करोड़ों की ठगी करने वाली चिटफंड कंपनी एकाएक हो गई गायब

ठगी के शिकार हुए पीडि़त लगा रहे गुहार, सुध लेने वाला कोई नहीं
जिम्मेदार अफसरों के कांप रहे हाथ
इंदु चौक स्थित कश्यप काम्प्लेक्स में जमाया था डेरा
बिलासपुर। चिटफंड कंपनियों ने बिलासपुर को अपना ठिकाना बना लिया है। ठगी करने वालों ने बिलासपुर को हेड आफिस किसके कहने बनाया और सालों लोगों को लूटने के बाद आसानी से कैसे भाग निकले? यह सब पुलिस के बिना संरक्षण संभव नहीं था। जब-जब चिटफंड कंपनियों की शिकायत की गई तब-तब पुलिस जांच दल ने घोर लापरवाही करते हुए आरोपियों को बचाने का काम किया। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ठगी के शिकार हुए लोगों की शिकायत ले तो ली जाती है मगर उसका निराकरण नहीं किया जाता। तत्कालीन क्राइम ब्रांच में पदस्थ कर्मचारियों ने चिटफंड कंपनियों से मिलकर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की। इस दौरान तत्कालीन आईजी पवन देव ने क्राइम ब्रांच के 11 कर्मचारियों की संपत्ति के जांच के आदेश भी दिए थे। इसके बाद भी किसी भी पुलिस कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं की गई।
चिटफंड कंपनियों ने सिविल लाइन थाना क्षेत्र को सुनियोजित तरीके से अपना ठिकाना बनाया। धोखाधड़ी के मामलों में पुलिस विवेचना में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। हाल ही में इंदु चौक के पास साइन सिटी नामक एक चिटफंड आफिस खोलकर इनवेस्ट करने के लिए लोगों को अपने झांसे में लिया। लखनऊ को अपना मुख्य कार्यालय बताकर कंपनी के कर्मचारियों ने जमकर उगाही करने के बाद आफिस का बोड उखाड़कर ताला जड़ दिया है। ठगी का शिकार हुए लोग पुलिस अधीक्षक कार्यालय में नामजद शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं इसके बाद भी सिविल लाइन पुलिस द्वारा दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई है। सन साइन सिटी चिटफंड कंपनी ने लोगों को अपने झासे में लेकर एक का चार करने के नाम पर लाखों रुपए ले लिया। कंपनी के कर्मचारियों ने सस्ते में मकान दिलाने के नाम पर भी जमकर उगाही की। रतनपुर मुख्य मार्ग के ग्राम गतौरी के पास लोगों को प्लाट दिखाकर झांसा दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि सिविल लाइन थाना क्षेत्र के इंदु चौक के पास साइन सिटी कंपनी लोगों से ठगते रही और पुलिस के आला अधिकारियों को कैसे भनक तक नहीं लगी? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र कमजोर हो चुका है? क्या स्थानीय पुलिस से चिटफंड कंपनी ने पूर्व में ही सौदा कर लिया था? ऐसे कई सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाये जा रहे हैं। साइन सिटी चिटफंड कंपनी द्वारा की गई ठगी की शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पहुंचने के बाद भी कार्रवाई नहीं होना समझ से परे है। बताया जा रहा है तीन माह के भीतर आधा दर्जन लोगों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर ठगी करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है।

धोखाधड़ी करने वाले रसूखदारों को पुलिस ने पकड़ा

सिविल लाइन थाना क्षेत्र में वर्ष 2017 में एल एंड टी फाइनेश कंपनी के मैनेजर ने शहर के रसूखदारों से मिली भगत कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का लोन पास कर दिया। मैनेजर द्वारा किए गए कार्यों की जब कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच की तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन देने का मामला सामने आया। कंपनी के अधिकारियों ने मैनेजर द्वारा किये गए धोखाधड़ी शिकायत सिविल लाइन थाने में की तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया। इसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर सिविल लाइन पुलिस ने मामला दर्ज कर खानापूर्ति की कार्रवाई करते हुए बैंक मैनेजर को हिरासत में ले लिया। फर्जी दस्तावेज के सहारे लोन लेने वाले रसूखदारों पर पुलिस ने हाथ तक नहीं डाला। कंपनी को करोड़ों का चूना लगाने वाले रसूखदार आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।

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