Birthday Special: आखिरी ओवर में 17 रन और सामने पैट कमिंस, माही बाएं हाथ से खेलेंगे…. लेकिन क्यों?


नई दिल्ली. क्या मैं सही देख रहा हुं. इतना गलत भी नहीं हो सकता है. क्या मेरा दिमाग घूम गया है. प्रेस बॉक्स के चारों तरफ देखा तो लगा कि मैंने सही देखा. बाएं हाथ मे स्टांस लेकर अंपायर नितिन मेनन को माही दिखा रहे हैं वन लेग. स्क्वायर लेग, मिड विकेट, काऊ कार्नर में खड़े फील्डरों को एक बार बारीकी से देखकर माही तैयार हो गए. आईपीएल फाइनल का आखिरी ओवर खेलने के लिए. प्रेस बॉक्स के टीवी का वॉल्यूम पीछे से किसी ने बढ़ा दिया है. डेडलाइन मीट करने के प्रेशर के बावजूद सभी ऐसे 22 ग़ज़ की तरफ नज़र बनाये हुए हैं जैसे कि कह रहे हैं, “क्या ऐसा भी होता है.” कमेंट्री में सुनील गावस्कर को मैंने कहते हुए सुना, “आखिरी ओवर में 17 रन चाहिए, सामने पैट कम्मिन्स और माही बाएं हाथ से खेलेंगे. लेकिन क्यों? प्लान क्या है? अनबिलिवेबेल.”

दुबई के मैदान पर मैच खत्म होने से पहले क्रिकेट के जानकार कुछ कहने के लिए भी 5 बार सोच रहे हैं. जो खिलाड़ी 2007 के टी20 विश्वकप फाइनल के आखिरी ओवर में जोगिंदर शर्मा के हाथों में गेंद थमा सकता है और 2011 विश्वकप के फाइनल में इन फॉर्म युवी की जगह खुद बैटिंग करके कप दिला सकता है, उनके बारे में मैच खत्म होने से पहले ही कुछ कहकर अगर फिर से गलत साबित हो गए तो…..

कोविड-19 की वजह से खाली स्टेडियम पर मैच चल रहा है. मुझे लगा कि आज अगर स्टेडियम भरा होता तो पैट कम्मिन्स के ऊपर प्रेशर ज़्यादा होता. तेज़ गेंदबाज़ पैट कमिंस को कप्तान दिनेश कार्तिक, सुनील नारिन, इयोन मॉर्गन अपनी अपनी सलाह दे रहे हैं. किसी को पता नहीं है कि माही का प्लान क्या है. कैसे पता चलेगा. इससे पहले तो किसी ने बाएं हाथ के माही को देखा ही नहीं है. कोच ब्रेंडन मैक्लम भी ऐसा कोई मैच सिचुएशन के बारे में शायद ही खिलाड़ियों के साथ डिसकस किए हों. केकेआर के कप्तान ने ऑन साइड पर 5 फील्डरों के साथ फाइनल ओवर की फील्ड सेट की है. आखरी ओवर की पहली गेंद मिडल लेग पर, वहां से हेलीकाप्टर शॉट मारने के लिए जिस तरह का पावर चाहिए वैसी ताक़त माही के बाएं हाथ में कैसे आई, मुझे पता नहीं है. स्प्लिट सेकंड में गेंद गिरी स्टेडियम के सेकंड टियर पर. आज क्रिकेट का कोई भी व्याकरण मुझे समझ मे नहीं आ रहा है. अचानक लगने लगा है कि क्रिकेट की शुरुआत शायद मंगल ग्रह से हुई है. कमिंस तैयार हो रहे हैं अपनी दूसरे डिलीवरी के लिए. अचानक साढ़े 5 का अलार्म बजा. तब मुझे पता चला कि यह हकीकत नहीं……मैं सपना देख रहा था.

सुबह की कॉफ़ी हाथ मे लेकर में बालकनी में बैठा था. याद आया कि एकबार किसी ने मुझे कहा था, सवेरे नींद में जो सपने आते हैं वो कभी कभी सच भी होते हैं. सपने सच करने वाले का नाम ही तो है एम एस धोनी. किसको पता है, हम और आप जब ये सोच रहे है कि माही क्यों सुशांत सिंह राजपूत को लेकर कुछ नहीं कह रहे हैं तब शायद वो सुशांत के बाएं हाथ से क्रिकेट खेलने के सपनों को 22 ग़ज़ में साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हों.

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