सीएम दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ‘‘संस्थापक दिवस’’ उल्लासपूर्वक मनाया गया


बिलासपुर. 14 जनवरी गुरुवार को, सी.एम. दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय में महाविद्यालय के संस्थापक स्व. पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी की स्मृति में 65 वां ‘‘संस्थापक दिवस’’ मनाया गया। तत्पश्चात् शिक्षण समिति की बैठक हुई, जिसमें इसमें समस्त सदस्यों ने भाग लिया। बैठक में महाविद्यालय के हित में नये पाठ्यक्रम खोलने हेतु एवं अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए। इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में स्थापित स्व. पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी की प्रतिमा के सम्मुख उनके असाधारण व्यक्तित्व और कृतित्व का सादर स्मरण करने हेतु एक गरिमामय समारोह आयोजित किया गया। विभिन्न वक्ताओं ने अपने-अपने व्यक्तव्यों में स्व. पं. जी के उच्च शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में दिये गये अभूतपूर्व योगदान को रेखांकित किया।

इस अवसर पर सी. एम. दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शासी निकाय के अध्यक्ष पं. संजय दुबे ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि- स्व. पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी ने जब सन् 1956 में इस महाविद्यालय की स्थापना की तब इस अंचल में उच्च शिक्षा की सुविधाओं का नितांत अभाव था। इस महाविद्यालय की स्थापना कर उन्होने इस अभाव को दूर करने का ऐतिहासिक और स्तुत्य कार्य किया। पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी के बाद स्व. पं. भागवत प्रसाद दुबे जी ने इस महाविद्यालय के शासी निकाय के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुये अपने अथक प्रयत्नों से इसे, इस अंचल का सर्वाधिक प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण उच्च शिक्षा संथान बना दिया, लेकिन सपनों की कोई सीमा नही होती। हमारा लक्ष्य सदैव विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना तथा शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना रहा है। ‘नैक’ ने हमारे योगदान पर अपनी मुहर लगाते हुये हमें ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया है। हमारे महाविद्यालय को ‘उत्कृष्टता की संभावना वाला’’ महाविद्यालय भी माना गया है। भविष्य में आगामी नैक के लिए द्वितीय मुल्यांकन हेतु महाविद्यालय जोर-शोर से तैयारी हेतु प्रयासरत् है। पंडित संजय दुबे ने कहा कि महाविद्यालय प्रबंधन सदैव ही प्राध्यापकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के हितों के संरक्षण और संवर्धन को प्राथमिकता देता रहा है। प्रतिवर्ष आज के दिन हम सब नयी चुनौतियों और नये लक्ष्यों के संदर्भ में अपनी भूमिका का निर्धारण करते है और अपने योगदान को अधिक से अधिक परिपूर्ण बनाने के लिये अपने संकल्प को सुदृढ़़ बनाते है।

शासी निकाय के वरिष्ठ सदस्य पं. नारायण प्रसाद दुबे ने अपने संबोधन में स्व. पं. द्वारिका प्रसाद दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व के अनेक प्रेरक पहलुओं का उल्लेख करते हुये कहा कि जिस तरह मकर संक्रांति के दिन से सूर्य प्रखर और तेजोमय होता चला जाता है उसी तरह यह महाविद्यालय भी यश और कीर्ति के नये शिखरों तक पहुंचे। यही शुभकामना है। एसपी चतुर्वेदी ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपने उद्गार में महाविद्यालय के चहुमूखी विकास पर प्रकाश डाला।

संस्थापक दिवस समारोह में शिक्षण समिति के नारायण प्रसाद दुबे, पं. संजय दुबे, महेश दुबे, एस. पी. चतुर्वेदी, विमल त्रिपाठी, श्याम शुक्ला, नितिन त्रिपाठी, क्रांति कुमारओझा, विकास दुबे, अमन दुबे, एन.के. वर्मा, अंशुमन दुबे, आदित्यांश दुबे आदि अतिथिगण उपस्थित थे। सभी ने स्व. पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. संजय सिंह, उप प्राचार्य डाॅ.पी.एल. चंद्राकर तथा डाॅ. कमलेश जैन ने स्व.पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त की। सभी विभागों के विभागाध्यक्षों, प्राध्यापकों, कर्मचारियों, छात्र नेताओं तथा अन्य विद्यार्थियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर स्व. पं. दुबे के प्रति सम्मान प्रकट किया। प्रोफेसर राजकुमार पण्डा तथा महाविद्यालयीन रजिस्ट्रार कौशल गुप्ता, केएस राजपुत ने इस समारोह के आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।

कार्यक्रम का संचालन डाॅ. व्ही.के. गुप्ता ने किया। उन्होने कार्यक्रम के आरंभ में स्व. पं. द्वारिका प्रसाद दुबे जी की दानशीलता के विविध आयामों का उल्लेख करते हुये शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में किये गये उनके अनेक कार्यो से श्रोताओं को परिचित कराया। आज के कार्यक्रम के दौरान पं. चंद्रमोहन दुबे की स्मृति में नवनिर्मित एवं सुसज्जित बाॅयोटेक्नोलाॅजी विभाग का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर श्रीमती सुमेला चटर्जी के निर्देशन में शिक्षा संकाय तथा अन्य संकायों के छात्र-छात्राओं ने सुमधुर भजनों का गायन किया। शासी निकाय के अध्यक्ष पं. संजय दुबे  ने इन सभी विद्यार्थियों की सराहना करते हुये उनके लिये नकद पुरस्कारों की घोषणा की। साथ ही विभिन्न गतिविधियों में सहयोग प्रदान करने वाले महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाॅ. विनित नायर एवं कार्यलयीन सहायक प्रवीण गुप्ता को शाल एवं श्रीफल से सम्मानित किया गया। नैक कार्य की गतिविधियों में सहयोग करने वाले सहायक प्राध्यापक डाॅ. व्ही. के. गुप्ता, डाॅ. वीणापाणी दुबे को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डाॅ. संजय सिंह ने सभी अभ्यागतों के प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित किया।

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