विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने की मुहिम चला रही सरकार, ढाका से वापस लौटकर गदगद हुए छात्र


नई दिल्ली. वंदे भारत मिशन के तहत छात्रों, बुजुर्गों समेत ऐसे लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो लोग विदेशों में कोरोना (Corona) के चलते मुश्किल में हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके लिए एक बड़ी बैठक कर चुके हैं और उसके बाद ही मंत्रालयों का एक समूह तालमेल बनाकर इस वंदे भारत मिशन को अंजाम दे रहा है. विदेश मंत्रालय से लेकर एविएशन मिनिस्ट्री, हेल्थ मिनिस्ट्री इसके लिए आपस में कॉर्डिनेट कर रहे हैं.  गाइडलाइन के मुताबिक भारत सरकार की प्राथमिकता भारतीय पर्यटक, छात्रों, बुजुर्गों, प्रेग्नेंट महिलाओं को वापस लाने की है. इसमें वो भारतीय भी शामिल हैं, जिनके वीजा की विदेश में अवधि खत्म हो गई है या जो बीमार हैं. ऐसे भारतीयों को भी प्राथमिकता दी जा रही है जिन्हें दूसरा देश डिपोर्ट करना चाहता है.

कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर में फंसे लोगों के लिए भारत सरकार दुनिया का सबसे बड़ा अभियान वंदे भारत मिशन चला रही है. इस मिशन के तहत जो भारतीय दुनिया के किसी भी कोने में, किसी भी देश में कोरोना के चलते फंस गए हैं और वह भारत वापस आना चाहते हैं, उनको वापस लाया जा रहा है.

बांग्लादेश में मौजूद भारतीय राजदूत ने कहा है कि जो भी छात्र बांग्लादेश से वापस भारत जाना चाहते हैं, उनके लिए और भी फ्लाइट ऑपरेट की जाएंगी. जम्मू कश्मीर से खासतौर पर बड़ी तादाद में भारतीय छात्र बांग्लादेश में अध्ययन करते हैं.

वंदे भारत मिशन के तहत पहली फ्लाइट ढाका से श्रीनगर के लिए थी. ढाका से भारत वापस लौटकर छात्र बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं और उन्होंने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है.

बांग्लादेश में कोरोना के चलते फंसे छात्रों को वापस भारत लाया जा रहा है. इसमें 167 यात्री मौजूद रहे,जिसमें से अधिकतर स्टूडेंट्स हैं. कल ही खाड़ी देशों से भी भारत ने बचाओ अभियान शुरू किया है. आबू धाबी से कोच्चि को कल ही पहली फ्लाइट 184 यात्रियों को लेकर लौटी थी.

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