दुनिया में तीसरे नंबर पर फिर भी तेजी से कोरोना को भगा रहा भारत

मास्क और सैनिटाइजर के उपयोग सोशल डिस्टेंसिंग के पालन और सरकार की सजगता ने मिलकर कोरोना को आज भी हमारे देश में विकराल रूप धारण करने से रोक रखा है। यहां जानें कोरोना (Corona) पर किए गए कारगर प्रयास और इससे बचने के तरीकों के बारे में…

कभी-कभी कुछ आंकड़े चौंकाने और हैरान करनेवाले होते हैं। फिलहाल हमारे देश में ऐसी ही स्थिति कोरोना वायरस (Corona virus) के कारण बनी हुई है। एक तरफ तो हमारे देश में यह बीमारी इतनी तेजी से फैल रही है कि हम लोग दुनिया के तीसरे सबसे अधिक कोरोना ग्रसित देश बन गए हैं। वहीं दूसरी तरफ जिन देशों में कोविड-19 (Covid-19) के मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं उन देशों में भी हम अग्रणी हैं। यहां जानिए, कोरोना को लेकर सेहत संबंधी किस तरह की तकनीक और मुहिम काम आ रही हैं…

कोरोना की जांच और इसके परीक्षण को लेकर हमारी सरकार ने शुरुआत से ही गंभीरता दिखाई है। जब हमारे देश में कोरोना का एक भी मामला नहीं आया था, तब भी दूसरे देश से भारत में आनेवाले लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही थी। साथ ही लोगों को उसी समय से मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करने की सलाह दी जाने लगी थी। यह एक बड़ी वजह है कि घनी और इतनी अधिक आबादी वाला देश होने के बाद भी भारत में कोरोना महामारी (Corona Pandemic)आज भी उस विकराल रूप में नहीं आ पाई है, जिसमें आ सकती थी।

क्या कहते हैं देश के पीएम?
-कोरोन संक्रमण के शुरुआती दौर से लेकर अब तक पीएम मोदी ने हर किसी साथ लाने और देश को सकारात्मक बनाए रखने के जिस तरह से कदम उठाए हैं, वे सराहनीय हैं। हाल ही यूनाइटेड स्टेट सिक्यॉरिटी काउंसिल में अपने भाषण में मोदी ने कहा कि ‘कोरोना एक ऐसी महामारी है जिसने बहुत ही गंभीरता के साथ हर देश के लचीले रवैये को परखा है।’

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कोरोना संक्रमण रोकने की दिशा में भारत के प्रभावी कदम

-एक वाक्य में खत्म होनेवाले इस वक्तव्य का सार बहुत ही गहरा है। कोई देश खुद को कितना भी विकसित और शक्तिशाली क्यों ना मान रहा हो, उस देश में जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर क्या है, कोरोना महामारी ने इस बात की पोल खोलकर रख दी है।

-लेकिन विकासशील देशों में शामिल भारत ने अपने सीमित संसाधनों के दम पर ही इस बीमारी को काफी हद तक रोककर रखा है। हालांकि अब भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 10 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है लेकिन कम पढ़े-लिखे लोगों और बिना संसाधनों के जीवन जी रहे लोगों के बीच तक इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के काम में जनसहयोग और जनआंदोलनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

भारत में कोरोना की धीमी गति के कारण
-जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि हमारी सरकार कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर उस समय से जागरूकता दिखा रही थी, जब खुद चीन में इस बीमारी को लेकर बहुत लापरवाही दिखाई दी। इससे हमारे देश में कोरोना के मामले धीमी गति से बढ़े।

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कोरोना से बचाव में मास्क है उपयोगी

-मास्क, सेनिटाइजर का उचित उपयोग और शुरुआती स्तर पर ही लॉकडाउन ने इस बीमारी को फैलने से बहुत अच्छी तरह रोका है। लॉकडाउन कितना सफल रहा इस बात का अंदाजा हम ऐसे लगा सकते हैं कि अनलॉक 0.1 के दौरान ही कोरोना के मरीज बहुत तेजी से बढ़ने लगे।

-यदि इससे पहले लॉकडाउन ना लगाया गया होता तो यह स्थिति शुरुआत में ही बहुत अधिक खराब हो जाती। क्योंकि उस समय तो हमारी स्वास्थ्य संस्थाएं इस बीमारी इलाज और मरीजों को भर्ती करने संबंधी जरूरी सुविधाओं को लेकर तैयार ही नहीं थीं। लॉकडाउन के दौरान सभी जरूरी तैयारियों को पूरा किया गया।

सोशल डिस्टेंसिंग का असर
-हाल में एक बार फिर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) और सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (CDC) की ओर से पूरे विश्व के लोगों से इस बात की अपील की गई है कि वे सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। क्योंकि कोरोना से बचने के लिए यह एक प्रभावी तरीका है।

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आयुष मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन और सीडीसी की सलाह

-दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बात को साफ कर चुके हैं कि एक बार कोरोना का संक्रमण हो जाने के बाद व्यक्ति के शरीर में और कितनी तरह की समस्याएं देखने को मिलेंगी, इस बारे में अभी साफतौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। इसलिए बेहतर यही है कि मास्क, सेनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

-साथ ही आयुष मंत्रालय द्वारा बताए गए काढ़े, हल्दी वाले दूध और विटमिन-डी तथा विटमिन-सी युक्त फलों का उपयोग अवश्य करें। ताकि आपकी हाइजीन बनी रहे और सेहत भी दुरुस्त रहे।

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