नेपाल में गहराया सियासी संकट, प्रचंड ने ओली की गैर-मौजूदगी में ही कर डाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक


काठमांडू. भारत (India) विरोध में अपनी कुर्सी दांव पर लगाने वाले नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K. P. Sharma Oli) की विदायगी लगभग तय मानी जा रही है. चीन के तमाम प्रयासों के बावजूद ओली और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कुमार दहल उर्फ प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal -Prachanda) के बीच गतिरोध खत्म नहीं हुआ है.

प्रचंड ने शक्तिशाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक PM ओली के आवास पर उन्हीं की गैरमौजूदगी में करके यह स्पष्ट कर दिया है कि ओली को लेकर पार्टी में असंतोष बढ़ता जा रहा है और उन्हें अब जाना होगा. प्रचंड और पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मंगलवार सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पहुंचे, लेकिन जब ओली उपलब्ध नहीं हुए तो प्रचंड ने उनकी गैरमौजूदगी में ही बैठक कर डाली.

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले, प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने कहा था कि बैठक स्थगित कर दी गई थी, लेकिन स्थायी समिति के सदस्य मत्रिका यादव ने स्पष्ट किया था कि भले ही प्रधानमंत्री इंकार कर दें, बैठक हर हाल में होकर रहेगी. प्रचंड और पार्टी के वरिष्ठ नेता झलनाथ खनाल बैठक के लिए ओली से मिलने पहुंचे थे, मगर उनसे कहा गया कि ‘वे जो चाहें, कर सकते हैं’. इसके बाद प्रचंड ने PM ओली के बगैर ही बैठक की, जिसमें 29 स्थायी समिति सदस्य मौजूद रहे. हालांकि, प्रधानमंत्री ओली के करीबी नेताओं ने बैठक से दूरी बनाये रखी.

पिछले हफ्ते बुधवार को स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य पीएम ओली के आवास पर पहुंचे थे. हालांकि, उस बैठक से भी ओली नदारद थे. लिहाजा यह तय किया गया कि 28 जुलाई को समिति की बैठक की जाएगी, लेकिन इस बार भी ओली गैर हाजिर रहे. PM ओली के बार-बार बैठकों से दूर रहने से पार्टी नेताओं में उनके खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है.

पार्टी प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली का इस तरह बैठक स्थगित करना अनुचित है और पार्टी के खिलाफ है. उनकी गैर-मौजूदगी में हुई बैठक में पार्टी के एजेंडे पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन इसने प्रधानमंत्री के साथ सलाह के बाद पार्टी अध्यक्ष प्रचंड को एक और स्थायी समिति की बैठक बुलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

गौरतलब है कि भारत के साथ बेवजह सीमा विवाद को तूल देने और नेपाल में बढ़ती चीन की दखलंदाजी को लेकर प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ पार्टी सहित जनता में गुस्सा बढ़ रहा है. उनकी नीतियों के विरोध में कई अबर प्रदर्शन भी हो चुके हैं. चीन चाहता है कि ओली कुर्सी पर बने रहें और इसके लिए वह हर हथकंडे अपना रहा है, लेकिन जिस तरह से प्रचंड ने ओली के बगैर ही स्टैंडिंग कमेटी की बैठक की, उससे कहीं न कहीं यही संकेत मिलता है कि ओली की विदाई अब तय है.

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