महिलाएं इन तीन चीजों के माध्यम से नियंत्रित कर सकती हैं अपनी घटती हुई कामेच्छा
शरीर में तेजी से होता हॉर्मोनल बदलाव महिलाओं के अंदर कामेच्छा की कमी कर देता है। इसके चलते उनकी पर्सनल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। यहां जानें कौन-सी चीजें आपकी सहायता कर सकती हैं…
आमतौर पर जब शतावरी और अश्वगंधा जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की बात होती है तो इन्हें सिर्फ पुरुषों की सेहत से जोड़कर देखा जाता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। शारीरिक कमजोरी, मानसिक थकान, महावारी की अनियमितता, शरीर में खून की कमी इत्यादि ऐसी परेशानियां हैं, जिनके चलते महिलाओं में लिबीडो यानी कामेच्छा की कमी हो जाती है। इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए महिलाएं यहां बताई गई इन तीन चीजों में से किसी का भी सीमित मात्रा में सेवन कर सकती हैं…
-यदि सीमित मात्रा में रेड वाइन का सेवन किया जाए तो यह एक बहुत ही शानदार ऐफ्रडिजीऐक है। यानी सेक्शुअल डिजायर को बढ़ानेवाला पदार्थ। रेड वाइन में बहुत ही प्रभावी ऐंटिऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। ये शरीर को नुकसान पहुंचानेवाले फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित करते हैं। साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
-जब शरीर निरोग रहता है और ऊर्जावान रहता है तो लिबीडो भी हाई रहती है। लेकिन ध्यान रखें कि गर्भवती महिलाओं और बच्चे को स्तनपान करानेवाली महिलाओं को रेडवाइन का सेवन नहीं करना चाहिए। यह बच्चे पर बुरा असर डाल सकती है।
-आपको बता दें कि अमेरिका और यूरोप के देशों में महिलाओं द्वारा एल्कोहॉल का सेवन बुरा नहीं माना जाता है। इसलिए वहां सेहत के लिहाज से महिलाओं और पुरुषों के लिए इसकी डोज भी निर्धारित है। जो लोग नियमित रूप से वाइन लेना पसंद करते हैं, उनके लिए यूरोप और अमेरिका में 1 गिलास रेड वाइ महिलाओं के लिए और 1 से 2 गिलास रेडवाइन पुरुषों के लिए निर्धारित है।
-यदि आप हाई ब्लड प्रेशर, शुगर या हार्ट की समस्या से ग्रसित हैं तो आपको रेड वाइन पीने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए। उनकी सलाह के आधार पर ही आप इसे लेने और ना लेने का निर्णय करें तो बहेतर रहेगा।
शतावरी
-शतावरी एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। यह शरीर में हॉर्मोन्स का संतुलन बनाए रखने में सहायता करती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव अधिक होते हैं। इस कारण ज्यादातर महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले कामेच्छा की कमी कम उम्र में देखने को मिलती है।
-हर महीने पीरियड्स के कारण महिलाएं बड़े स्तर पर हॉर्मोन्स के बदलाव से गुजरती हैं। फिर 45 साल की उम्र के बाद प्री-मेनोपॉज के चलते उनके शरीर में हॉर्मोन्स तेजी से बदलते हैं। इस दौरान उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
-इन सभी समस्याओं से बचने और हॉर्मोन्स को संतुलित रखने में शतावरी का सेवन महिलाओं के लिए बहुत अधिक लाभकारी होता है। हमेशा की तरह हम यहां एक बार फिर आपसे कहेंगे कि दवाओं का सेवन करने का तरीका और उनकी मात्रा आपको डॉक्टर से ही पूछनी चाहिए। क्योंकि हर व्यक्ति की उम्र और शारीरिक स्थिति के आधार पर यह अलग-अलग हो सकती है।
अश्वगंधा
-अश्वगंधा में स्ट्रेस बस्टर एजेंट्स पाए जाते हैं। ये मानसिक और शारीरिक तनाव को दूर करते हैं और प्राकृतिक रूप से कामेच्छा बढ़ाते हैं। सेक्शुअल लाइफ से जुड़ी कई तरह की परेशानियों को अश्वगंधा के सेवन से दूर किया जा सकता है।
-दरअसल, स्ट्रेस और कामेच्छा का कम होना आपस में जुड़ी हुई समस्याएं हैं। जो लोग लंबे समय तक तनाव में रहते हैं, उनके शरीर में कॉर्टिसोल हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इस हॉर्मोन के चलते व्यक्ति ऊर्जा की कमी का अनुभव करता है और उसी लिबीडो कम हो जाती है।
महिलाओं को इस समय होती है सबसे अधिक समस्या
-कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं के चलते किसी भी व्यक्ति में कामेच्छा की कमी हो सकती है। फिर चाहे महिला हो या पुरुष। लेकिन महिलाओं में खासतौर पर 40 साल की उम्र के बाद लिबीडो की कमी देखने को मिलती है। क्योंकि आमतौर पर इस उम्र के बाद महिलाओं के शरीर में तेजी से हॉर्मोनल बदलाव होने लगते हैं।
-जिन महिलाओं में मेनोपॉज की स्थिति 40 से 45 साल की उम्र के बीच आ जाती है। उन्हें इस उम्र में ही सेक्स में अरुचि होने लगती है। जबकि सामान्य तौर पर मेनोपॉज 45 से 50 साल की उम्र के बीच होता है।