इस संगीतकार को मिली है सजा-ए-मौत, सोशल मीडिया में हो रहा इस फैसले का जमकर विरोध


नाइजीरिया. अफ्रीका (Africa) महाद्वीप के नाइजीरिया में कानो ( Kano) की शरिया अदालत ने 22 साल के संगीतकार को सजा-ए-मौत का फरमान सुनाया गया है. युवा संगीतकार यहाया शेरिफ अमिन (Yahaya Sherif-Aminu) ने अपने एक गीत में तिजानिया मुस्लिम ब्रदरहुड के एक इमाम की तारीफ करते हुए उसे पैंगबर साहब से ज्यादा तरजीह दी थी. हालांकि उसके पास अभी इस सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार है. शरिया अदालत के इस फैसले के बाद पूरी दुनिया में एक बार फिर तौहीन-ए-रिसालत यानी ईशनिंदा कानून पर बहस तेज हो गई है. सोशल मीडिया पर अब इस युवा संगीतकार की जान बचाने की मुहिम तेज हुई है और लगातार यहाया अमिन की स्टोरी दुनिया भर में ट्रेंड कर रही है.

क्या है ईशनिंदा कानून? 
ऐसे में आपके मन में यह प्रश्न उठना लाजमी है कि क्या है यह ईशनिंदा कानून, जिसके चलते युवा संगीतकार को मौत की सजा सुना दी गई. जिन देशों में ये कानून लागू है, वहां किसी भी शख्स के द्वारा इस्लाम या उससे जुड़ी मान्यताओं की आलोचना, पैंगबर मोहम्मद को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी, के साथ लोगों की भावनाएं आहत होने के आरोप में ईशनिंदा के तहत मामला दर्ज होता है. यानि कोई व्यक्ति किसी भी रूप में पैगंबर-ए-इस्लाम या किसी और पैगंबर की निंदा करता है तो उसे मौत की सजा देने का प्रावधान है. कई देशों में ईशनिंदा के आरोप के तहत जुर्माना और कैद हो सकती है, लेकिन सऊदी अरब, ईरान और पाकिस्तान में इस अपराध में मौत तक की सजा का प्रावधान है.

अक्सर इस कानून के दुरुपयोग के मामले भी सामने आते रहते हैं,इसके बाद दुनिया के कई देशों में इस कानून को खत्म करने की मांग हो रही है. यूरोप से लेकर एशिया तक ईशनिंदा के आरोप में कई पत्रकार, शिक्षक, कार्टूनिस्ट और संगीतकारों को निशाना बनाया जा चुका है.

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