से और जल्द तैयार होने में मदद मिलती है.’
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि WHO ने कोविड-19 पर चेतावनी देने में देरी की और चीन के प्रति इनका व्यवहार एकदम अलग है. WHO से सवाल किया गया कि उसने 31 दिसंबर को ताइवान से सुराग क्यों नहीं लिया जब वुहान मामले में ताइवान ने ईमेल के जरिए WHO को निमोनिया के बारे में जानकारी दी थी, जिसकी वजह से 7 मरीजों को आइसोलेट करने की बात कही गई थी, जबकि इस तरह के गैर संक्रामक रोग के लिए ऐसा कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं थी.
अमेरिका ने गुरुवार को कहा था कि ‘हम इस बात से बेहद परेशान हैं कि ताइवान की जानकारी वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय से छिपाई गई, और 14 जनवरी, 2020 को ये बताया गया कि इसमें मानव-से-मानव संचरण के कोई संकेत नहीं थे.’
लेकिन टेड्रोस ने जोर देकर कहा कि WHO वुहान से आने वाली सभी रिपोर्ट के बारे में पहले से ही जानता था और कहा कि ताइवान का ईमेल केवल आगे की जानकारी मांग रहा था. टेड्रोस ने कहा, ‘एक बात स्पष्ट होनी चाहिए कि पहला ईमेल ताइवान का नहीं था. बाकी देश भी इसपर पहले से स्पष्टीकरण मांग रहे थे. पहली रिपोर्ट वुहान से आई थी.’ उन्होंने अस बात पर जोर दिया कि ताइवान ने किसी भी तरह के मानव-से-मानव संचरण की बात नहीं की.
WHO के आपात निदेशक माइकल रयान ने कहा कि ईमेल में किसी भी और चीज के बारे में नहीं कहा गया था सिवाए उन बातों के बारे में जो पहले से ही समाचार मीडिया में रिपोर्ट की जा रही थीं. उन्होंने बताया कि एटिपिकल निमोनिया के क्लस्टर असामान्य नहीं हैं. किसी भी साल दुनिया भर में एटिपिकल निमोनिया के लाखों मामले सामने आते हैं. रयान ने कहा कि WHO ने 4 जनवरी को वुहान में हो रही घटना को लेकर ट्वीट किया और 5 जनवरी को इस महामारी पर विस्तृत जानकारी प्रदान की, जिससे सभी देश इस बारे में जान सकें.
टेड्रोस ने नेताओं से आग्रह किया कि वो अपनी राजनीति के लिए महामारी का सहारा न लें. उन्होंने कहा कि, ‘इस वायरस का इस्तेमाल एक दूसरे के खिलाफ लड़ने या फिर राजनीतिक लाभ लेने के लिए न करें. यह आग से खेलने जैसा है. यह राजनीतिक समस्या है जो इस महामारी को और भड़का सकती है.’