अर्मेनिया-अजरबैजान जंग: 5 हजार से ज्यादा मरे, World War का खतरा फिर मंडराया


अंकारा. अर्मेनिया (Armenia) और अजरबैजान (Azerbaijan) के बीच जारी जंग को खत्म करने के लिए अमेरिका आगे आया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) ने दोनों देशों के नेताओं से मुलाकात की, ताकि विवाद के शांतिपूर्ण निपटारे को संभव बनाया जा सके. हालांकि, इसकी उम्मीद बेहद कम दिखाई देती है.

अर्मेनिया और अजरबैजान इस प्रस्तावित बातचीत से पहले भी एक-दूसरे पर युद्ध भड़काने का आरोप लगाते हुए हमला जारी रखे हुए थे. दोनों देशों के अड़ियल रुख के चलते दुनिया पर एक बार फिर से विश्व युद्ध का खतरा मंडराने लगा है. इस बीच, रूस ने दावा किया है कि दोनों देशों की जंग में कम से कम 5,000 लोगों की मौत हुई है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने कहा कि नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर अजरबैजान और अर्मेनियाई सेना के बीच लड़ाई में लगभग 5,000 लोग मारे गए हैं.

अपने-अपने दावे
एक बैठक में पुतिन ने कहा कि दोनों ही पक्षों के दो-दो हजार से ज्‍यादा लोग मारे गए हैं. उन्‍होंने यह भी कहा कि रूस की तरफ से दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किये गए मगर बात नहीं बनी. वही, नागोर्नो-काराबाख का कहना है कि 27 सितंबर से अब तक उसके 874 सैनिक मारे गए हैं और 37 आम नागरिकों की मौत हुई है. जबकि अजरबैजान ने कहा है कि उसके 61 नागरिक मारे गए हैं और 291 घायल हो गए हैं.

उम्मीद है सब ठीक होगा
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अजरबैजान और अर्मेनिया के विदेश मंत्रियों के साथ अलग से मुलाकात के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों देश जंग छोड़कर शांति के बारे में सोचेंगे. जबकि इस मुलाकात को लेकर अर्मेनियाई प्रधानमंत्री ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आये. उन्होंने कहा कि लंबे समय से चली आ रही इस लड़ाई का कोई राजनयिक हल उन्हें नजर नहीं आता.

…तो शांति की बात बेमानी
उधर, अजरबैजान ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक अर्मेनिया विवादित नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र उसे वापस नहीं लौटा देता, जब तक शांति की बात बेमानी है. अजरबैजान का यह भी दावा है कि वो युद्ध में ज्यादा अच्छी स्थिति है और उसने अर्मेनिया को भारी नुकसान पहुंचाया है. मालूम हो कि पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध की बड़ी वजह नागोर्नो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) क्षेत्र है. इस क्षेत्र के पहाड़ी इलाके को अजरबैजान अपना बताता है, जबकि यहां अर्मेनिया का कब्जा है.

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