सुधीर कुमार मक्कड़ कपड़ों की कारीगरी से कैसे बने गोल्डन बाबा?
नई दिल्ली. सोने के आभूषणों से लदे रहने वाले और इस कारण कांवड़ यात्राओं के दौरान प्रशासन से सुरक्षा पाने जैसी वजहों के कारण अक्सर चर्चाओं में बने रहने वाले सुधीर कुमार मक्कड़ यानी गोल्डन बाबा का मंगलवार देर रात निधन हो गया. वह मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले थे. बाबा पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा था. पूर्वी दिल्ली में एक मोहल्ला है गांधी नगर. यमुना पार इलाके में गांधी नगर, रेडिमेड कपड़ों का सबसे बड़ा थोक मार्केट है. इसी मार्केट से गोल्डन बाबा का सफर शुरू हुआ था. तब लोग उन्हें सुधीर कुमार मक्कड़ के तौर पर ही जानते थे. कपड़ों के बाजार में दर्जी का काम करके किसी तरह उनका गुजारा चलता था.
सोने से बड़ा लगाव
उसके बाद उन्होंने कपड़ों का अपना कारोबार खड़ा किया. लगे हाथ प्रॉपर्टी का काम भी शुरू कर दिया. कहने वाले कहते हैं कि प्रॉपर्टी के काम से जुड़ते ही सुधीर कुमार मक्कड़ की तरक्की का रास्ता खुला. एक दिन वो अचानक गायब हो गए और सीधे हरिद्वार में प्रकट हुए. हरिद्वार में बाबाओं की संगति में सुधीर कुमार मक्कड़ ने खुद बाबा बनने का फैसला कर लिया. इसके बाद हरिद्वार में ही बस गए. गुजरते वक्त के साथ उनकी पकड़ बाबागिरी पर बनती चलती गई. अरसे बाद जब दिल्ली लौटे तो बकायदा महंत होने की तैयारी के साथ. गांधीनगर इलाके में उन्होंने एक मंदिर बनवाया और धीरे-धीरे उसे एक आश्रम में बदल दिया. खुद उसके महंत बन बैठे. भक्तों का भी जमावड़ा होता गया और लोकप्रियता भी बढ़ने लगी. खास बात ये थी कि सुधीर कुमार मक्कड़ को सोने से बड़ा लगाव हो गया. मंदिर में चढ़ावे के तौर पर वो सोना ही दान लेते. लोग दान देते गए और बाबा का मंदिर सोने का भंडार बनता गया. इसी सोने ने सुधीर कुमार मक्कड़ को गोल्डन बाबा बना दिया.
देश के कई दूसरे बाबाओं की तरह गोल्डन बाबा का भी नाता विवादों से जुड़ा रहा. ये अलग बात है कि अपनी धार्मिक छवि के दम पर वो अपने भक्तों के बीच बेदाग ही रहे. लेकिन जहां तक कानून की बात है उनके खिलाफ कई केस थाने में दर्ज हुए. अलग-अलग अदालतों में उनके खिलाफ करीब तीन दर्जन मामले हैं.
खास अंदाज
बाबाओं की भीड़ में गोल्डन बाबा ने अपनी एक अलग छवि बनाई. सावन का महीना आते ही वो एक नए अवतार में सामने आते थे. ऊपर से नीचे तक सोने का आभूषणों से लदे गोल्डन बाबा जब सावन की कांवड़ यात्रा में शामिल होते तो देखने वालों की आंखे चौंधिया जाती थीं. दो साल पहले यानी 2018 में जब गोल्डन बाबा अपने भक्तों के साथ कांवड़ यात्रा में शामिल हुए तो नजारा देखने लायक था . ये गोल्डन बाबा की 25 वीं कांवड़ा यात्रा थी, जिसमें वो 20 किलो सोने के आभूषणों से लदे थे . सोने के 21 चेन, 21 लॉकेट, सोने की एक जैकेट, सभी अंगुलियो में सोने की अंगूठियां और कलाई में 27 लाख रुपये की रोलेक्स घड़ी.
बाबा के सोने के गहनों का ये भंडार साल दर साल बढ़ता गया था. 2017 की कांवड़ यात्रा में बाबा ने 15 किलो सोने के गहने पहने थे और उससे एक साल पहले 12 किलो सोना धारण किया था. हरिद्वार तक की कांवड़ यात्रा में जब गोल्डन बाबा चलते थे तो लोगों की नजर उनके गहनों की ओर ही टिकी रहती थी. सोने से गोल्डन बाबा का जुड़ाव कुछ ऐसा था कि वो सोने को ही अपनी इष्ट देवता मानते थे . यानी गहनों का शौक उनकी अपनी आस्था से जुड़ गया था. लेकिन बात सिर्फ गहनों तक नहीं थी. गोल्डन बाबा के पास लग्जरी गाड़ियों का भी अच्छा खासा काफिला मौजूद रहा. जिनमें BMW, ऑडी, फॉर्च्यूनर और इनोवा जैसी गाड़ियां शामिल रहीं.
इस तामझाम के साथ जब गोल्डन बाबा कांवड़ यात्रा में शामिल होते तो सबका फोकस उनपर ही होता. जाहिर है करोड़ों के गहने के साथ चलने वाले बाबा को सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी हो जाती थी. पुलिस उनकी और उनके गहनों की सुरक्षा में जुटी रहती. बाबा के अपने 20-25 गार्ड तो खैर उनके साथ साए की तरह मौजूद रहते ही थे . यूपी से लेकर उत्तराखंड तक प्रशासन और पुलिस उनको सुरक्षा मुहैया कराने में परेशान रहती.