शुगर की तरह इस बीमारी के रोगियों को भी कोरोना वायरस का अधिक खतरा

डायबिटीज के अलावा अर्थराइटिस के रोगियों में भी है कोरोना संक्रमण होने का अधिक खतरा…

कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक होने के बाद भी लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। क्योंकि यह शरीर को अंदर से एकदम खोखला कर देता है। इस कारण हर व्यक्ति को कोई ना कोई समस्या परेशान कर रही है। इनमें लिवर, किडनी, हार्ट और लंग्स से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि जिन लोगों को पहले से इस तरह की समस्याएं हैं, उन्हें कोरोना संक्रमण (Corona Infection) होने की आशंका अधिक बनी हुई है।

-यानी जिन लोगों को इस तरह की गंभीर समस्या हैं, उन्हें कोरोना वायरस (Coronavirus) बहुत तेजी से हो रहा है और जिन्हें कोरोना का संक्रमण हो जाता है, उनके शरीर में बाद में इस तरह की बीमारियां पनप रही हैं। अभी तक जिन बातों पर सबसे अधिक ध्यान दिया गया है, उनमें डायबिटीज, लंग्स और किडनी के मरीज शामिल हैं।

-लेकिन इस बीच अगर किसी एक चीज से सभी का ध्यान हटा हुआ है तो वह है अर्थराइटिस की समस्या। कोरोना वायरस का संक्रमण अर्थराइटिस के पेशंट्स के लिए भी उतना ही घातक है, जितना कि डायबिटीज के मरीजों के लिए।

-हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह डायबिटीज के मरीजों को कोरोना की गिरफ्त में आने का अधिक खतरा है, ठीक वैसे ही अर्थराइटिस के मरीजों को भी कोरोना का खतरा रहता है।

– यह बात पूरी तरह साफ है कि कोरोना का संक्रमण हर उम्र के लोगों के लिए खतरनाक है। लेकिन बुजुर्गों के लिए यह बीमारी खासतौर पर जानलेवा है। क्योंकि इस उम्र में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। अर्थराइटिस भी ऐसी ही समस्या है, जो उम्र और इम्यून सिस्टम से संबंधित होती है।

यह है इम्यून डिसऑर्डर
-रुमेटीइड अर्थराइटिस (गठिया) एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (विकार) है। लेकिन ऑस्टियोआर्थराइटिस के साथ ऐसा नहीं है। यह अन्य रोगों की तरह एक बीमारी है।

-इस स्थिति में ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है। यानी आपके अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को मारने का काम करने लगेगी। यह स्थिति जिंदगी का संकट खड़ा करनेवाली होती है।

कोरोना का खतरा बढ़ाती है यह अर्थराइटिस
-रुमेटीइड अर्थराइटिस इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी की वजह बन सकता है। क्योंकि इस समस्या के चलते इम्यून सिस्टम और कोरोना के संक्रमण से एक साथ जूझना होता है। ये दोनों ही स्थितियां शरीर को बहुत अधिक कमजोर करनेवाली होती हैं।

-यदि परिवार में किसी को भी इस तरह की समस्या है तो आपको अपने डॉक्टर के संपर्क में जरूर रहना चाहिए और समय-समय पर अपनी सेहत के बारे में जानकारी देते हुए सलाह लेते रहना चाहिए।

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