100 साल में 48 सेकेंड बढ़ी इंसान की स्पीड, जानिए फर्राटा दौड़ के वर्ल्ड रिकॉर्ड की कहानी
नई दिल्ली. क्या आपने कभी ‘दुनिया के सबसे तेज इंसान’ उसैन बोल्ट (Usain Bolt) को दौड़ते हुए देखा है? बोल्ट के नाम पर इस समय 9.58 सेकंड में 100 मीटर दौड़ पूरी करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए बोल्ट जिस गति से रेस की शुरुआत करते हैं, उसकी तुलना विशेषज्ञ दुनिया के सबसे तेज प्राणी चीते की गति से करते हैं. हालांकि ये महज एक कहावत ही है, क्योंकि चीता औसतन 70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है.
इसके उलट बोल्ट ने 150 मीटर का वर्ल्ड रिकार्ड बनाते हुए पहले 100 मीटर में 40 मील प्रति घंटे की रफ्तार के साथ आज तक की अपनी सबसे तेज गति निकाली थी. इसे ही इंसान की अधिकतम गति माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसानी गति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है? यकीन नहीं होता तो ‘दुनिया का सबसे तेज इंसान’ होने का पैमाना मानी जाने वाली 100 मीटर रेस के वर्ल्ड रिकार्ड का सफर देख लीजिए. करीब 100 साल पहले पहली बार नापे जाने से लेकर आज तक इंसान करीम 48 सेकंड ज्यादा तेज गति तक पहुंच चुका है.
1912 से 1976 तक, 1977 से आज तक
100 मीटर रेस में वर्ल्ड रिकॉर्ड के सफर को 2 समयकाल में बांटा जाता है. पहला समय है 1912 से 1976 तक का. ये वो समय था, जब समय को मैनुअल स्टॉप वाच की मदद से रिकॉर्ड किया जाता था. हालांकि इसमें कुछ सेकंड की गलती की गुंजाइश होती थी, इस कारण उस दौर में बने रिकार्ड को विशेषज्ञ ज्यादा तवज्जो नहीं देते. 1975 में विश्व एथलेटिक्स संघ (IAF) ने इलेक्ट्रॉनिक स्टॉप वाच का इस्तेमाल चालू कर दिया था, जिससे 2 एथलीटों के बीच माइक्रो सेकंड तक के समय के अंतर को भी पकड़ना आसान हो गया था. इस दौर के रिकॉर्ड को ही असली पैमाना माना जाता है.
10.6 सेकंड से चालू हुआ था सफर
भले ही पहले आधिकारिक ओलंपिक खेलों का आयोजन साल 1896 में चालू हो गया था, लेकिन इसमें आयोजित स्पर्धाओं में कौन किस गति से दौड़ रहा है, इसके रिकार्ड को रखने का कोई तरीका नहीं बनाया गया था. इंसानी गति का समय के हिसाब से दर्ज करने का सिलसिला सबसे पहली बार 1912 में शुरू किया गया था. पहली बार वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किया गया था स्वीडन के स्टॉकहोम में और पहले वर्ल्ड रिकार्डधारी एथलीट बने थे अमेरिका के डोनाल्ड लिपिनकोट. लिपिनकोट ने 6 जुलाई, 1912 को यह कारनामा किया था.
56 साल बाद 9 सेकंड से कम में दौड़ा इंसान
इसके बाद 1968 में पहली बार इंसानी गति 9 सेकंड से कम समय में 100 मीटर दौड़ने तक पहुंची. अमेरिका के जिम हिंस ने 20 जून, 1968 को पहली बार 9.9 सेकंड में दौड़ पूरी की. हिंस ने 3 ही महीने बाद 9.95 सेकंड तक इस रिकॉर्ड को सुधार दिया. अमेरिका के ही केल्विन स्मिथ ने 3 जुलाई, 1983 को 9.93 सेकंड में दौड़कर नए रिकॉर्ड पर अपना नाम दर्ज किया. कनाडा के बेन जॉनसन ने 30 अगस्त, 1987 को 9.83 सेकंड की दौड़ लगाई, लेकिन बाद में उनके डोप पॉजिटिव निकलने से इस वर्ल्ड रिकार्ड को नहीं माना गया और जॉनसन के ही साथ 9.93 सेकंड की गति से दौड़े अमेरिका के महान धावक कार्ल लुइस को भी वर्ल्ड रिकॉर्ड लिस्ट में केल्विन के साथ दर्ज कर लिया गया.
लुइस ने अगले साल दोबारा 9.93 सेकंड का ही समय निकाला. हालांकि दुनिया तब हैरान रह गई, जब बेन जॉनसन ने सियोल में 9.79 सेकंड की गति से दौड़ लगाई, लेकिन ये रिकॉर्ड भी उनके डोपिंग स्वीकारने के बाद रिकॉर्ड से हटाया जा चुका है. लुइस के सियोल में ही 9.92 सेकंड की दौड़ को वर्ल्ड रिकॉर्ड मान लिया गया.
दशकों से महीनों में पहुंचा वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने का सिलसिला
अमेरिका के ही लियो बरेल ने 14 जून 1991 को 9.90 सेकंड का समय लिया तो लुइस ने 9.86 सेकंड का समय निकालकर उनका रिकार्ड महज 2 महीने में तोड़ दिया. लेकिन बरेल ने 3 साल बाद 9.85 सेकंड के समय से फिर रिकार्ड अपने नाम कर लिया. इसके बाद 1996 में कनाडा के डी. बैले ने 9.84 सेकंड तो 1999 में अमेरिका के मौरिस ग्रीन ने 9.79 सेकंड का समय निकाला.
अमेरिका के ही टिम मोंटेगेमरी ने 2002 में 9.78 सेकंड का रिकार्ड बनाया, लेकिन बाल्को स्कैंडल में उनका नाम आने पर रिकार्ड उनसे छीन लिया गया. 2005 में जमैका के असाफा पावेल, तो 2006 में अमेरिका के जस्टिन गैटलिन ने 9.77 सेकंड का समय निकालकर वर्ल्ड रिकार्ड को नई ऊंचाई दी. पावेल ने 2006 में 2 बार और 9.77 सेकंड का समय निकाला. पावेल ने 2007 में 9.74 सेकंड के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड पर अपना दावा बनाया.
यहां से आया बोल्ट का युग
जमैका के उसैन बोल्ट का सफर यहीं से शुरू हुआ. बोल्ट ने मई, 2008 में 9.72 सेकंड का समय निकाला तो 2 महीने बाद 9.68 सेकंड के साथ अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया. इसके बाद बोल्ट ने 2009 में 9.58 सेकंड का समय निकाला, जो आज तक वर्ल्ड रिकॉर्ड के तौर पर दर्ज है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बोल्ट के साथ रेस में कोई उसके आसपास का एथलीट दौड़ता तो उन्हें अपना रिकार्ड सुधारने की प्रेरणा मिलती और वे इस रिकार्ड को 9.40 सेकंड से भी नीचे तक ले जाने की क्षमता रखते थे.