पारिवारिक संबंधों पर पड़ रहा असर, ब्रिटेन में घरेलू हिंसा का रिकॉर्ड टूटा


लंदन. कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) जैसे प्रयासों के जहां सकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं, वहीं इनका एक नकारात्मक पहलु भी है. लॉकडाउन ने लोगों को घरों तक सीमित कर दिया है, और इसका असर उनके पारिवारिक संबंधों पर भी हो रहा है. हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसने भारत में लॉकडाउन अवधि के दौरान घरेलू हिंसा के बढ़ते मामलों पर प्रकाश डाला था, अब विकसित ब्रिटेन से भी ऐसी ही जानकारी सामने आई है. लंदन में 9 मार्च से 19 अप्रैल तक घरेलू हिंसा के लिए कम से कम 4,093 लोगों को गिरफ्तार किया गया, यानी औसतन एक दिन में 100 लोगों की गिरफ़्तारी. मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार, पिछले साल की तुलना में घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी दर्ज की गई है. इसकी एक प्रमुख वजह COVID-19 के लक्षण वाले लोगों को घरों में सेल्फ-आइसोलेशन में रखना है. 9 मार्च से ही इसमें लगभग 24 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय है.

पुलिस ने बताया कि पारिवारिक कलह से उपजी घरेलू हिंसा के मामले भी पिछले साल की तुलना में 3 प्रतिशत बढ़े हैं और 9 मार्च से 19 अप्रैल के दौरान इनमें 9 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस तरह के मामलों को अपराध के रूप में दर्ज नहीं किया जाता. पुलिस को हर रोज घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों से निपटना पड़ रहा है. एक मामले में जब पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार किया, तो उसके तार हथियारों के कारोबार से जुड़े पाए गए. साथ ही नशीले पदार्थों की फैक्ट्री का भी पता चला, पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है और अब उसे मुकदमा शुरू होने का इंतजार है.

संसदीय समिति की मांग
पुलिस ने हाल ही में पूर्वी लंदन की एक गर्भवती महिला की भी सहायता की, जिसे उसके पार्टनर ने बेरहमी से मारा था. घरेलू हिंसा के मामलों में लगातार आ रही तेजी को देखते हुए ब्रिटिश सांसदों की एक प्रभावशाली संसदीय समिति ने सोमवार को सरकार से तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया. समिति ने सरकार से घरेलू हिंसा को ध्यान में रखते हुए एक रणनीति तैयार करने को कहा है, ताकि लॉकडाउन अवधि और उसके बाद भी इस तरह के मामलों को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की जा सके. गौरतलब है कि ब्रिटेन में कोरोना के 1,54,037 मामले सामने आये हैं और लगभग 20,794 लोगों की मौत हुई है.

UN ने जताई थी चिंता
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने लॉकडाउन जैसे कड़े उपायों के बीच महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार के मामलों पर चिंता जताई थी. UN महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा था कि महामारी से निपटने के लिए लागू किये गए उपायों ने लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है. जिसकी वजह से तमाम देशों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं. इसलिए सरकारों को महामारी से निपटने के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए.

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