पहले था आज नकद-कल उधार, PM मोदी का नया नारा- डिजिटल पेमेंट को हां, नकद को ना

नई दिल्‍ली. डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के मकसद से पीएम मोदी ने 73वें स्‍वतंत्रता दिवस (Independence Day India) पर लाल किले की प्राचीर से इस संदर्भ में नया नारा दिया. उन्‍होंने कहा कि अक्‍सर दुकानों में ‘आज नकद-कल उधार’ का बोर्ड देखने को मिलता है लेकिन व्‍यापारियों से आग्रह करते हैं कि अब वे इसके बजाय ‘डिजिटल पेमेंट को हां, नकद को ना’ का बोर्ड लगाएं. इससे डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा. उन्‍होंने दो अक्‍टूबर को गांधी जयंती के मौके पर प्‍लास्टिक के बैन की भी अपील की. इस सिलसिले में व्‍यवसायियों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने यहां बोर्ड पर लगाएं कि सामान के लिए कृपया अपना थैला साथ लाएं. यहां पर प्‍लास्टिक की थैली नहीं मिलेगी. उन्‍होंने जनता से भी प्‍लास्टिक के थैलों के खिलाफ अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेने की अपील की.

जल संरक्षण
उन्‍होंने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार की प्राथमिकता को इस आधार पर समझा जा सकता है कि हमने नई सरकार के गठन के 70 दिन के भीतर ही जल शक्ति मंत्रालय बनाया. उन्‍होंने कहा कि सभी लोग जल के महत्‍व को समझें. किसान जल की हर बूंद से अधिक पैदावार की सोचें. शिक्षा कर्मी बचपन से ही पानी के महत्व को बताएं. पानी के क्षेत्र में 70 सालों में जो काम हुआ है, हमें पांच साल में उसका चौगुना काम करना होगा. हम और ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते हैं.

उन्‍होंने एक प्रसिद्ध संत की कविता का जिक्र करते हुए कहा कि जब पानी समाप्त हो जाता है तो प्रकृति का कार्य रुक जाता है, एक तरह से विनाश प्रारंभ हो जाता है. इसी कड़ी में उन्‍होंने कहा कि उत्‍तरी गुजरात में एक धार्मिक जगह है. जैन समुदाय के लोग उसके प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं. वहां एक जैन मुनि हुए. वह किसान थे, खेत में काम करते थे. वह 100 साल पहले लिख कर गए हैं कि एक दिन ऐसा आएगा जब पानी किराने की दुकान पर बिकेगा. आज वास्‍तव में पीने का पानी किराने की दुकान पर मिलता है.

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के 70 साल हो गए. हर किसी ने अपने-अपने तरीके से प्रयास किया है. लेकिन आज हिन्दुस्तान में आधे घर ऐसे हैं जिनको पीने का पानी के लिए मशक्क्त करना पड़ता है. 2-5 किमी पैदल जाना पड़ता है. आधा जीवन खप जाता है. हर घर को जल कैसे मिले. हम आने वाले दिनों में जल जीवन मिशन को लेकर आगे बढ़ेंगे. इस मद में साढ़े तीन लाख करोड़ से भी ज्यादा खर्च करने का संकल्प किया है. जल संरक्षण के मुद्दे पर हमें न रुकना है और न आगे बढ़ने से रुकना है. यह सरकारी अभियान नहीं बनना चाहिए. जनसामान्य को लेकर इस मुद्दे पर आगे बढ़ना है.


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