Ayurveda remidies : बवासीर से लेकर महिलाओं की उन समस्‍याओं की आयुर्वेदिक औषधि है चांगेरी, न करें नजरअंदाज

चांगेरी या तिनपतिया (Indian Sorrel) को महज घास की तरह बेकार खरपतवार मानने की गलती न करें। अपने औषधीय गुणों के चलते इसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का दर्जा द‍िया गया है। इसकी मामूली-सी द‍िखने वाली पत्त‍ियां एक नहीं, बल्क‍ि कई बीमार‍ियों को दूर करने का गुण रखती हैं। ज‍िसके चलते कई जानकार, आयुर्वेदाचार्य और व‍िशेषज्ञ इसके इस्तेमाल की सलाह देते हैं। अब इसके इस्तेमाल को बढ़ता देख बाजार में भी इसका रस या जूस आसानी से म‍िल जाता है।

चांगेरी या तिनपतिया (Indian Sorrel) का नाम आपने शायद सुना ही होगा। ये घास की तरह ही एक खरपतवार है। लेक‍िन आपको इससे मि‍लने वाले फायदे चौंकाने वाले हैं। इसके औषधीय गुणों को आयुर्वेद में भी स्वीकार किया गया है। इसल‍िए इसे आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का दर्जा द‍िया गया। स्वाद में खट्टी चांगेरी विटामिन -सी से भरपूर होती है। इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह एक नहीं, बल्क‍ि कई बीमार‍ियों को दूर करने में मददगार है। तो आइए जानते हैं इसके हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में।

​पिंपल्स और काले धब्बे करे दूर

चांगेरी के पत्तों को पीस लें और उसे चंदन के पेस्ट के साथ मिलाएं। इस पेस्ट को चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें। इससे पिंपल्स और काले धब्बे की समस्या तो दूर होगी ही, साथ ही स्किन की रंगत भी सुधरेगी।
​कफ, साइनेस और माइग्रेन में कारगर

कफ बनने समेत साइनस की समस्या में भी चांगेरी काफी कारगर है। इसकी पत्त‍ियों को पीसकर न‍िकाले गए रस की 4 से 6 बूदें नाक में डालने से कफ, साइनेस के साथ ही माइग्रेन में भी आराम म‍िलता है। सिरदर्द में चांगेरी के रस को उतनी ही बराबर मात्रा में प्याज के रस में मिलाकर माथे पर लगाएं और हल्के हाथ से मसाज करें। आपको कुछ ही देमें राहत महसूस होगी।

​सांस की बदबू दूर कर दांतों-मसूड़ों के ल‍िए सेहतमंद

इसकी पत्त‍ियों के पेस्ट में थोड़ा-सा हल्दी और सेंधा नमक म‍िलाकर मंजन करने से दांतों और मसूड़ों को सेहतमंद बनाने में मदद म‍िलती है। पायर‍िया और सांस की बदबू दूर करने के ल‍िए चांगेरी की तीन-चार पत्तियों को चबाएं। रोज ऐसा करने पर बदबू की समस्या दूर हो जाएगी। आप चाहें तो इसकी सूखी हुई पत्तियों को बाजार से खरीदकर उसे रोज पेस्ट में मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
​​पाइल्स का करे इलाज

खूनी बवासीर (Piles) जैसी बीमारी में चांगेरी बहुत फायदेमंद है। इसकी पत्तियों को घी में भूनकर दही के साथ मिलाकर सेवन करें। पाइल्स की समस्या में काफी राहत महसूस होगी। चाहें तो चांगेरी की ताजी पत्त‍ियों को पीसकर भी खा सकते हैं और अगर ताजी पत्त‍ियां न म‍िलें तो सूखी पत्त‍ियों का पाउडर सुबह-शाम फांक लें।
​भूख बढ़ने के साथ डायजेशन रहेगा दुरुस्त

अगर आपको डायजेशन से जुड़ी कोई समस्या जैसे लंबी बीमारी के बाद भूख न लगना, एस‍िड‍िटी या कॉन्सटिपेशन है तो चांगेरी काफी आराम दे सकती है। चांगेरी की खट्टी चटनी भूख बढ़ाती है। डायजेशन और पेट दर्द की समस्या में चांगेरी के दो चम्मच रस में एक चुटकी हींग मिलाकर पिएं। इससे डायजेशन सुधरेगा और पेट दर्द भी दूर होगा।

​ल्यूकोरिया रोग से पाएं मुक्त‍ि

मह‍िलाओं में होने वाली ल्यूकोरिया (प्रमेह-प्रदर) या व्हाइट ड‍िस्चार्ज की समस्या के चलते हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ज‍िन मह‍िलाओं को ये समस्या हो, वे चांगेरी की पत्त‍ियों को पीसकर उसका रस न‍िकाल लें। इस रस में थोड़ी-सी म‍िश्री म‍िलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया से होने वाले दर्द से छुटकारा म‍िलता है।
​शरीर के मस्सों से म‍िलगी न‍िजात

कई लोगों के शरीर पर मस्से होते हैं और कई बार बढ़ती उम्र के साथ आ जाते हैं। इनसे छुटकारा पाने में चांगेरी एक बेहतर ऑप्शन है। चांगेरी के पत्तों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें। चाहें तो पेस्ट में घी भी म‍िला सकते हैं। इस पेस्ट को मस्सों पर लगाएं। ऐसा करना तब तक जारी रखें, जब तक मस्से खुद ही न ग‍िर जाएं।
​लिवर को मजबूत करने में मददगार

अगर आप कमजोर लिवर को मजबूत करना चाहते हैं तो चांगेरी की पत्त‍ियों को रोजाना चबाएं। इसकी पत्तियों का रोजाना सेवन लिवर को ड‍िटॉक्सीफाई कर बेहतर काम करने लायक बनाता है। चांगेरी का रस या जूस बाजार से नहीं लाना चाहते तो आप इसे घर पर ही बना सकते हैं।

ध्यान में रखें- यह जानकारी आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार बताई गई है, लेकिन शरीर की तासीर, उम्र या बीमारी की गंभीरता के चलते इनसे म‍िलने वाले नतीजे अलग-अलग हो सकते हैं, इसल‍िए प्रयोग से पहले किसी सर्ट‍िफाइड आयुर्वेदिक चिकित्सक या जानकार से परामर्श जरूर लें।

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