असली अनामिका शुक्ला आईं सामने, बताया- कहीं भी नहीं की नौकरी
गोण्डा. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर टीचर की नौकरी पाने के मामले में मंगलवार को उस समय नया मोड़ आ गया, जब अनामिका शुक्ला नामक युवती ने अपने शैक्षिक प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे बदनाम करने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉक्टर इंद्रजीत प्रजापति ने बताया कि अनामिका मंगलवार दोपहर बाद अपने सभी शैक्षिक प्रमाणपत्रों की मूल प्रतिलिपि के साथ कार्यालय में उनसे मिली और कहा कि उसने न तो पहले किसी भी कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय में कभी नौकरी की है और न ही वर्तमान में कर रही है. उसके प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग किया गया है. प्रजापति के अनुसार अनामिका ने बताया कि उसके प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग करके कुछ लोगों द्वारा अनुचित तरीके से नौकरी हासिल की गई और अब समाज में उसकी छवि खराब हो रही है. उसने दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग की है और इस संबंध में एक पत्र भी सौंपा है.
अनामिका का कहना है कि उसके पिता सुभाष चंद्र शुक्ला रेलवे में नौकरी करते थे और उनका परिवार खरगूपुर थाना क्षेत्र स्थित रेलवे कालोनी के सरकारी आवास में रहता था. उसने कस्तूरबा गांधी इंटर कॉलेज, रेलवे कॉलोनी से 2007 में हाईस्कूल किया और इसके बाद 2009 में बेनी माधव जंग बहादुर इंटर कॉलेज, परसपुर से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की. वर्ष 2012 में रघुकुल महिला विद्यापीठ से बीएससी की डिग्री हासिल की. उसने अंबेडकर नगर के एक कॉलेज से बीएड की डिग्री ली और यूपी टीईटी की परीक्षा पास करके कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, गोण्डा में पूर्ण कालिक शिक्षिका के रिक्त पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया.
बताया जाता है कि निजी कारणों से वह काउसंलिंग में भाग नहीं ले सकी. परिणामस्वरूप मेरिट में अच्छी रैंक होने के बाद भी उसका चयन नहीं हो पाया लेकिन उसके प्रमाणपत्रों के सहारे करीब दो दर्जन जिलों में अलग-अलग लड़कियों ने नियुक्तियां प्राप्त कर लीं.
बीएसए प्रजापति ने बताया कि अनामिका का कहना है कि सेवानिवृत्त होने के बाद उसके पिता सरकारी आवास छोड़कर परिवार के साथ गांव चले गए. अनामिका के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में चूंकि रेलवे कालोनी, गोण्डा का पता दर्ज था और उस पते पर वर्तमान में परिवार नहीं रह रहा था, इसीलिए बीएसए कार्यालय पहुंचने से पहले तक उसके बारे में अन्य कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी.
अनामिका अपने वकील के माध्यम से बीएसए कार्यालय पहुंची थीं और उसने अपने सभी मूल शैक्षिक प्रमाणपत्र पेश किए. अनामिका ने बीएसए को सौंपे शिकायती पत्र की एक कॉपी जिले के पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी सौंपी है और कार्रवाई की मांग की है.
बता दें कि बीते दिनों यह प्रकरण उस समय प्रकाश में आया, जब पता चला कि फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर राज्य के करीब 25 जिलों में अनामिका शुक्ला नाम की शिक्षिकाएं कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालयों में टीचर के रूप में कार्य करते हुए अब तक करीब एक करोड़ रुपये वेतन प्राप्त कर चुकी हैं.
इस जानकारी के सार्वजनिक होते ही बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को अपने जिलों में अनामिका शुक्ला नामक शिक्षिकाओं के प्रमाणपत्रों की पड़ताल किए जाने का निर्देश दिया गया था.
कासगंज जिले में सुप्रिया जाटव नामक टीचर को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह इस्तीफा देने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंची थी. दरअसल सुप्रिया भी अनामिका शुक्ला के प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़े के सहारे नौकरी कर रही थी.