खेतों में लहराती धान की बालियों का नजारा देख झूमने लगा है किसानों का मन-मयूर


बिलासपुर. कीट प्रकोप के खतरों से जूझती धान की फसल अब धीरे-धीरे ही सही,गांवों के खेत-खार की फिजा में अपना सुनहरा रंग बिखेरने लगी है.. हालांकि अभी भी मांहो और तना छेदक जैसे कीड़े, किसानों को कीटनाशक  दवा दुकानों की ओर जाने पर मजबूर कर रहे हैं। बावजूद इसके, अब खेतों में कहीं-कहीं धान की बालियों का सुनहरा रंग किसानों की उम्मीदों को पंख लगाने लगा है। दसियों मुसीबतों से जूझ कर इस मुकाम पर पहुंचे धान के पौधे, अब अपनी बालियों के साथ लहराते हुए मानो किसानों के अन्न भंडार लबालब करने के लिए मचलने से लगे हैं। धान के पौधों को वैसे भी छत्तीसगढ़ में “अम्मर बिरवा”(अमर पौधा) बोला जाता है। जो लाख मुसीबतों के बावजूद अन्नदाता किसानों के भंडार पर समृद्धि की बारिश करने से नहीं चूकते। खेतों में सुनहरी छटा वाली धान की बालियों के रूप में पूर्ण श्रृंगार के साथ “अन्नकुंआंरी” विराजमान होने लगी हैं। बस चंद दिनों की बात है.. एक के बाद एक अपनी बालियों के वजन से झुके धान के पौधे, सुनहरे रंग की चुनरिया ओढ़ते चले जाएंगे..और तब, कांधे पर लाठी लिए हर-दिन, सुबह-शाम, खेतों का चक्कर लगाने वाला किसान,,अन्नकुंआंरी के स्वागत में झूम उठेगा।

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