किसानों को दो सम्मान और सामाजिक सुरक्षा : किसानों का देशव्यापी प्रदर्शन 16 मई को

रायपुर.कोरोना महामारी तथा अनियोजित और अविचारपूर्ण लॉक डाउन के कारण किसानों, ग्रामीण गरीबों, दिहाड़ी और प्रवासी मजदूरों तथा आदिवासियों के समक्ष उत्पन्न समस्याओं को हल करने की मांग को लेकर पूरे देश के किसान अपने-अपने गांवों में 16 मई को प्रदर्शन करेंगे। इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान अखिल भारतीय किसान सभा और आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच सहित अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े 300 से ज्यादा संगठनों ने किया है।
यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के *राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता* ने आज यहां दी। उन्होंने कहा कि इस संकट के समय इस देश के किसान *देशभक्त खाद्य योद्धाओं* के रूप में सामने आए हैं, जिन्होंने इन कठिन परिस्थितियों में भी देश की जनता का पेट भरने का उद्यम जारी रखा है और जिसकी प्रधानमंत्री मोदी ने भी प्रशंसा की है। लेकिन इन योद्धाओं का पेट कैसे भरेगा और कैसे उनको सामाजिक सुरक्षा दी जाएगी, इस नीतिगत सवाल पर वे मौन है। 16 मई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के जरिये *किसानों को सम्मान और सामाजिक सुरक्षा देने* की मांग की जाएगी।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि किसानों, खेत मजदूरों, ग्रामीण गरीबों और प्रवासी मजदूरों की हमारे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान की उपेक्षा की जा रही है। यहीं कारण है कि लॉक डाउन के दौरान उनकी आजीविका को हुए नुकसान की भरपाई के लिए और खेती-किसानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं और वे कोरोना से कम, भूख से ज्यादा मर रहे हैं। इस तबके के प्रति केंद्र और राज्य सरकारों में इतनी संवेदनहीनता है कि अभी तक घर वापसी के प्रयास में 400 प्रवासी मजदूरों की मौत हो चुकी हैं और करोड़ों को सुनियोजित रूप से बंधक बनाकर रखा जा रहा है, ताकि आने वाले दिनों में सस्ते श्रमिक के रूप में उनका शोषण किया जा सके।
उन्होंने बताया कि इस विरोध प्रदर्शन के जरिये कृषि कार्यों को मनरेगा से जोड़ने और प्रवासी मजदूरों सहित सभी ग्रामीणों को काम देने; रबी फसलों, वनोपजों, सब्जियों, फलों और दूध को  न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने और समर्थन मूल्य स्वमीनाथन आयोग के सी-2 लागत का डेढ़ गुना देने; सभी ग्रामीण परिवारों को लॉक डाउन अवधि का 10000 रुपये मासिक आर्थिक सहायता देने; राशन दुकानों के जरिये सभी आवश्यक जीवनोपयोगी वस्तुएं सस्ती दरों पर प्रदान करने और राशन वितरण में धांधली बंद करने; शहरों में फंसे ग्रामीण मजदूरों को उनसे यात्रा व्यय वसूले बिना सुरक्षित ढंग से उनके गांवों में पहुंचाने और बिना सरकारी मदद पहुंच चुके प्रवासी मजदूरों को 5000 रुपये प्रवास भत्ता राहत के रूप में देने; खेती-किसानी को हुए नुकसान के लिए प्रति एकड़ 10000 रुपये मुआवजा देने; किसानों से ऋण वसूली स्थगित करने और खरीफ सीजन के लिए मुफ्त बीज, खाद और कीटनाशक देने; किसानों और ग्रामीण गरीबों को बैंकिंग और साहूकारी कर्ज़ से मुक्त करने; डीजल-पेट्रोल की कीमत घटाकर 22-25 रुपये के बीच करने; किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाकर 18000 रुपये वार्षिक करने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने की मांग उठाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार हाल ही में कार्पोरेटों का 69000 करोड़ रुपयों का कर्ज माफ कर सकती हैं, तो इस देश के सबसे गरीब तबकों के लिए भी संसाधन जुटाए जा सकते हैं। इसके लिए इस देश के अति-धनिकों पर कर बढ़ाया जाए और विदेशों में जमा काले धन को वापस लाया जाए। उन्होंने कहा कि इन मांगों पर अमल करके ही देश में फैलती भुखमरी और बेरोजगारी की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
पराते ने बताया कि 16 मई को किसानों को सम्मान और सामाजिक सुरक्षा देने की मांग पर प्रदर्शन गांवों में अपने-अपने घर के आंगन, बालकनी या छत पर खड़े होकर और अपनी मांगों की तख्तियां हाथ में लेकर या फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए  गांव की गलियों में कतारबद्ध होकर और नारेबाजी करके की जाएगी।

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