रक्षाबंधन में भाई की कलाई पर बंधेगी मेड इन इंडिया राखी, चीन को 4000 करोड़ का नुकसान


नई दिल्ली. देश भर में चीनी सामान के बहिष्कार की दिशा में भारत ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है. भारत मे इस साल मेड इन इंडिया राखियां ही बेची जाएंगी. इससे न सिर्फ चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचेगा बल्कि लॉकडाउन में नौकरी खो चुके लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.

रक्षा बंधन के त्यौहार पर भारत ने आत्मनिर्भर बनने की तैयारी कर ली है. बड़े पैमाने पर तैयार की जा रही ये राखियां पूरी तरह से मेड इन इंडिया हैं. भारत में इस साल चाइनीज राखियां ना ही खरीदी जाएंगी और ना ही बेची जाएंगी. इसके लिए खास तौर पर देश के अलग-अलग शहरों में उन लोगों को राखियां बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिनका रोजगार लॉकडाउन में छूट गया है जिसमें दिहाड़ी मजदूर से लेकर ग्रामीण महिलाएं शामिल हैं.

चीनी राखियों के बहिष्कार के लिए कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के देश भर के व्यापारियों ने तय किया है कि इस साल भारत में ना तो चीन की राखियां आएंगी और ना ही राखियां बनाने का सामान आएगा. भारत में हर साल रक्षा बंधन के त्यौहार पर चीन को करीब 4000 करोड़ रुपये का व्यापार मिलता है जो कि इस बार पूरी तरह से भारत के लोगों को ही मिलेगा.

कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि देश मे कोई भी व्यापारी चीन की राखी या राखी बनाने वाला समान नहीं खरीदेगा. जो व्यापारी राखी का काम करते हैं वो अपने इलाके में लोगों को रोजगार देकर भारत में ही राखी बनवाएंगे. इससे चीन को 4000 करोड़ रुपये का झटका लगेगा. इस बार छोटे से बड़े हर शहर में सिर्फ हिंदुस्तानी राखियां ही मिलेंगी.

चीनी आयात के खिलाफ भारत में बड़े पैमाने पर राखियां तैयार की जा रही हैं जिसमें दिल्ली के अलावा नागपुर, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, कानपुर, तिनसुकिया, गुवाहाटी, रायपुर, भुवनेश्वर, कोल्हापुर, जम्मू , बंगलौर, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, वाराणसी, झांसी, इलाहबाद आदि शहरों में राखियां बनवा कर व्यापारियों तक पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया है.

सिर्फ दिल्ली में पिछले 5 दिनों में अब तक डेढ़ लाख राखियां बनाई जा चुकी हैं और अगले दस दिनों तक ये काम जारी रहेगा. इसके अलावा देश भर में अलग-अलग शहरों में कुल मिलाकर इस साल 30 से 40 करोड़ राखियां बनाई जाएंगी. इस अभियान के चलते सिर्फ दिल्ली में 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया गया है जो हर दिन 700 से 1000 रुपये तक कमा रहे हैं.

कैट की  दिल्ली महिला अध्यक्ष पूनम गुप्ता ने बताया कि भारत अब आत्मनिर्भर बन रहा है ये तोहफा है सीमा पर तैनात हमारे सैनिकों के लिए की हम भारत मे ही इस बार राखियां बना रहे हैं और इनमे से 5000 राखियां हम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी देंगे ताकि देश की बहनें अपने हाथ से बनाई राखियां सरहद पर अपने भाइयों को बांध सकें.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!