टाटा स्टील के ट्राइवल काॅन्क्लेव ‘संवाद-2020’ का आयोजन : देश-विदेश के आदिवासी पारंपरिक वैद्यों द्वारा आन लाइन भागीदारी


प्रतिवर्ष टाटा स्टील फाउंडेशन-जमशेदपुर झारखंड द्वारा आदिवासी जननायक  विरसा मुंडा जी की जयंती पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. विगत लगभग 7 वर्षों से आयोजित इस कार्यक्रम में आदिवासियों की संस्कृति, विभिन्न प्राचीन कलाएं, खान-पान, रहन-सहन, परंपरागत ज्ञान आदि को सुरक्षित-संवर्धित करने हेतु विचार मंथन, चर्चा गोष्टी, व्याख्यानमाला, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते रहे हैं किन्तु इस वर्ष कोविड-19 की वजह से यह कार्यक्रम आनलाइन आयोजित किया गया. छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश के लगभग 30 अनुभवी पारंपरिक वैद्यों ने संयुक्त रूप से सतपुड़ा मैकल पर्वत व मां नर्मदा के उद्दगम स्थल अमरकंटक में इस आयोजन में भाग लिया. इस वर्ष भारत के 14 राज्यों व 9 देशों से आदिवासी जनजाति पारंपरिक वैद्यों ने पहली बार ऑनलाइन जुड़ कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना ज्ञान व अनुभव साझा किया.

टाटा स्टील के चार दिवसीय ट्राइबल कांक्लेव ‘संवाद 2020’ में राष्ट्रीय आदिवासी जनजाति पारंपरिक वैद्य संगठन के विधिवत गठन हेतु पहल की गई. इस संगठन के लक्ष्य, उद्देश्य और कार्य योजना तैयार करने और सदस्यता अभियान शुरू करने हेतु सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई. इस कार्यक्रम में देश- विदेश के पारंपरिक वैद्य और विषय विशेष के विशेषज्ञों ने भी भाग लिया और आदिवासी लोक स्वास्थ्य परंपरा के संरक्षण, संवर्धन और सतत् आजीविका विकास पर अपनी प्रतिक्रिया व सुझाव व्यक्त किए.

छत्तीसगढ़ राज्य से 16 और मध्यप्रदेश से 14 अनुभवी पारंपरिक वैद्यों ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेबैक्स ऐप के माध्यम से आनलाइन भाग लिया, अपने अनुभव एक दूसरे से साझा किए और देश-विदेश के लोगों से नई जानकारियां हासिल की. वर्ष 2009 में गठित ‘परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ’ छत्तीसगढ़ के प्रांतीय सचिव व ‘लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान-भारत (स्थापना वर्ष- 2016) के राष्ट्रीय समन्वयक वैद्य निर्मल कुमार अवस्थी ने इस कार्यक्रम में समन्वयक के रूप में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की और कहा कि “आदि मानव ने स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, वनस्पतियों के गुण धर्म और उपयोग की पहचान की है. आदिवासी पहले अनुसंधानकर्ता है इसलिए वे प्रथम वैज्ञानिक है..” ज्ञात हो कि टाटा फाउंडेशन के इस कार्यक्रम में टी.डी. यूनिवर्सिटी बेंगलुरू के प्रोफेसर हरीराम मूर्ति और निर्मल कुमार अवस्थी के प्रयासों से ही आदिवासी परंपरागत स्वास्थ्य पद्धति को भी शामिल किया गया और परंपरागत वेद्यो के ज्ञान को आगे बढ़ाने और उन्हें एक मंच पर लाने का काम किया जा रहा है.

अवस्थी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित व गठित ‘छत्तीसगढ़ आदिवासी स्वास्थ परंपरा बोर्ड’ की जानकारी दी. छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी जनजाति पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के संरक्षण, संवर्धन, विकास एवं सहज-सरल रूप से प्राकृतिक संसाधनों से स्वास्थ सेवा को वैज्ञानिक कसौटी पर खरा उतरने हेतु  और स्थानीय स्तर पर सतत् आजीविका विकास के लिए एक बोर्ड का गठन करने हेतु छत्तीसगढ़ सरकार का आभार व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि बोर्ड के गठन के साथ कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है. ‘छत्तीसगढ़ बायोडायवर्सिटी बोर्ड’ द्वारा परंपरागत वैद्यों के ज्ञान का दस्तावेजीकरण, जैव-विविधता प्रबंधन, एक समिति का गठन, पारंपरिक वैद्यों के ज्ञान के प्रमाणीकरण के अलावा ‘छत्तीसगढ़ आदिवासी स्वास्थ परंपरा’ एवं औषधि पादप बोर्ड-रायपुर’ द्वारा कार्य भी आरंभ कर दिया गया है. अपने घर आंगन में जड़ी-बूटी वाटिका (होम हर्बल गार्डन) बनाने, परंपरागत वनौषधि चिकित्सा हेतु उचित कार्य और तेजी से साथ विलुप्त हो रही वनौषधियों के संरक्षण, संवर्धन और कृषिकरण की कार्य योजना तैयार कर इन दिशाओं में भी कार्य चल रहा है.

अवस्थी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और वनमंत्री के प्रति परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ और छत्तीसगढ़ के सभी परंपरागत वैद्य आभारी हैं जिन्होंने  छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी स्वास्थ परंपरा के साथ साथ इस परंपरा के पुर्नउत्थान हेतु सार्थक पहल की.अंतरराष्ट्रीय मंच पर छत्तीसगढ़ राज्य के इस माडल की सभी विषय विशेषज्ञों और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय आदिवासी जनजाति के लोगों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है और  छत्तीसगढ़ राज्य के माडल को अपने-अपने राज्य में भी लागू कराने हेतु सहमति व्यक्त व्यक्त की है.

लोक स्वास्थ्य परंपरा संवर्धन अभियान- भारत के राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर हरीराम मूर्ती, यू एन युनिवर्सिटी के डा उन्नीकृष्णन के साथ-साथ एफ आर एल एच टी के ट्रस्टी पद्मश्री दर्शन शंकर जी ने भी छत्तीसगढ़ शासन की इस पहल का समर्थन किया और परंपरागत वनौषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ ने भी छत्तीसगढ़ सरकार के इस प्रयास की सराहना की. गुरुवार 19 नवंबर को यह चार दिवसीय वृहत ऑनलाइन आयोजन संपन्न हुआ. आयोजन को सफल बनाने में परंपरागत  वनोषधि प्रशिक्षित वैद्य संघ के अध्यक्ष वैद्य भगवंता प्रसाद निषाद, उपाध्यक्ष वैद्य शुक्ला प्रसाद, सचिव वैद्य निर्मल कुमार अवस्थी,  कोषाध्यक्ष वैद्य अवधेश कश्यप, प्रवक्ता महेंद्र कुमार सिन्हा, कार्यक्रम संयोजक संजय कुलदीप और मीडिया संयोजक नरेंद्र राठौर के अतिरिक्त अन्य सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा.

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