शहीद किसानों की याद में जली मोमबत्तियां और दीये, संघर्ष और तेज करने का आह्वान : किसान सभा

किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन में दिल्ली की सीमाओं पर डटकर अपनी शहादत देने वाले 35 से अधिक किसान साथियों को श्रद्धांजलि देने का काम कल छत्तीसगढ़ में देर रात तक होता रहा। कल रात को उनकी याद में मोमबत्तियां और दीये जलाए गए, जुलूस निकाले गए और सभाएं करके उनके संघर्षों को आगे बढ़ाने और मुकाम तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आज भी श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रम आयोजित करने की खबरें आ रही हैं।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन-अभियान अलग-अलग रूपों में चलता रहेगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पत्र और संघ-भाजपा के अभियान को झूठ का पुलिंदा बताते हुए उन्होंने कहा कि जो बातें कानून में लिखी हैं, उन्हीं बातों से आज वे अनभिज्ञता व्यक्त कर रहे हैं। दरअसल, उनकी चिंता में किसानों का हित नहीं, अडानी-अंबानी की तिजोरी है। कानून बनने से पहले ही उनके द्वारा लाखों टन क्षमता वाले खाद्यान्न भंडारण के गोदाम बनाना ही यह बताता है कि यह कानून उनके कहने पर ही बनाया गया है।

श्रद्धांजलि सभाओं में किसान नेताओं ने ग्रामीण जनता को बताया कि किस प्रकार ये कानून किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित करके खेती-किसानी को बर्बाद करते हैं, बल्कि अनाज मगरमच्छों को असीमित मात्रा में खाद्यान्न भंडारण की छूट देकर आम नागरिकों के उपभोक्ता-अधिकारों और सस्ते राशन की प्रणाली से भी वंचित करते हैं। इस प्रकार ये कानून खाद्यान्न आत्मनिर्भरता और सुरक्षा के भी दुश्मन हैं। इस देश के किसानों ने सी-2 लागत पर आधारित समर्थन मूल्य को सुनिश्चित करने और उन्हें ऋण मुक्त करने का कानून मांगा था, न कि अपनी बर्बादी और सर्वनाश का।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर जो किसान मारे गए हैं, उसके लिए मोदी सरकार सीधे जिम्मेदार हैं और इनके परिवारों को मुआवजा और आश्रितों को स्थाई रोजगार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक ये कानून वापस नहीं होते, नवोन्मेषी तरीकों से इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा और संघर्ष तेज किया जाएगा।

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