US की एक मीट फैक्ट्री कैसे बन गई ‘कोरोना फैक्ट्री’? ये है अमेरिका में फैले महाविनाश की कहानी


न्यूयॉर्क. अमेरिका (America) में कोरोना (Coronavirus) से मौतों का आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच गया है. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) बार-बार ये दावा कर रहे हैं कि धीरे-धीरे अमेरिका में कोरोना काबू में आ रहा है लेकिन उनका दावा हकीकत से कोसों दूर है. डॉनल्ड ट्रंप की नाक के नीचे अमेरिका की सबसे बड़ी कोरोना की ‘फैक्ट्री’ में वायरस का प्रोडक्शन चल रहा था, उन्हें पता ही नहीं चला.

चीन के वुहान मीट मार्केट के बाद अब अमेरिका की एक मीट फैक्ट्री की वजह से वहां के साउथ डकोटा राज्य में 55% लोगों में कोरोना संक्रमण होने की आशंका है. इस मीट फैक्ट्री के 3700 में 725 कर्मचारी संक्रमित हैं और यहां से लगातार मीट की सप्लाई हो रही थी. ऐसे में सवाल ये है कि क्या मीट फैक्ट्री से लोगों को कोरोना की सप्लाई हो रही थी.

पूरी दुनिया में कोरोना का सबसे बड़ा अटैक झेल रहे अमेरिका के हालात सुधरने की बजाए बिगड़ते ही जा रहे हैं. अमेरिका में कोरोना से मौत का आंकड़ा 50 हजार पहुंच गया है. अमेरिका में हालात इतने बुरे होने के पीछे वजह है अमेरिका में बरती गई लापरवाही. लापरवाही का एक बड़ा सबूत है अमेरिका के साउथ डकोटा की एक मीट फैक्ट्री.

अमेरिका के साउथ डकोटा (South Dakota) में स्मिथफील्ड (Smithfield) की फैक्ट्री अमेरिका में कोरोना की सबसे बड़ी फैक्ट्री बन गई है. स्मिथफील्ड अमेरिका के पोर्क मीट का सबसे बड़ा ब्रांड है. इस फैक्ट्री में कोरोना का संक्रमण जंगल में लगी आग की तरह फैलता चला गया.

कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से स्मिथफील्ड की ये फैक्ट्री शहर की चौथी सबसे बड़ी फैक्ट्री है. इतनी बड़ी फैक्ट्री में कोरोना संक्रमण का मामला आया और वो दीमक की तरह फैलता ही चला गया.

यहां पहले हफ्ते में 80 कर्मचारी संक्रमित हुए. दूसरे हफ्ते में 190 और तीसरे हफ्ते में 238 कर्मचारी वायरस की चपेट में आ गए. अब ये आंकड़ा 700 के पार पहुंच गया है.

अमेरिका की इस नौवीं सबसे बड़ी मीट फैक्ट्री ने अपने हजारों कर्मचारियों के साथ-साथ लाखों अमेरिकियों की जान भी खतरे में डालने का काम किया है.  फैक्ट्री में करीब 3700 कर्मचारी दिन रात काम करते हैं. यहां हर दिन 19,500 पोर्क मीट के टुकड़े काटे जाते हैं, उन्हें भूना जाता है. यहां से निकलने वाले मीट की पूरे अमेरिका में सप्लाई होती है.

स्मीथफील्ड की इस फैक्ट्री ने कोरोना को लेकर घनघोर लापरवाही बरती. इस फैक्ट्री में कोरोना आग की तरह फैल चुका था लेकिन तब भी यहां से मीट करोड़ों लोगों तक पहुंचाया जाता रहा.

इस फैक्ट्री में सबसे पहले सांतवे फ्लोर पर काम करने वाले एक कर्मचारी की मौत हुई. जिसके बाद पता चला कि उसकी मौत कोरोना संक्रमण से हुई है. एक कर्मचारी की मौत के बाद कोरोना के मामले लगातार बढ़ते चले गए. लॉकडाउन होने के बावजूद ये फैक्ट्री खुली रही.

जब इस फैक्ट्री के कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 700 पहुंच गई तब जाकर स्थानीय प्रशासन की नींद खुली और 15 अप्रैल को इस फैक्ट्री को सील किया गया. तब तक हजारों टन मीट यहां से अमेरिका के अलग-अलग शहरों में पहुंचाए जा चुके थे. अब अमेरिका के लिए सबसे बड़ी मुसीबत इस बात का पता लगाना है कि इस फैक्ट्री से निकले मीट कहां-कहां तक पहुंचाए गए और उससे कितने लोग कोरोना संक्रमित हुए.

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