राजीव किसान न्याय योजना का शुभारंभ, जिले के एक लाख से अधिक किसानों को प्रोत्साहन राशि की पहली किश्त मिली


बिलासपुर. पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. राजीव गांधी के शहादत दिवस पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की विशेष उपस्थिति में छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना का शुभारंभ वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को दी जाने वाली 5750 करोड़ रुपए की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की। इस अंतरित राशि में बिलासपुर जिले के एक लाख से अधिक धान उत्पादक किसानों को फायदा हुआ, जिनके खाते में 85 करोड़ 66 लाख 82 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में पहुंचे। इस अवसर पर बिलासपुर जिले के एनआईसी केन्द्र में संभागायुक्त बीएल बंजारे, कलेक्टर डॉ. संजय अलंग, बिलासपुर विधायक शैलेष पांडेय, तखतपुर विधायक रश्मि सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष  अरूण सिंह चैहान, महापौर रामशरण यादव सहित जिले के अधिकारी व किसान उपस्थित थे। राज्य शासन द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने वाले किसानों को 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान के भुगतान हेतु यह महत्वाकांक्षी योजना प्रारंभ की गई है। जिसके अंतर्गत समर्थन मूल्य पर उपार्जन के दौरान भुगतान के पश्चात् अंतर की राशि को चार किश्तों में किसानों को भुगतान किया जायेगा।


जिले के किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना के अंतर्गत 326 करोड़ 35 लाख 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि कुल चार किश्तों में प्रदान की जायेगी, जिसमें से प्रथम किश्त के रूप में कुल राशि का 26.25 प्रतिशत अर्थात् 85 करोड़ 66 लाख 82 हजार रुपये उनके खाते में अंतरित किये गये। उल्लेखनीय है कि जिले में एक लाख एक हजार 490 किसानों से समर्थन मूल्य पर 47 लाख 7 हजार क्विंटल से अधिक धान खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में किया गया था। इस खरीद पर किसानों के खाते में 856 करोड़ 50 लाख रुपये से अधिक राशि का भुगतान किया गया था। यह खरीदी उसके गत वर्ष के मुकाबले 6.49 प्रतिशत ज्यादा की गई थी। शासन द्वारा किसानों को प्रति क्विंटल 2500 रुपये धान का मूल्य देने और गत वर्ष किये गये ऋण माफी के फलस्वरूप किसानों में धान बेचने के लिये उत्साह था। जिले में 1 लाख 7 हजार से अधिक किसान पंजीकृत किये गये थे, जो उसके पूर्व वर्ष के मुकाबले 16.64 प्रतिशत ज्यादा था। इनमें वे किसान भी शामिल थे, जो डिफाल्टर थे और जिनका ऋण सरकार द्वारा माफ किया गया था। जिले में 130 उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से धान खरीदी की गई थी।

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